धान मंडियों में कहीं किसान बने हमाल तो कहीं स्थिति और भी दयनीय! जिम्मेदारों की अनदेखी से बढ़ी परेशानी
अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का कार्य इन दिनों जोरों पर है। राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए तमाम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद रायगढ़ की मंडियों में किसानों को श्रमिक (हमाल) बनकर अपना काम करना पड़ रहा है। मंडी प्रबंधकों और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से किसानों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
मंडी में किसानों की दुर्दशा
सराईटोला और खम्हरिया धान मंडियों में व्यवस्था ठीक बताई गई, लेकिन घरघोड़ी और कुडुमकेला मंडियों में किसानों की स्थिति दयनीय थी। यहां किसानों को खुद बोरियों में धान भरने, वजन करने, सिलाई करने और पीठ पर लादकर थप्पियां लगाने का काम करना पड़ा। किसानों ने बताया कि यह स्थिति नई नहीं है; वर्षों से इसी तरह काम चल रहा है।
किसानों को यहां तक कि मंडी में तराजू की कमी के कारण अपने घर से तराजू लेकर आना पड़ा। मंडी के कर्मचारियों ने यह स्वीकार किया कि उनके पास केवल तीन तराजू हैं और असुविधा के कारण किसानों से अपने साधन लाने को कहा गया।
भ्रष्टाचार की बू
धान का वजन मानक से अधिक 41 किलो 200 ग्राम तौला जा रहा है। इस पर नजर रखने के लिए तैनात कृषि विस्तार अधिकारी और पटवारी भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन अनियमितताओं पर ध्यान देने के बजाय वे मूकदर्शक बने रहे।
जब मंडी प्रबंधक कन्हैयालाल साव से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह “समझौते” के तहत हो रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि किसानों को श्रमिक बनने के बदले किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाता। वहीं, मंडी के अन्य कर्मचारी अलग राय रखते हुए कहते हैं कि काम कराने वाले किसानों को भुगतान किया जाता है।
प्रशासन की उदासीनता और किसानों का सवाल
इस पूरी प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि मंडियों में हमाल के नाम पर आने वाला पैसा कहां जा रहा है, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। क्या यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है?
राज्य सरकार ने मंडियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तैनात किया है, लेकिन उनकी उपस्थिति के बावजूद किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
कब होगा किसानों के साथ न्याय?
धान खरीदी केंद्रों में जारी इस अनियमितता और किसानों की दुर्दशा पर अब यह देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी कब कार्रवाई करते हैं और किसानों को राहत कब मिलेगी। किसानों का सवाल है कि उनके श्रम का पैसा कहां जा रहा है और आखिर कब तक उन्हें हमाल बनकर काम करना पड़ेगा।
सरकार और प्रशासन को तत्काल इन मुद्दों पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके और धान खरीदी प्रक्रिया पारदर्शी और सुविधाजनक हो सके।