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पाँचवीं अनुसूची की सरहद पर कोयले की दस्तक: धरमजयगढ़ में पेसा कानून की अनदेखी, हाथियों और आदिवासी अधिकारों पर संकट (देखें वीडियो)

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम

धरमजयगढ़ (रायगढ़)।
धरमजयगढ़ वन मंडल को वर्षों से जंगली हाथियों का सुरक्षित गढ़ माना जाता रहा है। साल भर अलग–अलग रेंजों में हाथियों के झुंडों की आवाजाही इस क्षेत्र की पहचान है। छाल और धरमजयगढ़ रेंज का घना जंगल न केवल वन्यजीवों का आश्रय है, बल्कि यहां बसने वाले आदिवासी समुदायों की जीवनरेखा भी। लेकिन अब यही इलाका कोल ब्लॉकों की जद में है, और यहीं से टकराव की कहानी शुरू होती है।

धरमजयगढ़ वन मंडल के संवेदनशील क्षेत्रों में कुल 18 कोल ब्लॉक चिन्हांकित किए गए हैं। इनमें से 6 ब्लॉकों की नीलामी पहले ही हो चुकी है, जबकि शेष को लेकर तैयारी जारी है। दुर्गापुर-2 तराईमार और दुर्गापुर-2 सरिया कोल ब्लॉक कर्नाटक पावर लिमिटेड के लिए प्रस्तावित बताए जा रहे हैं। इसके अलावा सेरबन, एसईसीएल दुर्गापुर-शाहपुर, इंद्रमणि और अंबुजा–अडानी समूह का पुरुंगा कोल ब्लॉक भी इसी सूची में शामिल है।

जिन 12 अन्य ब्लॉकों को चिन्हित किया गया है, उनमें नवागांव ईस्ट–वेस्ट, ओंगना–पोटिया, कोइलार, चैनपुर, रामनगर, तेंदुमुरी, बोजिया, फतेपुर, फतेपुर ईस्ट, वेस्ट ऑफ बायसी और छाल जैसे क्षेत्र शामिल हैं—यानी वही इलाके, जहां घना जंगल, हाथियों के कॉरिडोर और आदिवासी गांव एक–दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।



ग्रामीणों का सवाल सीधा है—जब क्षेत्र पाँचवीं अनुसूची में आता है और छत्तीसगढ़ पेसा कानून 2022 लागू है, तो ग्रामसभा की सहमति के बिना नीलामी कैसे?
इसी सवाल को लेकर सोमवार को ग्राम नवागांव में विरोध खुलकर सामने आया। जंगल के बीच आदिवासी समाज ने पारंपरिक रीति–रिवाजों के साथ जंगल की पूजा की, हाथियों की सुरक्षा की कामना की और फिर हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए नवागांव ईस्ट और वेस्ट कोल ब्लॉक की नीलामी पर तत्काल रोक की मांग की।

ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी भी परियोजना को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनके अनुसार यह केवल जमीन का मामला नहीं, बल्कि जल–जंगल–जमीन और पीढ़ियों के अस्तित्व का प्रश्न है।

29 दिसंबर को बड़ा आंदोलन तय
धरमजयगढ़ क्षेत्र में कोल ब्लॉकों और हाथियों की सुरक्षा को लेकर लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है। बुधवार को नवागांव में हुई बैठक में अमापाली, हाटी, कीदा समेत आसपास के कई गांवों के सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे। बड़ी संख्या में आदिवासी महिला–पुरुषों की मौजूदगी में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 29 दिसंबर को हजारों ग्रामीण सड़क पर उतरेंगे। रैली और आमसभा के माध्यम से 18 कोल ब्लॉकों को निरस्त करने और नई नीलामी पर रोक की मांग उठाई जाएगी।

ग्रामीणों ने चेतावनी भी दी कि यदि जंगल, जमीन और जंगली हाथियों की सुरक्षा से खिलवाड़ जारी रहा, तो आंदोलन और अधिक व्यापक व उग्र रूप ले सकता है।

धरमजयगढ़ का यह संघर्ष अब केवल स्थानीय विरोध नहीं रहा। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या विकास की आड़ में संविधान की पाँचवीं अनुसूची और पेसा कानून को दरकिनार किया जा सकता है?
जवाब फिलहाल सड़कों पर गूंजने की तैयारी में है।

Amar Chouhan

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