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तमनार में जंगल कटाई और फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों के खिलाफ 35 सरपंचों का हंगामा.. पहुँचे थाना, 61 सरपंच करेंगे कलेक्टर से तत्काल कार्रवाई की मांग

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के तमनार तहसील के सराईटोला ग्राम पंचायत में बड़े पैमाने पर जंगल कटाई और फर्जी ग्राम सभा दस्तावेज जमा करने का गंभीर मामला सामने आया है। कोयला प्रभावित क्षेत्र के 35 सरपंचों ने इस अवैध गतिविधि के खिलाफ सोमवार को तमनार थाने में FIR दर्ज करने की मांग की। यह मामला यहीं नहीं थम रहा, बल्कि तमनार की 61 ग्राम पंचायतों के सरपंच अब रायगढ़ कलेक्टर के पास पहुंचकर फर्जी दस्तावेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने वाले हैं।

स्थानीय समुदाय और सरपंचों का आरोप है कि कोयला खनन के लिए सराईटोला और आसपास के गांवों में हजारों पेड़ काटे गए हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही, खनन परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने के लिए ग्राम सभा की सहमति के फर्जी दस्तावेज प्रशासन को सौंपे गए हैं। सरपंचों का कहना है कि ग्राम सभा की कोई बैठक नहीं हुई और न ही स्थानीय लोगों की सहमति ली गई, फिर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जंगल कटाई और खनन कार्य शुरू कर दिया गया।

स्थानीय समुदाय का आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि यह जंगल उनके आजीविका और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। जंगल कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि उनकी आजीविका भी खतरे में पड़ गई है। स्थानीय सरपंच ने गुस्से में कहा, “हमारी जमीन और जंगल हमारी पहचान हैं। बिना हमारी सहमति के फर्जी दस्तावेज बनाकर पेड़ काटे जा रहे हैं। यह सरासर अन्याय है।”

35 सरपंचों ने थाने में दी दस्तक

शुक्रवार को 35 सरपंच एकजुट होकर तमनार थाने पहुंचे और जंगल कटाई के साथ-साथ फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस मामले की तत्काल जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

61 सरपंचों का कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन
आंदोलन को और तेज करते हुए, तमनार की 61 ग्राम पंचायतों के सरपंच अब रायगढ़ कलेक्टर कार्यालय पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। वे कलेक्टर से मांग करेंगे कि फर्जी दस्तावेजों की जांच हो, जंगल कटाई पर तुरंत रोक लगे, और दोषी अधिकारियों व कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सरपंचों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।

पर्यावरण और स्थानीय अधिकारों पर सवाल
यह मामला न केवल पर्यावरणीय चिंताओं को उजागर करता है, बल्कि ग्राम सभा के अधिकारों और पंचायती राज व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए ग्राम सभा की सहमति दिखाना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के अधिकारों का हनन भी है।

तत्काल कार्रवाई की मांग
स्थानीय समुदाय और सरपंचों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि:
1. जंगल कटाई पर तुरंत रोक लगे।
2. फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित हो।
3. दोषी अधिकारियों और खनन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो।
4. प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वनीकरण और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।



प्रशासन पर दबाव
यह मामला अब रायगढ़ जिले में चर्चा का केंद्र बन गया है। सरपंचों और ग्रामीणों का यह आंदोलन न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। यदि प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

क्या कहते हैं पर्यावरण कार्यकर्ता?
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि तमनार क्षेत्र की जैव विविधता पहले से ही कोयला खनन के कारण खतरे में है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जंगल कटाई न केवल पर्यावरणीय आपदा को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह वन अधिकार अधिनियम (FRA) और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशों का भी उल्लंघन है।

रायगढ़ प्रशासन और राज्य सरकार पर अब यह दबाव है कि वे इस मामले में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करें, ताकि स्थानीय समुदाय के अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा हो सके।

यह खबर स्थानीय समुदाय और सरपंचों की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने के लिए तैयार की गई है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे और दोषियों को सजा दे।

Amar Chouhan

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