पंचायती राज की ताकत: ग्रामीणों के आंदोलन से झुकीं कंपनियाँ, एक माह में बनेगी सड़क

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़: पूँजीपथरा क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। मरम्मत के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहे थे, सिवाय ग्रामीणों के जुझारू रवैये के। यही कारण है कि ग्राम पंचायत लाखा और चिराईपानी के आक्रोशित ग्रामीणों, जिसमें महिलाएँ और पुरुष दोनों शामिल थे, को सड़क पर उतरना पड़ा। जन-प्रतिनिधियों के साथ मिलकर ग्रामीणों ने भारी वाहनों की आवाजाही रोककर आर्थिक नाकेबंदी की। दस घंटे के लंबे आंदोलन के बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और कंपनी प्रबंधन के साथ समन्वय स्थापित कर एक माह में सड़क मरम्मत का लिखित आश्वासन दिलवाया, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ।
सड़क की बदहाली का कारण:
चिराईपानी से गेरवानी को जोड़ने वाली यह कच्ची सड़क क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों जैसे श्री ओम रुपेश, वजरान, सुनील इस्पात एंड पावर लिमिटेड, सालासर स्टील एंड पावर, महालक्ष्मी कास्टिंग, श्री रियल वायर, श्याम ज्योति प्रा. लिमिटेड, राधे गोविंद केमिकल्स, और आदिशक्ति सोप इंडस्ट्रीज के भारी वाहनों की आवाजाही के लिए मुख्य मार्ग है। बारिश और लगातार भारी वाहनों के दबाव ने इस सड़क को पूरी तरह जर्जर कर दिया है। बड़े-बड़े गड्ढों ने स्थानीय ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है।
पिछले वादे और वर्तमान स्थिति:
पिछले साल जन-चौपाल में ग्रामीणों ने इस समस्या को जोर-शोर से उठाया था। तब प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सड़क के ठोस निर्माण का वादा किया था। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी सड़क की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उल्टे, गड्ढे और गहरे हो गए, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा।
आंदोलन और प्रशासन का हस्तक्षेप:
सुबह 7 बजे से ग्रामीणों ने भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी। दोपहर होते-होते ट्रकों और ट्रेलरों की लंबी कतारें लग गईं, जो रायगढ़-घरघोड़ा मुख्य मार्ग तक पहुंच गईं। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। शाम 5 बजे अतिरिक्त तहसीलदार धरना स्थल पर पहुंचीं और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। कंपनियों के प्रतिनिधियों को फोन कर बुलाया गया, जो शुरुआत में मौके पर मौजूद नहीं थे। लंबी चर्चा के बाद कंपनियों ने एक माह में सड़क की पूर्ण मरम्मत का लिखित आश्वासन दिया। इसके बाद शाम 6 बजे ग्रामीणों ने चक्काजाम समाप्त किया और भारी वाहनों की आवाजाही पुनः शुरू हुई।
ग्रामीणों का भरोसा और सवाल:
पिछले जन-चौपाल में कंपनियों के मौखिक वादों का कोई नतीजा नहीं निकला था। इस बार लिखित आश्वासन के बावजूद ग्रामीणों के मन में सवाल है कि क्या यह वादा पूरा होगा या फिर यह भी एक और “लॉलीपॉप” साबित होगा? फिर भी, ग्राम लाखा की नई पंचायत में जागरूक, शिक्षित, और जुझारू युवा जन-प्रतिनिधियों के होने से ग्रामीणों को भरोसा है कि इस बार सड़क का निर्माण जरूर होगा।
यह घटना पंचायती राज की ताकत को दर्शाती है, जहाँ ग्रामीणों की एकजुटता और जन-प्रतिनिधियों के समर्थन ने बड़ी कंपनियों को झुकने पर मजबूर कर दिया। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या एक माह में सड़क की मरम्मत पूरी होगी, या यह मुद्दा फिर से आंदोलन का रूप लेगा। ग्रामीणों का विश्वास और नई पंचायत की सक्रियता इस बदलाव की उम्मीद को और मजबूत करती है।