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नाश्ता नहीं बनाने की बात को लेकर पति से हुई कहासुनी, पत्नी ने फांसी लगाकर दी जान

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले में एक महिला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि नाश्ता बनाने के लेकर महिला और उसके पति के बीच में कहासुनी हुई थी।

कोतवाली थाना क्षेत्र में सोमवार की सुबह एक महिला ने अज्ञात कारणों से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी के बाद पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजते हुए आगे की कार्रवाई में जुट गई है।


खबर विस्तार से..
मिली जानकारी के मुताबिक, सोमवार की सुबह कोतरा रोड अटल विहार कालोनी के एस ब्लॉक के कमरा नंबर-201 में रहने वाले सतीश साहू की पत्नी ममता साहू ने अज्ञात कारणों से अपने ही घर में सिलिंग फैन से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि सतीश साहू मूलतः बिलासपुर जिले के जरोंधा गांव के रहने वाले थे, जो बीते कुछ समय से अटल विहार कालोनी में रहते हुए कैट जेसीबी कंपनी में काम करते हैं। आज सुबह नाश्ता नहीं बनाने की बात को लेकर सतीश की अपनी पत्नी ममता के साथ कहासुनी हुई थी। संभवतः इसी वजह से महिला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली होगी। 

ममता को फांसी पर लटका देख उसके पति ने फंदा काटते हुए अपनी पत्नी को नीचे उतारा, लेकिन शरीर में कोई हलचल न होता देख उसने पूरे मामले की जानकारी सिटी कोतवाली में दी। इस मामले की जानकारी मिलते ही सिटी कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंचकर मर्ग पंचनामा कार्रवाई पश्चात शव को पोस्टमार्टम के लिये अस्पताल भेजते हुए आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

रायगढ़ जिले में हुई ममता साहू की आत्महत्या की घटना, जहां नाश्ता न बनाने को लेकर पति-पत्नी के बीच कहासुनी के बाद ममता ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी, आजकल समाज में छोटी-छोटी बातों पर होने वाली ऐसी दुखद घटनाओं का एक उदाहरण है। यह घटना न केवल व्यक्तिगत तनाव और पारिवारिक कलह को उजागर करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबावों के प्रति जागरूकता की कमी को भी दर्शाती है। साइकोलॉजी विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी घटनाएं मानसिक तनाव, संवाद की कमी, और भावनात्मक प्रबंधन की असफलता का परिणाम हो सकती हैं।

साइकोलॉजिकल विश्लेषण
1. पारिवारिक तनाव और संवादहीनता: ममता साहू और उनके पति सतीश साहू के बीच नाश्ता न बनाने जैसी छोटी-सी बात पर हुई कहासुनी ने एक गंभीर परिणाम को जन्म दिया। साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, छोटी-छोटी बातें तब बड़ी बन जाती हैं, जब दंपति के बीच संवाद की कमी, आपसी समझ का अभाव, या लंबे समय तक चला आ रहा तनाव मौजूद हो। यह तनाव अक्सर अनसुलझे मुद्दों, जैसे कि आर्थिक दबाव, सामाजिक अपेक्षाएं, या व्यक्तिगत असंतोष से उत्पन्न हो सकता है।

2. मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी: भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभी भी सीमित है। ममता साहू की आत्महत्या संभवतः आवेगपूर्ण निर्णय का परिणाम हो सकती है, जो गहरे मानसिक दबाव या अवसाद का संकेत देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आत्महत्या जैसी घटनाएं अक्सर लंबे समय तक अनदेखा किए गए मानसिक तनाव, चिंता, या डिप्रेशन का परिणाम होती हैं। यदि समय रहते ऐसे लोगों को काउंसलिंग या समर्थन मिल जाए, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव: भारतीय समाज में, विशेष रूप से महिलाओं पर, घरेलू जिम्मेदारियों जैसे खाना बनाने, परिवार की देखभाल करने जैसे कार्यों को लेकर अपेक्षाएं बहुत अधिक होती हैं। नाश्ता न बनाने जैसी छोटी-सी बात पर कहासुनी का बढ़ना और आत्महत्या तक पहुंचना इस बात का संकेत है कि सामाजिक अपेक्षाएं और लैंगिक भूमिकाएं भी तनाव का कारण बन सकती हैं। साइकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, ऐसी अपेक्षाएं व्यक्तियों पर अनावश्यक दबाव डालती हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

4. आवेगपूर्ण व्यवहार और तनाव प्रबंधन: साइकोलॉजिकल अध्ययनों के अनुसार, तनावपूर्ण परिस्थितियों में आवेगपूर्ण निर्णय लेना, जैसे आत्महत्या, अक्सर तब होता है जब व्यक्ति के पास तनाव से निपटने के लिए स्वस्थ तंत्र नहीं होते। ममता साहू के मामले में, संभवतः कहासुनी के बाद भावनात्मक उथल-पुथल ने उन्हें ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि तनाव प्रबंधन तकनीकें, जैसे ध्यान, गहरी सांस लेना, या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात करना, ऐसी परिस्थितियों में मददगार हो सकता है।

ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय
1. मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता: समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए।

2. काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम: सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को सुलभ और सस्ती काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करनी चाहिए। हेल्पलाइन नंबर जैसे कि भारत में किरन हेल्पलाइन (1800-599-0019) को अधिक प्रचारित करने की आवश्यकता है।

3. पारिवारिक संवाद को बढ़ावा: दंपतियों को आपसी संवाद और समझ को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। वैवाहिक काउंसलिंग या पारिवारिक थेरेपी इस दिशा में सहायक हो सकती है।

4. लैंगिक अपेक्षाओं पर पुनर्विचार: समाज को लैंगिक भूमिकाओं और अपेक्षाओं को लेकर संवेदनशील होने की जरूरत है। घरेलू कार्यों को केवल महिलाओं की जिम्मेदारी न मानकर इसे साझा जिम्मेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए।

5. तनाव प्रबंधन प्रशिक्षण: व्यक्तियों को तनाव प्रबंधन की तकनीकों, जैसे माइंडफुलनेस, योग, और मेडिटेशन, के बारे में शिक्षित करना चाहिए। यह उन्हें आवेगपूर्ण निर्णयों से बचने में मदद कर सकता है।


ममता साहू की आत्महत्या जैसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि छोटी-सी दिखने वाली बातें भी गहरी मानसिक और भावनात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

Amar Chouhan

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