महाजेंको की पर्यावरण स्वीकृति के खिलाफ दोबारा हुई एनजीटी में अपील..

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। तमनार में महाजेंको का कोल माइंस प्रोजेक्ट किसी न किसी पचड़े में फंसता ही रहता है। एनजीटी ने कंपनी को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया था। लेकिन केंद्रीय मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश पर क्रियान्वयन के बजाय दोबारा अनुमति जारी कर दी। अब दोबारा एनजीटी में केस दर्ज हो गया है।
महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को तमनार में गारे पेलमा सेक्टर 2 कोल ब्लॉक आवंटित है। सालाना 23.6 मिलियन टन कोयले की इस माइंस से टिहली रामपुर, कुंजेमुरा, गारे, सराईटोला, मुड़ागांव, रोडोपाली, पाता, चितवाही, ढोलनारा, झिंकाबहाल, डोलेसरा, भालूनारा, सरसमाल और लिबरा गांव प्रभावित हो रहे हैं। 15 जनवरी 2024 को एनजीटी ने कन्हाई राम पटेल की अपील पर पर्यावरणीय अनुमति ही निरस्त कर दी थी।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी ने इस आदेश में दिए गए निर्देशों का पालन किए बिना ही दोबारा अनुमति दे दी। जिस आधार पर अनुमति खारिज हुई थी, उसका निराकरण किए बिना ही दोबारा 13 अगस्त 2024 को अनुमति जारी कर दी गई। इस पर एनजीटी में फिर से अपील की गई है। इसमें कहा गया है कि एनजीटी ने नए सिरे से जनसुनवाई करने का आदेश दिया था। लेकिन ऐसा किए बिना ही मंजूरी मिल गई। अपील को स्वीकार करते हुए एनजीटी ने नोटिस जारी करने को कहा है। अगली सुनवाई 17 जनवरी को रखी गई है।
महाजेंको को मिला कोल ब्लॉक रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन वाला होगा। महाजेंको को मिली अनुमतियों में कई तरह के पेंच थे। वन भूमि के बदले क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण प्रक्रिया में भी दिक्कतें हैं। इस प्रोजेक्ट में 14 गांवों की ढाई हजार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन प्रभावित होनी है। इन गांवों में बहुचर्चित भूमि अधिग्रहण घोटाला भी हो चुका है। अब महाजेंको को भी उसी घोटाले का सामना करना पड़ेगा।
जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान..✍️