धरमजयगढ़ में हाथियों के संरक्षण बनाम कोल ब्लॉक विवाद तेज, 22 दिसंबर को 118 गांवों की ‘जंगी रैली’ का ऐलान

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम धरमजयगढ़ (रायगढ़)।
धरमजयगढ़ अंचल में जंगली हाथियों के संरक्षण और प्रस्तावित कोल ब्लॉकों को लेकर चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों और वनवासियों ने हाथियों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने की मांग को लेकर 22 दिसंबर को विशाल ‘जंगी रैली’ निकालने का ऐलान किया है। इस रैली में धरमजयगढ़ क्षेत्र के 118 गांवों के ग्रामीणों के शामिल होने की बात कही जा रही है।
धरमजयगढ़ वनमंडल लगभग 1 लाख 71 हजार हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में फैला हुआ है, जो छह वन रेंजों में विभाजित है। इनमें जंगल और धरमजयगढ़ रेंज सबसे घने वन क्षेत्र माने जाते हैं, जहां वर्षभर जंगली हाथियों का विचरण बना रहता है। ग्रामीणों और वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2001 से अब तक इस क्षेत्र में हाथियों से जुड़े विभिन्न हादसों में 100 से अधिक हाथियों की मौत हो चुकी है, जबकि मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं भी लगातार सामने आती रही हैं।

इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा धरमजयगढ़ वनमंडल में 18 कोल ब्लॉकों को चिन्हित किए जाने से विवाद और गहरा गया है। इन प्रस्तावित कोल ब्लॉकों में बायसी, चैनपुर, छातासराई, दुर्गापुर-शाहपुर, फतेपुर, नवागांव, बोजिया, ओंगना-पोटिया, तेंदुमुरी सहित अन्य क्षेत्र शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन परियोजनाओं से न केवल हाथियों के प्राकृतिक गलियारे प्रभावित होंगे, बल्कि 50 से अधिक गांवों के हजारों लोग प्रत्यक्ष रूप से विस्थापन और आजीविका के संकट से जूझेंगे।
इसी मुद्दे को लेकर ग्राम पंचायत पुरुंगा के स्कूल परिसर में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष ग्रामीण शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि 22 दिसंबर को धरमजयगढ़ में ‘जंगी रैली’ के माध्यम से सरकार तक अपनी बात मजबूती से पहुंचाई जाएगी। रैली के बाद एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री, केंद्रीय कोयला मंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं पर्यावरण विभाग को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगों में जंगल और धरमजयगढ़ रेंज के हाथी विचरण क्षेत्र को संरक्षित रिजर्व घोषित करना, प्रस्तावित कोल ब्लॉकों में से कुछ को पूरी तरह निरस्त करना तथा शेष पर तत्काल रोक लगाना शामिल है। ग्रामीणों का तर्क है कि कोयला परियोजनाओं से मिलने वाला आर्थिक लाभ अल्पकालिक है, जबकि जंगल और हाथियों का संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवनदायिनी पूंजी है।
वहीं प्रशासनिक स्तर पर अब तक इस विषय पर कोई अंतिम निर्णय सामने नहीं आया है। अधिकारियों का कहना है कि सभी पहलुओं पर विचार करते हुए शासन स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल धरमजयगढ़ में 22 दिसंबर को प्रस्तावित रैली को लेकर हलचल तेज हो गई है और पूरा क्षेत्र इस बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटा हुआ है।