बरकसपाली पंचायत में 19 लाख से अधिक की वित्तीय अनियमितता का खुलासा: सचिव समीर बेहरा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के तमनार जनपद पंचायत के अंतर्गत बरकसपाली ग्राम पंचायत में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो पंचायती राज व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। पंचायत सचिव समीर बेहरा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ही फर्म ‘बेहरा ट्रेडर्स’ के माध्यम से पंचायत को 19 लाख 48 हजार 246 रुपये की सामग्री सप्लाई कर स्वहित में शासकीय धन का दुरुपयोग किया। यह खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ, जिसने पंचायत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
RTI से हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा
एक सजग आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 से दिसंबर 2024 तक की वित्तीय जानकारी मांगी गई थी। जवाब में सचिव समीर बेहरा ने 315 पन्नों की जानकारी उपलब्ध कराई, जिसमें से 47 बिल उनकी ही फर्म ‘बेहरा ट्रेडर्स’ के नाम पर पाए गए। यह स्पष्ट करता है कि सचिव ने अपने पद का दुरुपयोग कर पंचायत के संसाधनों को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया। इसके अतिरिक्त, आरोप है कि समीर बेहरा ने पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) कमीशन और अन्य शासकीय कार्यों के भुगतान भी अपने परिजनों को किए, जो नैतिकता और नियमों का खुला उल्लंघन है।
पंचायत में मचा हड़कंप, ग्रामीणों में आक्रोश
पतरापाली गांव के निवासी और बरकसपाली पंचायत के सचिव समीर बेहरा की इस करतूत ने ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश पैदा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत के विकास कार्यों के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग कर गांव की प्रगति को बाधित किया गया है। जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में तत्काल जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी अनियमितताएं न केवल पंचायती राज की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि ग्रामीण विकास को भी प्रभावित करती हैं।
पंचायती राज व्यवस्था पर उठे सवाल
यह मामला केवल समीर बेहरा तक सीमित नहीं है, बल्कि सरपंच, पंचायत समिति और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाता है। पंचायत के वित्तीय लेन-देन की निगरानी में स्पष्ट लापरवाही बरती गई, जिसके कारण इतनी बड़ी अनियमितता लंबे समय तक सामने नहीं आई। यह पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।
रायगढ़ जिले में ये मामले पंचायती राज व्यवस्था में गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। पंचायत सचिव, सरपंच, और जनपद पंचायत के अधिकारियों की मिलीभगत से शासकीय धन का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे ग्रामीण विकास की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। पंचायती राज मंत्रालय की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंचायती राज संस्थाएं (PRIs) अपने राजस्व का केवल 1% करों से उत्पन्न करती हैं, और 80% केंद्र सरकार के अनुदान पर निर्भर हैं। इस स्थिति में धन के दुरुपयोग का सीधा असर ग्रामीण विकास पर पड़ता है।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए जरूरी कदम
इस तरह की अनियमितताओं को रोकने और पंचायती राज व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
1. तत्काल जांच और कार्रवाई: जिला प्रशासन और पंचायती राज विभाग को इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करनी चाहिए। जांच में सभी संबंधित दस्तावेजों और भुगतानों की गहन पड़ताल होनी चाहिए।
2. सख्त दंडात्मक कार्रवाई: यदि समीर बेहरा और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों की संलिप्तता सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ निलंबन, बर्खास्तगी और आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
3. पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन: पंचायत के सभी वित्तीय लेन-देन को ऑनलाइन पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए, ताकि ग्रामीण और आरटीआई कार्यकर्ता आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकें।
4. निगरानी तंत्र को मजबूत करना: जनपद पंचायत और जिला प्रशासन को नियमित ऑडिट और निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए। पंचायत सचिव, सरपंच और सीईओ की जवाबदेही तय की जाए।
5. जागरूकता और प्रशिक्षण: ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकारों और पंचायत की कार्यप्रणाली के बारे में जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित किए जाएं। साथ ही, पंचायत कर्मियों को वित्तीय प्रबंधन और नैतिकता का प्रशिक्षण दिया जाए।
भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत के लिए सामूहिक प्रयास
बरकसपाली पंचायत में हुआ यह घोटाला एक चेतावनी है कि पंचायती राज व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। समीर बेहरा जैसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई न केवल इस मामले को हल करेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए एक मिसाल भी कायम करेगी। ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि पंचायत का प्रत्येक पैसा गांव के विकास के लिए उपयोग हो, न कि निजी स्वार्थों के लिए।
जिला प्रशासन से अपील है कि इस मामले में त्वरित और पारदर्शी जांच कर दोषियों को सजा दी जाए, ताकि पंचायती राज में जनता का विश्वास बहाल हो और भ्रष्टाचार का अंत हो.