धौराभाठा में पत्रकार को धमकी: जांच का आश्वासन, पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग तेज

बिलाईगढ़/सारंगढ़: जनपद पंचायत बिलाईगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत धौराभाठा (घो) में एक पत्रकार को सरपंच पति द्वारा कवरेज के दौरान कथित तौर पर एफआईआर में फंसाने की धमकी देने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस घटना ने पत्रकारों के बीच भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। पत्रकार संघ ने एकजुट होकर इसकी कड़ी निंदा की है और कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, स्थानीय पत्रकार मिथुन धौराभाठा ग्राम पंचायत में 15वें वित्त आयोग की राशि में कथित अनियमितताओं और बिना जीएसटी बिल के भुगतान जैसे मामलों की कवरेज के लिए पहुंचे थे। इस दौरान सरपंच के पति ने उन्हें खबर प्रकाशित करने से रोका और कथित रूप से एफआईआर में फंसाने की धमकी दी। पत्रकार मिथुन ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की, जिसके बाद मामला गंभीर रूप ले चुका है।
प्रशासन का रुख
पत्रकारों की शिकायत पर त्वरित संज्ञान लेते हुए एडिशनल एसपी श्रीमती निमिषा पांडे ने आश्वासन दिया है कि मामले की जांच बिलाईगढ़ एसडीओपी द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पत्रकार संघ की प्रतिक्रिया
पत्रकार संघ ने एडिशनल एसपी के आश्वासन पर आभार जताया, लेकिन साथ ही मांग की कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध हो। संघ ने चेतावनी दी कि यदि जांच में देरी या पक्षपात हुआ, तो जिला स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। पत्रकारों ने कहा कि इस तरह की धमकियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला हैं।
पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग
इस घटना ने एक बार फिर पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता को रेखांकित किया है। पत्रकारों का कहना है कि देश में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धमकियों के मामले चिंताजनक हैं। धौराभाठा की घटना ने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को और बल दिया है। पत्रकार संघ ने कहा कि ऐसा कानून पत्रकारों को निर्भय होकर अपनी जिम्मेदारी निभाने में मदद करेगा।
पत्रकारों का समर्थन
इस मामले में पत्रकारों ने एकजुटता दिखाते हुए मिथुन के समर्थन में आवाज बुलंद की है। नरेश चौहान, देवराज दीपक, कृष्णा महिलाने, युराज निराला, समीप अनंत, मिथुन यादव, पिंगध्वज खांडेकर, चन्द्रिका भास्कर, मोहन लहरे, सुनील टंडन, अजय जोल्हे, भागवत साहू, मिलन महंत, देव जाटवर और संभु पटेल जैसे पत्रकारों ने इस घटना की निंदा की और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
क्या है मूल मामला?
सूत्रों के मुताबिक, धौराभाठा पंचायत में वित्तीय अनियमितताओं, विशेष रूप से 15वें वित्त आयोग की राशि के दुरुपयोग और बिना जीएसटी बिल के भुगतान जैसे मामलों की जांच के लिए पत्रकार मिथुन वहां पहुंचे थे। सरपंच पति ने खबर को दबाने की कोशिश की और धमकी दी कि यदि यह खबर उजागर हुई, तो पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
पत्रकारों की चेतावनी
पत्रकार संघ ने स्पष्ट किया कि यदि इस मामले में शीघ्र और ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जिला स्तर पर आंदोलन की रणनीति बनाएंगे। उनका कहना है कि पत्रकारों को डराने-धमकाने का सिलसिला बंद होना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा।

धौराभाठा (घो) की इस घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े किए हैं। पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह न केवल इस मामले की निष्पक्ष जांच करे, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम भी उठाए।