पूर्व में हुई भू-अर्जन गड़बड़ी के बाद अब महाजेंको को भी आपत्ति

महाजेंको, भारतीय रेल, सीएसपीजीसीएल, एनटीपीसी के अलावा पूर्व में कई कंपनियों को हो चुका है नुकसान
तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र में उद्योग लगे, कोयला खदान शुरू हों या रेल लाइन बिछे, परियोजना की शुरुआत ही घोटालों से होती है। सीएसपीजीसीएल की आपत्ति को खारिज कर दिया गया इसलिए बजरमुड़ा कांड हुआ। इसी तरह दूसरी कंपनियों ने भी आपत्ति की है, लेकिन गड़बड़ी रुक ही नहीं रही है क्योंकि राजस्व विभाग इसे रोकना नहीं चाहता। महाजेंको ने भी प्रारंभिक तौर पर आपत्ति जताई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं देखी गई है।
रायगढ़ जिले में भूमि अधिग्रहण भी एक व्यवसाय बन चुका है। इसे कई जमीन दलाल और दागी राजस्व अधिकारी, कर्मचारी अवसर की तरह देखते हैं। भारतीय रेल को नुकसान हुआ तो उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई। इससे भू-अर्जन अधिकारी को जवाब देना मुश्किल हो गया है। रेलवे का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। आठ गांवों में रेल लाइन के लिए 88 करोड़ मांगे गए थे जिसे देने से रेलवे ने इंकार कर दिया है। इसी तरह की आपत्ति सीएसपीजीसीएल ने भी की थी लेकिन इसे खारिज कर जल्द से जल्द 415 करोड़ का मुआवजा जमा करने का आदेश दिया गया। यह राशि बेहद तेजी से बांटी गई। सूत्रों के मुताबिक राशि का भुगतान करने वाला छोटा-सा बाबू भी करोड़पति बन गया।
इसी तरह अब एक और घोटाला जल्द सामने आने वाला है। सर्वे के बाद पूरी कलई खुल जाएगी। महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोयला खदान गारे पेलमा सेक्टर-2 में 14 गांवों की जमीन अधिग्रहित की जानी है। यहां भी बजरमुड़ा की तरह अनाधिकृत निर्माण किए जा चुके हैं। बजरमुड़ा कांड उजागर नहीं होता और महाजेंको की पर्यावरणीय स्वीकृति खारिज नहीं होती तो यहां भी राशि बांटने का काम शुरू हो जाता। अभी इन 14 गांवों में सर्वे होना है। पुराने तर्ज पर सर्वे हुआ तो इन गांवों में मुआवजा देते-देते कंपनी दिवालिया हो जाएगी। इसलिए बताया जा रहा है कि कंपनी मुख्यालय को एक रिपोर्ट भी दी गई है। सरकारी उपक्रम होने के कारण कंपनी ऐसी गड़बड़ी को अनदेखा नहीं कर सकती। इससे महाराष्ट्र सरकार को नुकसान होना तय है।
महाजेंको से प्रभावित 14 गांवों में बिना डायवर्सन के व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बना लिए गए। बाहरी लोगों ने छोटे टुकड़ों में जमीनें खरीदीं और उस पर अवैध निर्माण भी करवा लिए। कहा जा रहा है कि यहां कई अवैध निर्माणों में सरकारी अफसरों ने निवेश भी किया है। अभी एक-एक करके सारे घपले खुल रहे हैं। लेकिन एक भी दोषी को दंड नहीं दिया जा सका है। यह आपराधिक मामला सीबीआई के पास भी पहुंच चुका है।