नज़र की पहचान से खुले बैंकिंग के द्वार, पालिघाट-करमागढ़ के ग्रामीणों को मिली बड़ी सौगात

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम पालिघाट, करमागढ़।
ग्रामीण अंचल में बैंकिंग सुविधाओं को आसान और सम्मानजनक बनाने की दिशा में एक सराहनीय पहल सामने आई है। पालिघाट, करमागढ़ स्थित एसबीआई कियोस्क में अब आईरिस स्कैनर के जरिए खाताधारकों की पहचान की सुविधा शुरू हो गई है। इस नई व्यवस्था से खासकर बुजुर्गों, मेहनतकश श्रमिकों और उन लोगों को बड़ी राहत मिली है, जिनकी उंगलियों के निशान फिंगरप्रिंट मशीन में स्पष्ट नहीं आते थे।
एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्र पालिघाट, करमागढ़ पर बैंक मित्र ओम प्रकाश शर्मा की सक्रिय पहल से शुरू हुई यह सुविधा अब ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग के जरिए खाताधारकों की पहचान हो रही है, जिससे नकद निकासी सहित अन्य बैंकिंग सेवाएं बिना किसी झंझट के मिल रही हैं।
अब तक स्थिति यह थी कि फिंगरप्रिंट असफल होने पर बुजुर्गों और श्रमिकों को दूरस्थ बैंक शाखाओं के चक्कर लगाने पड़ते थे। समय, पैसा और शारीरिक असुविधा—तीनों का सामना करना पड़ता था। आईरिस स्कैनर शुरू होने के बाद यह परेशानी लगभग खत्म हो गई है। लोग अपने ही गांव में, नजदीकी ग्राहक सेवा केंद्र से बैंकिंग काम निपटा पा रहे हैं।
ग्रामीणों में इस नई सुविधा को लेकर उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। महिलाओं और बुजुर्गों का कहना है कि अब उन्हें बैंकिंग के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और सम्मान के साथ उनका काम हो जाता है।
इस मौके पर एसबीआई बैंक मित्र ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस सुविधा को धरातल पर उतारने में बैंक अधिकारियों का पूरा सहयोग रहा। उन्होंने विशेष रूप से बी.एल. पुर्ति, दिलीप सेठी और प्रिया श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया, जिनके मार्गदर्शन से यह पहल संभव हो सकी।
क्षेत्र के लोगों का मानना है कि आईरिस स्कैनर की शुरुआत से ग्रामीण बैंकिंग को नई मजबूती मिली है। डिजिटल इंडिया की सोच को गांव तक पहुंचाने में यह कदम अहम साबित हो रहा है, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षित, भरोसेमंद और सुलभ बैंकिंग सेवाएं अपने ही क्षेत्र में उपलब्ध हो पा रही हैं।
समाचार सहयोगी नरेश राठिया