तमनार विकासखंड के पालीघाट की युवा टीम ने फिर दिखाई मिसाल — बिना संसाधन, बिना समर्थन के जनसेवा का अद्भुत उदाहरण

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम पालीघाट, तमनार विकासखंड का एक ऐसा गाँव है, जहां युवाओं ने अपने नेक कार्यों से समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस गांव की युवा टीम ने न केवल बाहरी समर्थन और संसाधनों के बिना, बल्कि सामान्य प्रशासनिक भागीदारी के अभाव में भी, जनसेवा का जो जज्बा दिखाया है, वह वाकई काबिले तारीफ है। इन युवाओं ने सड़क व्यवस्था, वन सुरक्षा, रात-दिन की मुशक्तियों, और आपातकालीन कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाकर साबित कर दिया है कि जब इरादा मजबूत हो, तो सामाजिक बदलाव कभी भी किसी आदेश का इंतजार नहीं करता।

सड़क और यातायात में अद्भुत प्रयास ग्राम में लंबे समय से मौजूद खतरनाक गड्ढों को भरने का काम हो या जंगली क्षेत्रों में आग बुझाने का, इन युवाओं ने अपनी मेहनत से ग्रामीण जीवन को सुरक्षित बनाने का प्रयास किया है। विशेष रूप से हमीरपुर–पालीघाट मार्ग पर हुआ हादसे और उसकी रोकथाम में इन युवाओं का योगदान उल्लेखनीय रहा है। यह कार्य प्रशासन के टेंडर और योजना का हिस्सा न होते हुए भी, अपने स्वप्रेरित कदमों से किया गया है।
वन्यजीव और जंगल की रक्षा में सक्रिय पशु और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी इन युवाओं की सक्रिय भागीदारी सराहनीय है। जंगली भालुओं और सूअर जैसे जानवरों को बचाने के लिए इनका रेस्क्यू अभियान, बिना सरकारी उपकरणों के, अपने साहस और सूझबूझ का परिचायक है। इससे न केवल वन्यजीव सुरक्षित हुए, बल्कि स्थानीय समुदाय में जागरूकता भी फैली है।

सामाजिक और प्रशासनिक जागरूकता इन युवाओं ने बिजली की आपूर्ति सुधारने, सड़क मार्ग साफ-सफाई, और जल निकासी जैसी स्थानीय मुद्दों को उठाने में भी अहम भूमिका निभाई है। गांव में सड़क की समस्या और समर्थन के अभाव के बावजूद, इनकी सक्रियता ने ये संदेश फैलाया है कि समाज की सेवा का जुनून, संसाधनों के बिना भी, हर मुश्किल को आसान बना सकता है।
सम्मान और पहचाना जाना चाहिए गांव के लोग इन युवा कार्यकर्ताओं को “माँ माँकेश्वरी सेवा दल” के नाम से जानते हैं, और उनके इस निस्वार्थ कार्य का समर्थन करते हैं। कहा जाता है कि इन युवाओं को सरकार और प्रशासन की ओर से सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि ये अपने व्यवहार और कार्यों से साबित कर रहे हैं कि समाज में बदलाव लाने के लिए पद या वेतन का होना आवश्यक नहीं।

पालीघाट की यह युवा टीम उदाहरण है कि जब जिम्मेदारी का जज्बा जागरूकता और समर्पण से मिलता है, तो समाज के बुरे दिन भी अच्छे हो सकते हैं। यह टीम दिखाती है कि समाज को ऊपर उठाने के लिए, साहस और सेवा भावना सबसे बड़ी पूंजी हैं। इनके कार्य देखने लायक हैं, और ये साबित कर रहे हैं कि जब इरादा मजबूत हो, तो परिवर्तन संभव है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की खबर…