पूंजीपथरा के एनआरवीएस प्लांट में भट्ठी ब्लास्ट: असुरक्षित कार्यपद्धति पर औद्योगिक सुरक्षा विभाग की सख्ती, प्रबंधन को नोटिस जारी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, जिसे कभी छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी कहा जाता था, अब लगातार हो रहे औद्योगिक हादसों के कारण सुर्खियों में है। बुधवार सुबह एक बार फिर पूंजीपथरा स्थित एनआर ग्रुप के एनआरवीएस उद्योग में बड़ा हादसा हो गया। भट्ठी नंबर 4 में बॉयलिंग की घटना से फैला गर्म मटेरियल अचानक बाहर निकल पड़ा, जिससे वहां कार्यरत क्रेन ऑपरेटर रामनयन यादव गंभीर रूप से झुलस गए और एक अन्य कर्मचारी राजू साहू घायल हो गया। हादसे के तुरंत बाद घायलों को स्थानीय अस्पताल लाया गया, जहां से रामनयन को गंभीर अवस्था में रायपुर रेफर किया गया है।

हादसे के बाद अफरा-तफरी, विभाग की टीम मौके पर पहुँची
घटना बुधवार सुबह करीब 8 बजे की बताई जा रही है। हादसे के बाद प्लांट परिसर में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान भगदड़ में राजू साहू का पैर फ्रैक्चर हो गया। वहीं, भट्ठी के पास तैनात क्रेन ऑपरेटर रामनयन यादव गर्म मटेरियल की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलस गए।
सूचना मिलते ही औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग (IHSD) की टीम मौके पर पहुँची। उप संचालक राहुल पटेल के नेतृत्व में टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और प्रबंधन से प्रारंभिक पूछताछ की।
“असुरक्षित कार्यपद्धति के कारण हुआ हादसा” — विभाग की प्रारंभिक जांच
उप संचालक राहुल पटेल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में हादसे का कारण असुरक्षित कार्यपद्धति (Unsafe Working Method) पाया गया है। इस आधार पर विभाग ने प्लांट के अधिभोगी सह मैनेजर को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है।
> “हादसे के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया। हमने प्लांट प्रबंधन से विस्तृत रिपोर्ट और जवाब मांगा है। जवाब प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी,”
— राहुल पटेल, उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग रायगढ़
रायगढ़ में हादसों की बढ़ती श्रृंखला पर सवाल
रायगढ़ के औद्योगिक क्षेत्रों — पूंजीपथरा, तमनार, घरघोड़ा, बरमकेला और कोसाबाड़ी — में पिछले कुछ महीनों से एक के बाद एक हादसे हो रहे हैं। हर बार हादसे के बाद “सुरक्षा उपायों को कड़ा करने” की बातें होती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस सुधार दिखाई नहीं देता। एनआरवीएस हादसा भी इसी लापरवाही की एक और कड़ी साबित हो रहा है।
स्थानीय श्रमिक संगठनों ने कहा कि यदि समय रहते सुरक्षा ऑडिट और नियमित निरीक्षण किए जाते, तो इस तरह के हादसे टाले जा सकते थे। श्रमिक संघ के एक पदाधिकारी ने कहा —
> “हर हादसे के बाद कुछ दिन चर्चा होती है, फिर सब सामान्य हो जाता है। लेकिन हर बार झुलसते हैं मजदूर, नोटिस मिलते हैं अधिकारियों को, और सवाल खड़े रह जाते हैं सुरक्षा पर।”
प्रबंधन की सफाई का इंतजार
विभाग ने प्रबंधन को निर्धारित समय सीमा में जवाब देने का निर्देश दिया है। प्रबंधन की प्रतिक्रिया आने के बाद आईएचएसडी आगे की कार्रवाई तय करेगा। संभावना जताई जा रही है कि दोष सिद्ध होने पर कंपनी पर जुर्माना या संचालन में रोक जैसी कार्रवाई हो सकती है।
फिलहाल हादसे से पूंजीपथरा औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा मानकों की गंभीर स्थिति एक बार फिर उजागर हो गई है, जहाँ उत्पादन के दबाव में सुरक्षा को अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है।