बरौद के विस्थापितों की पुकार: बिजली के इंतजार में अंधेरे में डूबा गांव, फिर पहुंचा ज्ञापन लेकर दफ्तर

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा। एसईसीएल रायगढ़ क्षेत्र के विस्थापन की मार झेल रहे ग्राम बरौद के ग्रामीण आज भी अंधेरे में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। विस्थापन के बाद जहां अधिकांश परिवार अपने नए ठिकानों में बसने लगे हैं, वहीं लगभग 15 प्रतिशत किसान अब भी अपनी अर्जन क्षेत्र से बाहर की निजी भूमि पर रह रहे हैं। इन परिवारों को न तो अब तक बिजली सुविधा मिल पाई है, न ही बेहतरीन जीवन की उम्मीदों ने आकार लिया है। ग्राम पंचायत बरौद अंतर्गत करीब 60 भूमिहीन और छोटे किसान परिवार राजस्व वन भूमि पर वर्षों से निवासरत हैं, जबकि 50 से अधिक गरीब परिवार अपने घरों का निर्माण कार्य कर रहे हैं। बावजूद इसके, आज तक किसी को बिजली की रोशनी नसीब नहीं हुई। अंधेरे और असुविधा में जीवन गुजार रहे इन ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय बिजली विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
सोमवार को ग्राम के ग्रामीणों ने सरपंच प्रतिनिधि संतकुमार राठिया के नेतृत्व में विद्युत विभाग घरघोड़ा का रुख किया और विभाग के मुख्य अभियंता को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की कि विस्थापित परिवारों और राजस्व भूमि पर निवासरत गरीब परिवारों को तत्काल बिजली कनेक्शन और नया ट्रांसफार्मर उपलब्ध करवाया जाए। उनका कहना है कि एसईसीएल द्वारा विस्थापन की प्रक्रिया में कई परिवारों की उपेक्षा की गई है, जिससे अब उनका जीवन संकट में है।

क्या बोले विभाग के अधिकारी – मुख्य अभियंता, विद्युत विभाग, घरघोड़ा ने इस मामले पर कहा कि ग्रामीणों की शिकायत को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। जैसे ही आदेश प्राप्त होगा, क्षेत्र में शीघ्र विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
वहीं सरपंच प्रतिनिधि संतकुमार राठिया ने कहा कि “हमने कई बार प्रशासन से आग्रह किया है, पर यदि अब भी समाधान नहीं हुआ तो हमें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।” उन्होंने बताया कि गांव के बच्चों की पढ़ाई, महिलाओं की सुरक्षा और दैनिक जीवन सब कुछ बिजली की कमी से प्रभावित हो रहा है।बरौद के ग्रामीणों की यह लड़ाई सिर्फ बिजली के लिए नहीं, बल्कि विकास और समान अधिकारों की मांग का प्रतीक बन चुकी है। अब देखना यह होगा कि विभागीय कार्रवाई कब तक इन अंधेरे में डूबे घरों में रोशनी पहुंचा पाती है।