तमनार: जिंदल कोयला खदान में आग की लपटें, लापरवाही और भ्रष्टाचार का खुलासा

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम छत्तीसगढ़ के तमनार क्षेत्र में गारे पेलमा 4/6 कोयला खदान में पिछले छह दिनों से धधक रही आग ने जिंदल कंपनी की लापरवाही और कथित भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। इस खदान में डंप कोयले में लगी आग अब विकराल रूप ले चुकी है, जिसकी लपटें दूर-दराज तक दिखाई दे रही हैं। हजारों टन बहुमूल्य कोयला जलकर राख हो चुका है, लेकिन कंपनी प्रबंधन की ओर से आग बुझाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह घटना न केवल प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण और आसपास की बस्तियों के लिए गंभीर खतरा भी बन चुकी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि खदान में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रबंधन की उदासीनता ने इस हादसे को जन्म दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, डंप कोयले में आग लगने की घटनाएं अक्सर खराब प्रबंधन, अपर्याप्त निगरानी और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण होती हैं। जिंदल कंपनी, जो इस खदान का संचालन करती है, पर पहले भी लापरवाही और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या कंपनी की प्राथमिकता केवल मुनाफा कमाना है, जबकि सुरक्षा और पर्यावरण की चिंता को दरकिनार किया जा रहा है?
आग से उठने वाला जहरीला धुआं आसपास के गांवों में फैल रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां और पर्यावरणीय क्षति का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन और खनन विभाग की चुप्पी इस आपदा को और गंभीर बना रही है। कुछ लोगों ने इसे “खनन माफिया” की मनमानी और शासन-प्रशासन के साथ मिलीभगत का परिणाम बताया है।
हालांकि, जिंदल कंपनी ने इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह आग और अधिक कोयले को नष्ट कर सकती है, जिससे देश को आर्थिक नुकसान होगा और पर्यावरणीय संकट गहराएगा।
सवाल उठता है कि क्या यह केवल लापरवाही है या इसके पीछे गहरे भ्रष्टाचार की जड़ें हैं? स्थानीय प्रशासन और खनन विभाग से इस मामले की गहन जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है। साथ ही, यह घटना कोयला खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करती है।
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