तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय पर फिर आरोप: बार-बार विवादों में फंसे अफसर, शिकायतें बढ़ीं पर जांच नहीं!

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम
धरमजयगढ़/रायगढ़।
धरमजयगढ़ विकासखंड के कापू तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय एक बार फिर विवादों में हैं।
इस बार मामला जातिगत गाली-गलौच का है, जिसके संबंध में पीड़ित भानू टंडन ने कापू थाना में लिखित शिकायत दी है।
लेकिन यह पहला मामला नहीं है — उज्जवल पाण्डेय का नाम बीते कई महीनों से लगातार अलग-अलग विवादों में सामने आता रहा है।
गांव के लोगों से लेकर पंचायत प्रतिनिधि तक, कई बार इनके खिलाफ शिकायतें हुईं, मगर अब तक किसी भी मामले में जांच पूरी नहीं हुई है।
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🔹 नई शिकायत — बीडीसी पति को जातिगत अपमान का आरोप
नवीनतम प्रकरण में भानू टंडन, जो कि एक बीडीसी सदस्य के पति हैं, ने अपने आवेदन में लिखा है कि
“16 अक्टूबर की शाम करीब 5 बजे जब मैं तहसील कार्यालय पहुंचा, तब तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय ने मेरे साथ जातिगत गाली-गलौच की।”
भानू टंडन का कहना है कि इस घटना से उनका मान–सम्मान आहत हुआ है और उन्होंने तहसीलदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
पीड़ित परिवार ने मामला केवल थाने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि सांसद राधेश्याम पान्डेय और भाजपा जिला अध्यक्ष अरूणधर दीवान के पास भी लिखित शिकायत की है।
इस दौरान धरमजयगढ़ पहुंचकर उन्होंने पूरे घटनाक्रम की जानकारी सार्वजनिक रूप से दी।
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🔹 पुराने विवादों का लंबा सिलसिला
उज्जवल पाण्डेय के खिलाफ शिकायतों की यह नवीन कड़ी कोई नई नहीं है।
इससे पहले भी कई गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं:
1. गैरसा TSS प्रकरण:
यहां के पूर्व ऑपरेटर स्वर्गीय दया साहू ने तहसीलदार पर लाखों रुपये घूस मांगने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर रायगढ़ और एसडीएम धरमजयगढ़ को लिखित शिकायत दी थी।
2. भालूपखना पॉवर प्लांट मामला:
जब ग्रामीणों ने प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, तब तहसीलदार पर सरपंच पति को धमकाने और सरपंच पद से हटाने की साजिश रचने का आरोप लगा था।
इस मामले में रैरूमाचौकी थाना में आवेदन दिया गया था, मगर बाद में प्रशासन ने मामला शांत करा दिया।
3. अब कापू थाना में नया प्रकरण:
भानू टंडन का आवेदन प्रशासनिक व्यवहार और जातिगत अपमान दोनों को उजागर करता है।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय बार-बार विवादों के केंद्र में रहते हैं, लेकिन कभी किसी शिकायत की निष्पक्ष जांच नहीं हुई।
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🔹 जांच न होने पर उठ रहे सवाल
स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों के बीच यह चर्चा आम है कि
“तहसीलदार साहब की ऊंची पहुंच” के कारण उनके खिलाफ कोई ठोस जांच या कार्रवाई नहीं होती।
हर बार शिकायत दर्ज तो होती है, लेकिन फाइल ‘जांच जारी है’ के नाम पर ठंडी कर दी जाती है।
जनता के बीच यह सवाल लगातार उठ रहा है —
अगर आरोप झूठे हैं, तो शिकायतकर्ताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?
और अगर आरोप सही हैं, तो प्रशासन मौन क्यों है?
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🔹 प्रशासनिक छवि पर असर
धरमजयगढ़ ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों में तहसील स्तर पर ऐसे विवादों का बढ़ना प्रशासनिक व्यवस्था की साख पर सवाल उठाता है।
जहां एक ओर राज्य सरकार “जनता के दरबार” और “समाधान शिविर” जैसे अभियानों के ज़रिए पारदर्शिता की बात करती है,
वहीं दूसरी ओर तहसील स्तर पर एक अधिकारी पर बार-बार गंभीर आरोप लगना शासन के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
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🔹 कलेक्टर स्तर पर जांच की मांग
ग्रामीण संगठनों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने अब कलेक्टर रायगढ़ से मांग की है कि
तहसीलदार उज्जवल पाण्डेय के खिलाफ लगे आरोपों की स्वतंत्र जांच कराई जाए,
और यदि आरोप निराधार हैं तो यह भी सार्वजनिक किया जाए ताकि लगातार बढ़ रही अफवाहों पर विराम लगे।
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🔹 सवाल प्रशासन से — कब तक बगैर जवाब के रहेंगे आरोप?
कापू तहसील के इस ताजा विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है —
क्या एक कार्यपालिक दंडाधिकारी पर बार-बार लगे आरोपों को यूँ ही अनदेखा किया जा सकता है?
क्या अधिकारी वर्ग के लिए शिकायतों पर कोई जवाबदेही तय नहीं है?
जब तक जांच पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरी नहीं होती,
तब तक यह विवाद न केवल प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाएगा,
बल्कि जनता के भरोसे पर भी चोट करेगा।