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लैलूंगा सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में खुले आम बिक रही है महुआ शराब, पुलिस विभाग सवालिया निशान? आखिर लैलूंगा पुलिस शराब पर…

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ (लैलूंगा): जिले के लैलूंगा ब्लॉक समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों खुलेआम देशी महुआ शराब की बिक्री जोरों पर है। प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद अवैध शराब के इस कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है, जिससे आम जनता में नाराजगी है और पुलिस विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ शराब का सेवन लंबे समय से एक परंपरा के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसका व्यावसायिक रूप से उत्पादन और बिक्री तेजी से बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार लैलूंगा, रुडुकेला, कुंजारा और बूढ़ी कूटेंन सहित 70 गांवों में शराब न केवल घरों में बनाई जा रही है, बल्कि खुले बाजारों और सड़कों पर भी इसकी बिक्री धड़ल्ले से हो रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि महुआ शराब के कारोबार में कुछ प्रभावशाली लोगों का सीधा या परोक्ष रूप से हाथ है। यही कारण है कि पुलिस और आबकारी विभाग की कार्यवाही महज दिखावे की बनकर रह गई है। कई बार छापेमारी की खबरें तो आती हैं, लेकिन न तो बड़े कारोबारियों पर कार्यवाही होती है और न ही इस अवैध व्यापार की जड़ें काटी जाती हैं।

एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि, “हर गांव में दो-तीन जगह महुआ शराब मिल जाएगी। पुलिस को सब कुछ पता होता है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती। इससे युवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है और ग्रामीण इलाकों में अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं।”

महुआ शराब के खुले व्यापार से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी सामने आ रही हैं। रोज एक्सीडेंट भी हो रही है अनियंत्रित और बिना गुणवत्ता जांच के बनाई जा रही यह शराब लोगों की जान तक ले रही है। पिछले कुछ महीनों में कई लोग जहरीली शराब पीने से बीमार हुए हैं, जिनमें कुछ की मौत भी हो चुकी है।

इस स्थिति को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी अब मुखर हो रहे हैं। कुछ जनपद सदस्यों और सरपंचों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पर सख्त कार्यवाही की जाए और पुलिस की मिलीभगत की जांच हो। उनका कहना है कि यदि पुलिस और प्रशासन ने गंभीरता से कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है। पुलिस विभाग की ओर से हालांकि दावा किया जा रहा है कि अवैध शराब कारोबार के खिलाफ समय-समय पर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन जमीन पर हालात इसके उलट नजर आ रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए केवल पुलिसिया कार्यवाही ही पर्याप्त नहीं होगी। इसके लिए सामाजिक जागरूकता, वैकल्पिक रोजगार के साधन और ग्रामीण विकास की ठोस योजनाएं जरूरी हैं, ताकि लोग इस अवैध धंधे में शामिल न हों।

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित और निर्णायक कदम उठाएं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में फैलते इस जहर पर रोक लगाई जा सके और पुलिस विभाग की साख भी बनी रहे। जनता अब कार्यवाही चाहती है, न कि सिर्फ आश्वासन।

Amar Chouhan

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