रायगढ़ में पर्यावरण संरक्षण मण्डल पर उद्योगपतियों की मेहरबानी का आरोप…

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़ जिले में पर्यावरण संरक्षण मण्डल का कार्यालय सदैव उद्योगपतियों के सरंक्षण में नज़र आता है l अब तक जनसुनवाई की ओपचारिकता निभा कर उद्योगो को पर्यावरणीय स्वीकृति देने का काम इस विभाग में होता आया है l उद्योगपतियों द्वारा कॉपी पेस्ट कर दी गयी ईएनआई रिपोर्ट की बिना अध्ययन के जनसुनवाई करवाये जाने और विरोध के बाद भी पर्यावरणीय स्वीकृति देने की बात सामने आती रही है l वहीं इस बार तो पर्यावरण विभाग की सारडा एनर्जी एण्ड मिनरल्स लिमिटेड कम्पनी पर विशेष मेहरबानी नज़र आ रही है l सारडा एनर्जी एण्ड मिनरल्स लिमिटेड की तमनार क्षेत्र के कोल माइंस का विस्तार होना है जिसमें कारवाही, खमरिया, सराईटोला, ढोलनारा एवं बजरमुड़ा गांव प्रभावित होंगे l चुंकि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है लिहाजा यहां पेसा क़ानून लागू होना चाहिए लेकिन प्रशासन उद्योगपतियों के लिए क़ानून कायदो को दरकिनार कर देते है l इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है l कोल माइंस की जनसुनवाई के बजाय केक्ल दावा आपत्ति मंगा कर येन केन प्रकारेण स्वीकृति देने की तैयारी चल रही है l तामनार क्षेत्र में इस बात को लेकर ग्रामीणों में भी शासन प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश देखा जा रहा है l
रायगढ़ जिले में पर्यावरण संरक्षण मण्डल पर उद्योगपतियों को अनुचित लाभ पहुंचाने और पर्यावरणीय स्वीकृतियों में पारदर्शिता की कमी के आरोप लग रहे हैं। स्थानीय समुदायों का कहना है कि जनसुनवाई की औपचारिकता निभाकर उद्योगों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है, जबकि उनकी चिंताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
विशेषकर, सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स लिमिटेड (SEML) की तमनार क्षेत्र में कोल माइंस के विस्तार को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कंपनी ने करवाही ओपन कास्ट कोल ब्लॉक (गारे पाल्मा IV/7) की उत्पादन क्षमता को 1.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 1.8 MTPA करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे करवाही, खमरिया, सराईटोला, ढोलनारा और बजरमुड़ा गांव प्रभावित होंगे। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है, जहां पेसा कानून लागू होना चाहिए, लेकिन आरोप है कि प्रशासन ने इन प्रावधानों की उपेक्षा की है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जनसुनवाई के बजाय केवल दावा-आपत्तियां मंगाकर स्वीकृति देने की तैयारी की जा रही है, जिससे उनकी आवाज दबाई जा रही है। इससे क्षेत्र में शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमियों का भी कहना है कि बिना उचित पर्यावरणीय स्वीकृति के उद्योग संचालित हो रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
इस बीच, रायगढ़ जिले में उद्योग लगाने की होड़ मची हुई है, जिसमें कोयला खदान, पावर प्लांट और स्पंज आयरन के कारखाने शामिल हैं। पर्यावरण प्रेमी इन गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं और पर्यावरणीय जनसुनवाई की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाई जाए, पेसा कानून का पालन सुनिश्चित हो, और जनसुनवाई में स्थानीय समुदायों की आवाज को महत्व दिया जाए, ताकि पर्यावरण और जनहित की रक्षा हो सके।
इस संबंध में सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स लिमिटेड की प्रतिक्रिया के लिए प्रयास किए गए, लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
रायगढ़ जिले में पर्यावरणीय स्वीकृतियों को लेकर विवाद जारी है, और स्थानीय समुदायों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है।