धरमजयगढ़: चिड़ोडीह स्कूल में शिक्षा और मध्याह्न भोजन के नाम पर लापरवाही, शिक्षकों की मनमानी उजागर

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़:- धरमजयगढ़ विकास खंड के चिड़ोडीह गांव में संचालित प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षा के मंदिर होने की बजाय लापरवाही और अव्यवस्था का अड्डा बन चुकी है। स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की मनमानी और गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने न केवल शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है, बल्कि मध्याह्न भोजन योजना को भी मजाक बना दिया है। बच्चों के भविष्य और पोषण के साथ हो रहे इस खिलवाड़ ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस मामले में जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है।
शिक्षकों की मनमानी, समय से पहले स्कूल बंद
चिड़ोडीह के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला में शिक्षकों की लापरवाही चरम पर है। शिक्षक समय से पहले स्कूल बंद कर घर चले जाते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। स्कूल का आंगन बारिश में स्विमिंग पूल जैसा बन जाता है, लेकिन इसकी सफाई या रखरखाव के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता। स्कूल की स्थिति इतनी बदहाल है कि इसे शिक्षा का मंदिर कहना शर्मनाक लगता है; यह गंदगी का ढेर ज्यादा प्रतीत होता है।
मध्याह्न भोजन में लापरवाही, बच्चों की थाली से गायब पौष्टिक आहार
मध्याह्न भोजन योजना, जिसका उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना है, यहां पूरी तरह विफल साबित हो रही है। स्कूल के रसोईघर की दीवार पर मेन्यू चार्ट तो लगा है, लेकिन यह केवल दिखावा है। शुक्रवार के मेन्यू के अनुसार बच्चों को दाल, आलू-बड़ी की सब्जी और आचार मिलना था, लेकिन बच्चों की थाली में सिर्फ पानी जैसी दाल, जिसमें नमक और हल्दी डाली गई थी, और दो-चार टुकड़े आलू ही नसीब हुए। बच्चों ने बताया कि हर दिन ऐसा ही खाना परोसा जाता है, और हरी सब्जी, आचार या पापड़ जैसे पौष्टिक तत्व कभी नहीं मिलते। यह स्थिति शासन के दिशा-निर्देशों की खुली अवहेलना है, जो बच्चों के लिए प्रतिदिन संतुलित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने का आदेश देता है।
बच्चों को नहीं सिखाए जा रहे संस्कार
स्कूल वह स्थान है जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार और अनुशासन सिखाया जाता है। लेकिन चिड़ोडीह स्कूल में यह सब गायब है। मध्याह्न भोजन के दौरान बच्चे थाली लेकर आंगन में घूम-घूमकर या पत्थर पर बैठकर खाना खाते हैं। शिक्षकों का कहना है कि बच्चे बैठकर खाते हैं और यह स्थिति केवल आज की है, लेकिन बच्चों की दिनचर्या और स्कूल की अव्यवस्था शिक्षकों के दावों को झूठा साबित करती है। यह लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य और संस्कारों पर बुरा असर डाल रही है।
प्रधानपाठक की मनमानी और डर का माहौल
प्राथमिक शाला की प्रधानपाठक की मनमानी और घमंड की स्थिति यह है कि उन्होंने स्कूल की बुनियादी जानकारी, जैसे नामांकित बच्चों की संख्या, तक साझा करने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, पूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षक इतने डरे हुए हैं कि वे प्रधानपाठक का नाम तक बताने से कतराते हैं। यह डर का माहौल न केवल शिक्षकों में है, बल्कि छोटे-छोटे बच्चों में भी देखा जा सकता है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब शिक्षक ही डर में हैं, तो बच्चों पर कितना दबाव होगा, यह सोचने की बात है।
लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग
चिड़ोडीह स्कूल की यह बदहाल स्थिति शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या लापरवाह शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? क्या बच्चों की थाली में शासन के नियमानुसार पौष्टिक आहार उपलब्ध होगा? क्या स्कूल को गंदगी के ढेर से मुक्ति मिलेगी? ये सवाल स्थानीय लोग बार-बार उठा रहे हैं। ग्रामीणों ने नवपदस्थ खंड शिक्षा अधिकारी से इस मामले में तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जांच और कार्रवाई की जरूरत
चिड़ोडीह स्कूल में हो रही इस लापरवाही ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। शासन द्वारा बच्चों के लिए शुरू की गई मध्याह्न भोजन योजना और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने की योजनाएं यहां धरातल पर विफल हो रही हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी इस मामले की गहन जांच करें। दोषी शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन और अन्य सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
धरमजयगढ़ विकास खंड के चिड़ोडीह स्कूल की यह स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग के लिए चुनौती है। अब देखना यह है कि नवपदस्थ खंड शिक्षा अधिकारी इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या बच्चों के भविष्य और पोषण के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। समय ही बताएगा कि शिक्षा के इस मंदिर को उसका गौरव वापस मिलेगा या यह लापरवाही का अड्डा बना रहेगा।