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महाजेनको की गारे-पेलमा सेक्टर-II कोयला खदान परियोजना: ग्रामीणों की मांगें, देरी का दर्द और उम्मीदों का इंतज़ार

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 6 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के सैकड़ों ग्रामीणों ने महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आवंटित गारे-पेलमा सेक्टर-II कोयला खदान परियोजना को शीघ्र शुरू करने की मांग को लेकर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। प्रभावित गांवों के लोग कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से मिले और एक ज्ञापन सौंपकर परियोजना में हो रही देरी पर गहरी नाराज़गी जताई। ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की घोषणा के बाद से उनकी ज़िंदगी ठहर-सी गई है, क्योंकि न तो ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हुई है और न ही मुआवज़ा या रोजगार के वादे पूरे किए गए हैं।

तामनार ब्लॉक के ढोलनारा, सराईटोला, भालूमुड़ा, कुंजेमुरा, मुड़ागांव, चितवाही, डोलेसारा और पाता जैसे गांवों के निवासियों ने वर्षों पहले इस परियोजना से जुड़ी उम्मीदें संजोई थीं। उन्हें विश्वास था कि महाजेनको की इस कोयला खदान परियोजना से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास भी होगा। लेकिन अब तक केवल सर्वे कार्य ही पूरा हुआ है, जबकि ज़मीन अधिग्रहण, मुआवज़ा वितरण और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की घोषणा ने उन्हें रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की उम्मीद दी थी, लेकिन वर्षों बाद भी वे उसी अनिश्चितता के दौर में हैं।

ग्रामीणों ने कलेक्टर और एसपी को सौंपे गए ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखीं:
1. शीघ्र खदान संचालन: गारे-पेलमा सेक्टर-II कोयला खदान का संचालन तत्काल शुरू किया जाए ताकि ज़मीन अधिग्रहण, मुआवज़ा और पुनर्वास की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
2. स्थानीय रोजगार: प्रभावित गांवों के युवाओं को महाजेनको में प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दी जाए।
3. मुआवज़ा और पुनर्वास: सभी प्रभावितों को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से समान मुआवज़ा दिया जाए, साथ ही पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
4. बुनियादी सुविधाएं: क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और महिलाओं के लिए सशक्तिकरण योजनाएं लागू की जाएं।
5. स्वास्थ्य सुविधाएं: परियोजना के तहत एक अस्पताल का निर्माण किया जाए ताकि स्थानीय लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।

कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में ढोलनारा और डोलेसारा के ग्रामीणों ने विशेष रूप से मुआवज़े की प्रक्रिया को तेज करने की मांग की। उन्होंने यह भी जोर दिया कि एक ही परियोजना के तहत सभी प्रभावितों को समान मुआवज़ा मिलना चाहिए। इस पर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि मुआवज़ा वितरण प्रचलित कानूनों और नियमों के अनुसार किया जाएगा।

रोजगार के मुद्दे पर ग्रामीणों ने मांग की कि महाजेनको स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दे। कलेक्टर ने सुझाव दिया कि ग्रामीण अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी के लिए आवेदन करें और प्रशासन संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करेगा। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पताल निर्माण की मांग पर भी चर्चा हुई, जिसे कलेक्टर ने गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया।

ग्रामीणों ने अपनी बात रखते हुए यह भी आरोप लगाया कि कुछ बाहरी राजनीतिक तत्व और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) जानबूझकर परियोजना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन तत्वों द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम स्थानीय समुदाय की आजीविका और क्षेत्र के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की कि ऐसे हस्तक्षेपों को रोका जाए और परियोजना को गति दी जाए।

ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से भावनात्मक अपील की कि उनकी उम्मीदों को और न टाला जाए। उन्होंने कहा, “जब परियोजना की घोषणा हुई थी और सर्वे शुरू हुआ था, तो हमें लगा था कि हमारे दिन बदल जाएंगे। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। हम चाहते हैं कि अधिग्रहण पारदर्शी हो, मुआवज़ा समय पर मिले और हमारे बच्चों को रोजगार मिले। हमारे सपनों को मत तोड़ो।”

6 अगस्त 2025 को रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के प्रभावित गांवों—पाता, डोलेसरा, चितवाही, मुड़ागांव, कुंजेमुरा, सराईटोला और भालूमुड़ा—के सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय में कलेक्टर और एसपी से मुलाकात की। उन्होंने महाजेनको की गारे-पेलमा सेक्टर-II कोयला खदान परियोजना को शीघ्र शुरू करने, मुआवज़ा वितरण, स्थानीय रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी विकास की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों की यह मांग न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने की उम्मीद है, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास की भी पुकार है।

प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या महाजेनको और संबंधित विभाग इन मांगों को समयबद्ध तरीके से पूरा कर पाएंगे? ग्रामीणों की उम्मीदें अब इस बात पर टिकी हैं कि उनकी आवाज़ न केवल सुनी जाएगी, बल्कि उस पर अमल भी होगा।

Amar Chouhan

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