Latest News

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के दोषी आसाराम बापू को अनुयायियों से न मिलने की शर्त पर इलाज के लिए अंतरिम जमानत दी

अमरदीप चौहान/अमरखबर: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 जनवरी) बलात्कार के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कथावाचक आसाराम बापू को 31 मार्च तक के लिए अंतरिम जमानत दी। आसाराम बापू को गुजरात की एक अदालत दोषी ठहराया था। अंतरिम जमानत का आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने पारित किय। पीठ ने जमानत के आदेश में एक शर्त भी जोड़ी है कि जोधपुर जेल से रिहा होने पर बापू को अपने अनुयायियों से नहीं मिलना चाहिए। जोधपूर में वह बलात्कार के अन्य मामले में सजा काट रहे हैं।

आसाराम बापू की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत, एडवोकेट राजेश गुलाब इनामदार और एडवोकेट शाश्वत आनंद ने जमानत के लिए दी गई दलीलों मामले की मेरिट्स और दोषी की चिकित्सा स्थिति दोनों पर जोर दिया। यह तर्क दिया गया कि दोषसिद्धि केवल अभियोजन पक्ष की गवाही पर आधारित थी, बिना किसी पुष्ट साक्ष्य के थी। उन्होंने अभियोजन पक्ष के मामले में विसंगतियों की ओर इशारा किया। हालांकि, न्यायालय ने मामले की गंभीरता पर विचार न करने का विकल्प चुना और याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ही विचार किया, जिससे एसएलपी का निपटारा हो गया। सुप्रीम कोर्ट सीनियर एडवोकेट कामत ने आसाराम की बढ़ती उम्र, दिल के दौरे की हिस्ट्री और अन्य गंभीर सहवर्ती बीमारियों पर प्रकाश डाला, और तर्क दिया कि निरंतर कारावास से उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। यह आग्रह किया गया कि न्यायालय उन्हें जेल के बाहर तत्काल चिकित्सा देखभाल तक पहुंच प्रदान करने के लिए जमानत दे सकता है। गुजरात राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया, आसाराम की सजा की गंभीरता पर जोर दिया और कहा कि हिरासत में उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध थीं।

सभी दलीलों पर विचार करने के बाद, कोर्ट ने 31 मार्च, 2025 तक मेडिकल जमानत दे दी, जिससे आसाराम को आवश्यक उपचार मिल सके। पीठ ने स्पष्ट किया कि राहत केवल मानवीय आधार पर दी गई थी और जमानत अवधि के दौरान लगाई गई शर्तों का अनुपालन करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि जमानत अवधि समाप्त होने के करीब आसाराम की मेडिकल स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है। जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने 22 नवंबर को गुजरात के गांधीनगर जिले कोर्ट की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने के लिए आसाराम बापू द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। 

उल्लेखनीय है कि एक सत्र न्यायालय ने 31 जनवरी, 2023 को आसाराम बापू को अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम में अपनी महिला शिष्या के साथ कई बार बलात्कार करने का दोषी पाया और उन्हें दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्हें आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 357 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंधक बनाने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत दोषी ठहराया गया था।

इसके बाद बापू ने सजा के निलंबन की मांग करते हुए गुजरात ‌हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन पिछले साल अगस्त में इसे खारिज कर दिया गया था। एक मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य बलात्कार मामले में सजा के संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली बापू की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें मार्च 2024 में पुलिस हिरासत में जोधपुर के ‘आरोग्यधाम केंद्र’ में आयुर्वेदिक उपचार कराने की अनुमति दी। इसके बाद उन्हें पिछले साल 18 दिसंबर को 15 दिनों के लिए पैरोल और इलाज कराने के लिए यात्रा करने के लिए 2 अतिरिक्त दिन दिए गए।

केस ‌डिटेलः आशुमल @ आशाराम बनाम गुजरात राज्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 15945/2024


Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button