तमनार में सड़क हादसे का तांडव: गैस एजेंसी के पास ट्रेलर की टक्कर से युवक की मौत, चक्का जाम, जिम्मेदार कौन?

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम। छत्तीसगढ़ के तमनार थाना क्षेत्र में एक बार फिर सड़क हादसे ने एक परिवार को उजाड़ दिया। कल रात करीब 9 बजे, बुड़िया गांव निवासी जेल सिंह सिदार, जो दशकर्म के काम से लौट रहे थे, अपनी मोटरसाइकिल पर सवार थे। तभी एक तेज रफ्तार ट्रेलर ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि जेल सिंह सड़क पर गिर पड़े और तड़पते हुए मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस दर्दनाक घटना ने न केवल उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ गई।

आक्रोशित ग्रामीणों का चक्का जाम, विधायक मौके पर
हादसे की खबर फैलते ही परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों ने सड़क पर शव रखकर चक्का जाम कर दिया। गुस्साए लोग प्रशासन और औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उनका कहना था कि तमनार क्षेत्र में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। मौके पर लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार भी पहुंचे और पीड़ित परिवार के समर्थन में खड़े हुए। तमनार पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन आक्रोशित भीड़ का गुस्सा शांत करना आसान नहीं।

औद्योगिक विकास के नाम पर बलिदान होती जिंदगियां
तमनार क्षेत्र में औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज है। कोयला खदानों, पावर प्लांट्स और अन्य औद्योगिक इकाइयों के लिए भारी वाहनों की आवाजाही दिन-रात जारी रहती है। लेकिन इस विकास की आड़ में सड़क सुरक्षा को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। संकरी सड़कें, स्पीड ब्रेकर की कमी, और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी ने तमनार को मौत का गलियारा बना दिया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि आए दिन ट्रक, ट्रेलर और हाईवा जैसे भारी वाहन हादसों का कारण बन रहे हैं।

जिम्मेदार कौन?
यह सवाल हर हादसे के बाद उठता है, लेकिन जवाब अब तक नहीं मिला। क्या जिम्मेदार हैं वे औद्योगिक कंपनियां, जो भारी वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही को बढ़ावा देती हैं? क्या प्रशासन, जो सड़क सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति लागू नहीं कर पाया? या फिर वे ट्रैफिक नियम, जिनका पालन न तो चालक करते हैं और न ही लागू करवाया जाता? जेल सिंह की मौत ने एक बार फिर इन सवालों को हवा दी है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
हाल के वर्षों में तमनार और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क हादसों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले एक साल में तमनार थाना क्षेत्र में दर्जनों लोग सड़क हादसों में जान गंवा चुके हैं। इनमें ज्यादातर हादसे भारी वाहनों की वजह से हुए। इसके बावजूद न तो सड़कों का चौड़ीकरण हुआ, न ही ट्रैफिक प्रबंधन के लिए कोई प्रभावी कदम उठाए गए।
स्थानीय लोगों की मांग
आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों ने प्रशासन से निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. सड़क सुरक्षा उपाय: हादसों को रोकने के लिए स्पीड ब्रेकर, ट्रैफिक सिग्नल और सड़क चौड़ीकरण जैसे कदम उठाए जाएं।
2. मुआवजा: पीड़ित परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता और मुआवजा प्रदान किया जाए।
3. कड़ी कार्रवाई: दोषी ट्रेलर चालक और वाहन मालिक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
4. औद्योगिक वाहनों पर नियंत्रण: भारी वाहनों की आवाजाही के लिए समय और रूट निर्धारित किए जाएं।
शासन-प्रशासन की चुप्पी
हादसे के बाद तमनार पुलिस ने ट्रेलर चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया। लेकिन स्थानीय लोग इसे महज खानापूरी मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक सड़क सुरक्षा और औद्योगिक वाहनों की आवाजाही पर ठोस नीति नहीं बनेगी, ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं। शासन-प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जो स्थानीय लोगों के गुस्से को और भड़का रहा है।
विकास या विनाश?
औद्योगिक विकास निश्चित रूप से क्षेत्र की आर्थिक प्रगति का आधार है, लेकिन क्या इसकी कीमत मासूम जिंदगियां चुकानी पड़ेंगी? तमनार जैसे क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन की सख्त जरूरत है। अगर प्रशासन और औद्योगिक इकाइयां समय रहते नहीं चेतीं, तो जेल सिंह जैसे कितने और लोग इस तथाकथित विकास की भेंट चढ़ेंगे?
आगे क्या?
जेल सिंह की मौत ने तमनार में सड़क सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उजागर किया है। यह घटना एक चेतावनी है कि विकास की अंधी दौड़ में इंसानी जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। प्रशासन को चाहिए कि वह स्थानीय लोगों की मांगों पर तुरंत अमल करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।