तीन दशक की अनदेखी.. उखड़े हुए सड़क पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, अब बड़े आंदोलन की तैयारी।

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड की एक जर्जर सड़क अब सिर्फ गड्ढों से नहीं, बल्कि राजनीतिक छलावे की कहानी से भरी पड़ी है। कुंजारा से तोलगे होते हुए मिलूपारा तक की मुख्य सड़क दशकों से बदहाल है, और आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इस सड़क की हालत पर 35 साल से आंसू बहा रहे ग्रामीण अब आंदोलन की राह पर हैं।
इस मार्ग को लेकर हर चुनाव में वादों की झड़ी लगाई जाती रही, पर नतीजा शून्य ही रहा। कांग्रेस हो या भाजपा—हर नेता ने इस सड़क को केवल भाषणों में समेटा और चुनाव जीतने के बाद इसे भुला दिया।

कांग्रेस-भाजपा दोनों ने दिया धोखा, जनता ने हर बार खाया धोखा
इस सड़क से जुड़े कई क्षेत्रीय ग्रामीण अब बोलने लगे हैं। राधेश्याम मिश्रा का कहना है, “कई बार मांग की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। धूल और गड्ढों में जीना मजबूरी हो गया है।” वहीं गुणनिधि भोई ने तंज कसते हुए कहा, “शासन-प्रशासन तीस साल से मौन है। स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक रोज जोखिम उठाकर इस रास्ते से गुजरते हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने सिर्फ छल किया।”
नेताओं का वादा, पर नतीजा वही—’शून्य’
बीजेपी के राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह और वित्त मंत्री ओपी चौधरी तक यह मामला पहुंचा, लेकिन बात सिर्फ आश्वासन तक सीमित रही। कांग्रेस नेता ओमसागर पटेल का दावा है कि उनकी सरकार ने बजट में सड़क निर्माण की पहल की थी, पर फंड की मंजूरी नहीं मिली। अब कांग्रेस पदयात्रा की तैयारी में है।

जनपद उपाध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया कि “जब वे BDC थे, तब खुद चार लाख की लागत से सड़क पर गिट्टी डलवाया था। वित्त मंत्री ने तोलगे की सभा में इसे बनाने का आश्वासन दिया है।” मगर दो साल बीतने के बाद भी सड़क जस की तस है।
गड्ढों में तब्दील सड़क बनी जानलेवा
गर्मी में उड़ती धूल और बरसात में कीचड़ ने इस सड़क को यातायात के लायक नहीं छोड़ा। दस मिनट का सफर एक घंटे में पूरा होता है। व्यापारियों को कारोबार में घाटा और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
अब ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से सड़क पर उतरेंगे। सवाल उठता है कि जब जिले में टू लेन-फोर लेन सड़कों को स्वीकृति मिल रही है, तो दशकों से जर्जर इस मुख्य सड़क को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है?
अब जनता नहीं मांगेगी वादा—अब चाहिए सिर्फ काम। वरना जवाब तय है।
