तलाईपाली मुआवजा विवाद: किसानों की गलत जानकारी के चलते हाईकोर्ट आदेश का उल्लेख समाचार में आया, वास्तविकता में अदालत ने नहीं दिया था कोई निर्देश

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। तलाईपाली (घरघोड़ा) खनन परियोजना से जुड़े मुआवजा विवाद को लेकर हाल ही में सामने आई गलतफहमी ने प्रशासन और मीडिया दोनों के स्तर पर स्पष्टता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। 14 नवंबर को कुछ किसानों ने कलेक्टर रायगढ़ से मुलाकात कर एनटीपीसी द्वारा उचित मुआवजा नहीं दिए जाने की शिकायत की थी। किसानों का दावा था कि इस संबंध में हाईकोर्ट का भी आदेश है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा।
किसानों की इस बात को आधार बनाकर प्रकाशित समाचार में भी यह उल्लेख हो गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजा नहीं दिया गया है। लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि अदालत ने इस विषय में ऐसा कोई भी आदेश पारित नहीं किया है। यह जानकारी किसानों द्वारा दी गई गलतबयानी की वजह से समाचार में शामिल हो गई।
परियोजना का महत्व और तथ्य
केंद्र सरकार ने एनटीपीसी को तलाईपाली कोल माइंस का आवंटन किया है, जिससे निकला कोयला लारा सुपर थर्मल पावर प्लांट को सप्लाई किया जाता है। इस प्लांट में उत्पादित बिजली न केवल रायगढ़ जिले की मांग पूरी कर रही है, बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ प्रदेश इसके विद्युत उत्पादन से लाभान्वित हो रहा है।
मुआवजा विवाद का वर्तमान परिदृश्य
तलाईपाली क्षेत्र में अधिग्रहित भूमि के मुआवजे को लेकर वर्षों से असंतोष बना हुआ है। कई किसान परियोजना के क्रियान्वयन से सहमत हैं, लेकिन उनका कहना है कि प्रत्यक्ष लाभ—जैसे मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास—उन्हें अपेक्षित रूप से नहीं मिल पा रहा। इसी असंतोष की पृष्ठभूमि में कुछ किसान 14 नवंबर को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे।
हालांकि, हाईकोर्ट आदेश का हवाला देकर प्रस्तुत की गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुई। कलेक्टर कार्यालय ने भी स्पष्ट किया कि किसानों से प्राप्त शिकायतों की जांच नियमानुसार की जाएगी, लेकिन अदालत के किसी आदेश की जानकारी विभाग के रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है।
पत्रकारिता की जिम्मेदारी और सूचना की पारदर्शिता
यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि जनभावनाओं से जुड़े मुद्दों या विस्थापन जैसे संवेदनशील विषयों में सूचना की शुद्धता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। किसानों की कही बात को बिना दस्तावेजीय पुष्टि के समाचार में शामिल करने से तथ्यात्मक भ्रम पैदा हुआ, जिसे अब सुधारा जा रहा है।
तलाईपाली माइंस और लारा प्लांट दोनों ही राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं हैं। ऐसे में प्रभावित किसानों की वास्तविक समस्याओं को सही संदर्भ में उठाना और प्रशासन द्वारा उनके समाधान की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की पारदर्शी रिपोर्टिंग समय की मांग है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट