पावर प्लांट हादसे में चार मजदूरों की मौत, पुलिस ने निदेशकों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर की दर्ज

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 9 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के डभरा क्षेत्र स्थित आर.के.एम. पावर जेनरेशन प्राइवेट लिमिटेड प्लांट में 7 अक्टूबर को हुई भयावह औद्योगिक दुर्घटना ने मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस महानिरीक्षक संजय शुक्ला और पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा के मार्गदर्शन में सक्ती पुलिस ने अभूतपूर्व कार्रवाई करते हुए प्लांट के मालिकों, निदेशकों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया है। यह औद्योगिक हादसों में पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है, जहां प्रबंधन की लापरवाही को सीधे अपराध मानते हुए निदेशकों को निशाना बनाया गया।
हादसे की दर्दनाक पृष्ठभूमि
7 अक्टूबर की रात को प्लांट के बॉयलर सेक्शन में मेंटेनेंस कार्य के दौरान 10 मजदूर एक औद्योगिक लिफ्ट से लगभग 40 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ रहे थे। अचानक लिफ्ट के तार टूटने से वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ी, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि लिफ्ट की क्षमता 2,000 किलोग्राम थी, लेकिन उसकी नियमित तकनीकी जांच नहीं की गई थी। हाल ही में 29 सितंबर को मेंटेनेंस का दावा किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ।
हादसे में अंजनी कुमार, मिश्रीलाल, रविंद्र कुमार और एक अन्य अज्ञात मजदूर की मौके पर या इलाज के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। शेष सात मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तत्काल रायगढ़ के जिंदल फोर्टिस अस्पताल पहुंचाया गया। चार घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है, जबकि दो की स्थिति स्थिर बताई जा रही है। मृतकों में से अधिकांश उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के आदिवासी श्रमिक थे, जो प्लांट में ठेके पर काम कर रहे थे।
पुलिस की त्वरित और सख्त कार्रवाई
सक्ती पुलिस ने हादसे की सूचना मिलते ही तुरंत घटनास्थल का निरीक्षण किया। प्रारंभिक जांच में गंभीर सुरक्षा चूक, मानक उल्लंघन और लापरवाही की पुष्टि होने पर आर.के.एम. पावर जेनरेशन कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 106(1) (लापरवाही से मौत का कारण बनना), 289 (सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा) एवं 3(5) (सामान्य अपराध की साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया। एसपी अंकिता शर्मा ने बताया कि यह कार्रवाई मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मिसाल कायम करेगी। पुलिस ने प्लांट प्रबंधन से सुरक्षा रिकॉर्ड और रखरखाव के दस्तावेज मांगे हैं, तथा विस्तृत जांच जारी है।

मृतकों के शवों पर विवाद, परिजनों का उग्र प्रदर्शन
हादसे के दो दिन बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। मृतकों के शव अभी तक अंतिम संस्कार के लिए परिवारों को सौंपे नहीं जा सके हैं, क्योंकि कंपनी प्रबंधन और परिजनों के बीच मुआवजे की राशि पर सहमति नहीं बन पा रही। 40 से अधिक आदिवासी परिजन सोनभद्र से रायगढ़ पहुंच चुके हैं और जिंदल फोर्टिस अस्पताल के बाहर धरना दे रहे हैं। उन्होंने खाने-पीने की व्यवस्था न होने और कंपनी की असंवेदनशीलता पर नाराजगी जताई है। आरोप है कि प्लांट के अधिकारी हादसे के बाद से लापता हैं, जबकि जिला प्रशासन से कोई वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर नहीं पहुंचा।
परिजनों ने चेतावनी दी है कि यदि 10 अक्टूबर तक मुआवजे का समाधान नहीं निकला, तो वे आर.के.एम. पावर प्लांट के मुख्य द्वार पर महाआंदोलन शुरू कर देंगे। मजदूर संगठनों ने भी प्लांट प्रबंधन की सुरक्षा लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखी है और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने का आश्वासन दिया है।
व्यापक प्रभाव और सबक
यह हादसा छत्तीसगढ़ में हाल के औद्योगिक दुर्घटनाओं की कड़ी का हिस्सा है। मात्र दो सप्ताह पूर्व 26 सितंबर को गोदावरी पावर एंड इस्पात लिमिटेड में छह मजदूरों की मौत हो चुकी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी प्लांटों में सुरक्षा ऑडिट और नियमित जांच की कमी घातक साबित हो रही है। मजदूरों के परिजनों ने सरकार से तत्काल मुआवजा, दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई और प्रभावित परिवारों के लिए नौकरी की मांग की है।
सक्ती पुलिस ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है, जबकि जांच में कोई कोताही नहीं बरती जा रही। यह घटना औद्योगिक सुरक्षा पर पुनर्विचार की मांग को तेज कर रही है।