पुत्र की संदिग्ध मौत पर परिजनों का फूटा गुस्सा: लैलूंगा पुलिस के जांच पर सवाल, कलेक्टर दरबार में दोबारा पोस्टमार्टम और रि–इंवेस्टिगेशन की मांग

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। लैलूंगा थाना क्षेत्र के घियारमुड़ा निवासी श्रवण सिदार की नदी में 20 अक्टूबर को हुई संदिग्ध मौत ने अब नया मोड़ ले लिया है। परिजन पुलिस की प्रारंभिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से असंतुष्ट हैं। सोमवार को परिजन कलेक्टर दरबार पहुंचे और पूरे मामले की दोबारा जांच कराने की मांग की।
“चोटों का जिक्र क्यों नहीं?”—पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर बड़ा सवाल
परिजनों के अनुसार शव मिलने के बाद कान, मुंह, पीठ और गले पर कई चोटों के निशान स्पष्ट दिख रहे थे।
परिजनों का आरोप है—
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इन चोटों का उल्लेख नहीं किया गया,
कपड़े भी अधूरे भीगे हुए थे, जो घटना को संदिग्ध बनाते हैं,
पुलिस ने मौत को मिर्गी का अटैक बताकर हत्या की आशंका को नजरअंदाज कर दिया।
परिजनों ने यह भी दावा किया कि श्रवण को पहले कभी मिर्गी की शिकायत नहीं थी। ऐसे में ‘दुर्घटना या बीमारी’ बताकर मामले को जल्दी खत्म करने पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

कलेक्टर दरबार में परिजनों का रोष, न्याय की मांग
परिजन सोमवार को कलेक्टर दरबार पहुंचे, जहां उन्होंने
कलेक्टर को लिखित आवेदन देकर—
पोस्टमार्टम बोर्ड बनाने,
घटनास्थल की दोबारा जांच,
मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल, और आसपास के चश्मदीदों के बयान
को फिर से शामिल करते हुए निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
जांच में देरी पर उठे सवाल, पुलिस की कार्यप्रणाली कटघरे में
स्थानीय स्तर पर भी इस घटना ने चर्चा को जन्म दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि—
मौत के हालात संदिग्ध हैं,
चोटों की जानकारी नजरअंदाज नहीं की जा सकती,
पुलिस ने शुरुआती जांच में गंभीरता नहीं दिखाई।
फिलहाल मामला कलेक्टर दरबार में विचाराधीन है और प्रशासन द्वारा आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
समाचार सहयोगी हरीश चौहान