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संस्कारधानी रायगढ़ जिले में खून की बरसात: दो माह में 9 हत्याएं, रिश्तों का कत्ल करने लगे अपने — लालच, रंजिश और नशे ने बदल डाले चेहरे

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। संस्कार, संस्कृति और संगीत की धरती रायगढ़, जो अपनी सभ्यता और कला के लिए जानी जाती है, आज खून से रंगती जा रही है। बीते दो महीनों — सितंबर और अक्टूबर 2025 — में जिले में हत्या की 9 वारदातें सामने आई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर मामलों में कातिल कोई अजनबी नहीं, बल्कि अपना ही निकला। कहीं जमीन और मुआवजे की लालच ने, तो कहीं पैसों के लेन-देन और चरित्र शंका ने रिश्तों को ही मौत के घाट उतार दिया।

जांच में यह भी सामने आया है कि इन हत्याओं की जड़ में आर्थिक विवाद, आपसी रंजिश और नशा मुख्य कारण बने। पुलिस के अनुसार, जिले में हर माह औसतन 4 से 5 हत्या की घटनाएं दर्ज हो रही हैं, जिनमें से ज्यादातर ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में घटित हो रही हैं।



जिले में बढ़ रहा हिंसा का ग्राफ

रायगढ़ जिला लंबे समय से ‘संस्कारधानी’ के नाम से जाना जाता है, लेकिन बीते दो वर्षों में यहां अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जनवरी 2023 से सितंबर 2025 तक जिले में 150 से अधिक हत्या के मामले दर्ज हो चुके हैं। सबसे अधिक वारदातें घरघोड़ा, धरमजयगढ़, लैलूंगा, छाल, तमनार और खरसिया जैसे विकासखंडों से सामने आई हैं।

पुलिस की तत्परता के बावजूद, हर नई वारदात यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर समाज में इतनी हिंसा क्यों पनप रही है? जांच अधिकारियों की मानें तो “नशा अब हत्या का उत्प्रेरक बन चुका है — पेट्रोल की तरह आग को भड़काने वाला।”



सितंबर–अक्टूबर में घटित 9 हत्याओं की पड़ताल

केस 1 — पारिवारिक रंजिश में दंपती की हत्या (घरघोड़ा)

ग्राम कपाटडेरा भेण्ड्रा में 21 अक्टूबर की रात गुरबार सिंह राठिया और उनकी पत्नी मनिता राठिया की निर्मम हत्या कर दी गई। आरोपियों में उनका भतीजा ओमप्रकाश राठिया और उसका रिश्तेदार शामिल थे। यह हत्या पुरानी रंजिश और पैसों के विवाद के कारण की गई थी। तीन साल पुरानी दुश्मनी ने इस खौफनाक वारदात को जन्म दिया।



केस 2 — आपसी विवाद में दोस्त की हत्या (धरमजयगढ़)

22 अक्टूबर को डुगरूपारा निवासी कैलाश सारथी का शव चांदमारी डबरी में मिला। जांच में सामने आया कि कैलाश की उसी रात सुरेश यादव उर्फ लल्ला और अजीत यादव से गाली-गलौज हुई थी। दोनों ने मिलकर उसकी हत्या की और शव को फेंक दिया।



केस 3 — मुआवजा राशि के बंटवारे में पिता की हत्या (घरघोड़ा)

2 अक्टूबर को रायकेरा गांव में घुराउ राम सिदार और उनकी सास सुकमेत सिदार की हत्या उनके ही बेटे रविशंकर सिदार ने की। एनटीपीसी मुआवजा राशि के बंटवारे को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा था। आरोपी ने पिता का गला रस्सी से दबा दिया।



केस 4 — साझेदारी के झगड़े में हत्या (तमनार)

1 अक्टूबर को कुंजेमुरा गांव के सुखमन निषाद की हत्या उसके साथी दशरथ राठिया ने की। दोनों साथ में खेती और नशा करते थे। साझेदारी के विवाद में दशरथ ने गमछे से गला घोंटकर उसकी जान ले ली।



केस 5 — ससुराल में हत्या की साजिश (घरघोड़ा)

24 सितंबर को बलराम सारथी की हत्या उसकी पत्नी के पिता रामस्वरूप ने देवनंदन राठिया और एक नाबालिग के साथ मिलकर की। बलराम और पत्नी में लगातार विवाद चल रहा था। बेटी से मारपीट की रंजिश में ससुर ने डंडा और टांगी से हमला कर दामाद की हत्या कर दी।



केस 6 — घरेलू विवाद में पत्नी की मौत (छाल)

3 सितंबर की रात ऐडुकला गांव में धनेश्वर श्रीवास ने खाने को लेकर हुए झगड़े में अपनी पत्नी शारदा श्रीवास की जमकर पिटाई कर दी। गंभीर चोटों से महिला की मौत हो गई। आरोपी रोज शराब के नशे में पत्नी से मारपीट करता था।



केस 7 — जमीन विवाद में पूरे परिवार की हत्या (सरसिया)

11 सितंबर को ग्राम ठुसेकला में बुधराम सिदार, उसकी पत्नी सहोद्रा, और दोनों बच्चे अरविंद व शिवांगी की हत्या लकेश्वर पटैल और उसके बेटे ने की। हत्या का कारण जमीन का सौदा और चरित्र शंका था। आरोपी ने पूरे परिवार का सफाया कर दिया।



केस 8 — पिता की जमीन बेचने पर बेटे ने किया कत्ल (घरघोड़ा)

1 सितंबर को कठरापाली गांव में नत्थुराम चौहान की हत्या उसके बेटे मालिकराम ने की। पिता जमीन बेचने को तैयार नहीं थे, जिससे नाराज होकर बेटे ने कुल्हाड़ी से वार कर पिता की जान ले ली।



(कुल 9वां केस)

सितंबर–अक्टूबर में अन्य एक हत्या पैसों के लेन-देन से उपजे विवाद में दर्ज की गई है, जिसमें आरोपी व मृतक दोनों परिचित थे। पुलिस ने सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है।



जमीन, पैसा और नशा — तीनों ने छीने संस्कार

इन नौ घटनाओं ने एक गहरी सच्चाई उजागर की है — संस्कारधानी की मिट्टी में अब असंयम और हिंसा की गंध घुलने लगी है। हर दूसरी हत्या में जमीन या मुआवजे का विवाद, पैसों का लालच या नशे की लत शामिल रही। रिश्ते और मानवीय संवेदनाएँ इस लालच के आगे हारती जा रही हैं।



विशेषज्ञों की राय

सामाजिक विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती आर्थिक असमानता, नशे का प्रसार और न्यायिक प्रक्रियाओं में विलंब लोगों को हिंसा की ओर धकेल रहे हैं। वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि “हर हत्या का कारण भले अलग हो, लेकिन जड़ एक ही है — नियंत्रण का अभाव और क्रोध पर संयम की कमी।”



अंतिम पंक्ति

रायगढ़ की यह तस्वीर दर्दनाक है — जहां संस्कारों की धरती अब खून से भीग रही है। जरूरत है समाज में संवाद, संयम और संवेदना को फिर से जीवित करने की, ताकि रिश्ते लालच और रंजिश की भेंट न चढ़ें।

Amar Chouhan

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