Latest News

महाजेंको कोल ब्लॉक के लिए गांवों में नया सर्वे शुरू — अवैध निर्माण बने सबसे बड़ी बाधा

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। तमनार क्षेत्र में महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेंको) को आवंटित गारे–पेलमा सेक्टर 2 कोल ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण और सर्वे की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है। लेकिन इस बार सबसे बड़ी चुनौती है — गांवों में हुए अवैध निर्माण और बाहरी निवेशकों की जमीन कब्जेदारी।

राजस्व विभाग की पिछली लापरवाहियों और विवादित मुआवज़ा सर्वे के कारण यह प्रोजेक्ट कई सालों से अटका हुआ था। अब प्रशासन ने दोबारा गांव–गांव जाकर एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।




🔹 भूमि अधिग्रहण अधूरा, अवैध कब्जों ने बढ़ाई मुश्किलें

महाजेंको को आवंटित यह ब्लॉक रायगढ़ जिले का सबसे बड़ा कोयला खदान क्षेत्र माना जा रहा है। सालाना 23.6 मिलियन टन कोयले के उत्पादन की क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट से 14 गांवों — टिहलीरामपुर, कुंजेमुरा, गारे, सराईटोला, मुड़ागांव, रोडोपाली, पाता, चितवाही, ढोलनारा, झिंकाबहाल, डोलेसरा, भालूनारा, सरसमाल और लिबरा — के ग्रामीण सीधे प्रभावित होंगे।

लेकिन जिन जमीनों पर अधिग्रहण प्रस्तावित था, उनमें से कई पर अब बाहर के लोगों ने अवैध रूप से निर्माण कर लिया है। सूत्र बताते हैं कि इन गांवों में बजरमुड़ा की तर्ज पर टुकड़ों में रजिस्ट्री कराकर प्लॉट काटे गए और छोटे-छोटे मकान बनाकर जमीन को वैध दिखाने की कोशिश की गई है।




🔹 प्रशासन की दोहरी भूमिका पर उठे सवाल

गौरतलब है कि 26 फरवरी 2021 को ही प्रशासन ने इन गांवों में क्रय-विक्रय और नामांतरण पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में 5 अगस्त 2021 को सरफेस राइट की कार्यवाही शुरू होने के कारण डायवर्सन पर भी रोक लगा दी गई थी।

इसके बावजूद जमीनों की खरीद-फरोख्त जारी रही, और तहसील स्तर के कुछ अधिकारियों ने कथित रूप से प्रमाणीकरण व नामांतरण की फाइलें मंजूर कर दीं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि तमनार की दो महिला तहसीलदारों के कार्यकाल में यह “नामांतरण उद्योग” खूब फला-फूला।

इन जमीनों की रजिस्ट्री कराने वालों में नागपुर, बेंगलुरू, रायगढ़, रायपुर, दुर्ग और कोरबा तक के निवेशक शामिल हैं। यहां तक कि दूसरे उद्योगों के अफसरों और कर्मचारियों ने भी निवेश किया, ताकि भूमि अधिग्रहण के समय भारी मुआवज़ा मिल सके।

पाता ग्राम पंचायत से मांगी गई एनओसी

नवीन आदेश में घरघोड़ा एसडीएम ने तमनार तहसीलदार को पाता ग्राम पंचायत से सर्वे हेतु एनओसी प्राप्त करने का निर्देश दिया है। सर्वे शुरू करने से पहले पंचायत की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। प्रशासन का दावा है कि इस प्रक्रिया से गांवों में पारदर्शिता बनी रहेगी और विवाद कम होंगे।

लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जिन स्थानों पर अवैध निर्माण हैं, वहां सर्वे टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले प्रशासन खुद अवैध रजिस्ट्री की इजाजत देता रहा, अब उन्हीं घरों को “अवैध निर्माण” बताकर हटाने की बात कर रहा है।




🔹 एनजीटी ने पहले ही रद्द की थी पर्यावरणीय अनुमति

गौरतलब है कि 15 जनवरी 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरणविद कन्हाईराम पटेल की याचिका पर महाजेंको को दी गई पर्यावरणीय अनुमति निरस्त कर दी थी। ट्रिब्यूनल ने पाया था कि प्रोजेक्ट में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और स्थानीय लोगों के पुनर्वास योजना से जुड़े निर्देशों का पालन नहीं किया गया।

इसके बावजूद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी (EAC) ने बिना अनुपालन रिपोर्ट के दोबारा अनुमति जारी कर दी, जिससे विवाद और बढ़ गया।




🔹 वन क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण भी अधर में

महाजेंको प्रोजेक्ट में ढाई हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित है, जिसमें बड़ा हिस्सा वनभूमि का है। वन भूमि के बदले क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण (Compensatory Afforestation) की प्रक्रिया अभी तक अधूरी है। पर्यावरण मंत्रालय की शर्तों के अनुसार जब तक यह कार्य पूरा नहीं होता, परियोजना का पूर्ण संचालन नहीं किया जा सकता।




🔹 सरकार की चुनौती — अवैध कब्जे हटाएं या वैध करें?

अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि अवैध निर्माणों को कैसे हटाया जाए।
यदि इन्हें गिराया जाता है, तो सामाजिक विरोध और राजनीतिक दबाव तय है।
और यदि इन्हें वैध किया जाता है, तो पूरी अधिग्रहण नीति की पारदर्शिता पर सवाल उठेगा।

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि सरकार फिलहाल “संतुलन साधने” की कोशिश में है — जहां वास्तविक ग्रामीण बाशिंदे हैं, उन्हें राहत दी जाएगी, लेकिन बाहरी निवेशकों की संपत्ति पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।

महाजेंको कोल ब्लॉक से जुड़ा यह विवाद अब केवल भूमि अधिग्रहण तक सीमित नहीं रहा।
यह प्रशासनिक जवाबदेही, पर्यावरणीय पारदर्शिता और स्थानीय जनता के हक़–अधिकारों का बड़ा मुद्दा बन गया है।
गांवों में चल रहा नया सर्वे यदि निष्पक्ष और कानूनी ढंग से पूरा नहीं हुआ, तो यह प्रोजेक्ट भी छत्तीसगढ़ के कई अन्य कोयला ब्लॉकों की तरह कानूनी उलझनों में फँस सकता है।

समाचार सहयोगी मुकेश चौहान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button