बनई में खिली अवैध ‘हरियाली’, संयुक्त टीम की कार्रवाई में 10 लाख के गांजा पौधे जलाए गए

बाहरी तस्करों का नेटवर्क सक्रिय, स्थानीय आदिवासियों को बना रहे थे ढाल
एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम बनई/राउरकेला।
बनई क्षेत्र में सोमवार को पुलिस, वन विभाग और आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने अवैध गांजा खेती के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हुए इस अभियान में लगभग 10 लाख रुपये मूल्य के गांजा पौधों को मौके पर ही जलाकर नष्ट कर दिया गया। यह कार्रवाई टिकायतपाली थाना क्षेत्र के भालुपानी पंचायत के अंतर्गत आने वाले बरघाट, झांडीसाही, अनानसाही, रांटसाही और उलसुरा गांवों में की गई, जहाँ करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर अवैध गांजा की खेती की जा रही थी।
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संगठित गिरोह के तार झारखंड से जुड़े
अधिकारियों ने बताया कि यह खेती किसी छोटे स्तर की नहीं थी, बल्कि संगठित गिरोह के संरक्षण में व्यवस्थित रूप से की जा रही थी। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि झारखंड के कुछ मादक पदार्थ माफिया स्थानीय ग्रामीणों, विशेषकर आदिवासी परिवारों को प्रलोभन देकर इस अवैध काम में शामिल कर रहे थे। उन्हें थोड़े से पैसों का लालच देकर गांजा पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने को कहा जाता था।
“कई ग्रामीणों को यह भी नहीं पता था कि वे जो पौधे उगा रहे हैं, वह कानूनी रूप से प्रतिबंधित हैं,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।
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स्थानीयों के सवाल — ‘इतनी बड़ी खेती की जानकारी पहले क्यों नहीं मिली?’
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों के बीच आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांजा के पौधे पूरी तरह विकसित अवस्था में थे — यह महीनों की खेती थी, फिर भी विभाग को इसकी भनक पहले क्यों नहीं लगी?
एक ग्रामीण ने कहा, “अगर प्रशासन पहले जागता तो इतने बड़े पैमाने पर खेती संभव नहीं होती। यह नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय है।”
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अधिकारियों ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी
संयुक्त अभियान का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों ने बताया कि पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। इसमें शामिल व्यक्तियों की पहचान, तस्करों के नेटवर्क और वित्तीय लाभ के रास्तों की जांच की जाएगी।
“हमारा उद्देश्य सिर्फ पौधे नष्ट करना नहीं है, बल्कि इस अवैध कारोबार की जड़ तक पहुँचना है,” एक अधिकारी ने कहा। उन्होंने बताया कि आगे संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर गिरफ्तारी अभियान भी चलाया जाएगा।
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जनजागरूकता अभियान की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के इलाकों में जनजागरूकता और वैकल्पिक आजीविका योजनाओं की कमी के कारण ग्रामीण ऐसे अवैध कामों की ओर आकर्षित होते हैं। यदि प्रशासन स्थानीय युवाओं को रोज़गार और सुरक्षा का भरोसा दिलाए, तो इस तरह की घटनाओं में काफी कमी आ सकती है।