तमनार को नगर पंचायत बनने में कौन बन रहा बाधा, पूरे क्षेत्र का रुका हुआ है विकास⁉️

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। रायगढ़ जिला अब केवल रायगढ़ ब्लॉक और रायगढ़ शहर तक ही सीमित रह गया है। दूसरे तहसीलों में कोई काम हो नहीं रहा है। पूरा फोकस यहीं सिमट गया है। तमनार को नगर पंचायत बनाने के लिए एक साल से भी अधिक समय से अधिसूचना जारी हो चुकी है। 8 सितंबर को सीएम ने इसका ऐलान भी किया, लेकिन इस पर काम नहीं हो रहा है। रायगढ़ जिले में एक नगर निगम, एक नगर पालिका और पांच नगर पंचायत हैं। सभी तहसील मुख्यालय में नगरीय निकाय हैं केवल तमनार को छोडक़र। इस वजह से भी तमनार कई समस्याओं से ग्रस्त है। कभी भी तमनार को बेहतर बनाने का सपना नहीं देखा गया, जबकि डीएमएफ हो, सीएसआर हो या खनिज रॉयल्टी, जिले में सबसे ज्यादा योगदान तमनार तहसील ही देता है।
तमनार तहसील से सबसे ज्यादा खनिज राजस्व मिल रहा है। इसके बावजूद उपेक्षित रहे तमनार सीएम विष्णुदेव साय ने नजर डाली थी। उन्होंने 8 सितंबर को तराईमाल में तमनार को नगर पंचायत बनाने की घोषणा की। जबकि इसकी अधिसूचना प्रकाशन हुए एक साल होने को है। वर्तमान में पूरे तमनार की हालत खराब हो चुकी है। करीब 14 साल पहले तमनार को विशेष क्षेत्र का दर्जा दिया गया था। 8 सितंबर 2011 को राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर तमनार विशेष क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित की गई थी। इसमें आसपास के 164 गांवों को शामिल किया गया था।
राज्य शासन ने 4 अक्टूबर 2023 को छग नगर पालिका अधिनियम 1961 के तहत अधिसूचना प्रकाशित की थी। इसको एक साल से ज्यादा हो चुका है। वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए तमनार और बासनपाली को शामिल किया गया है। तमनार की जनसंख्या 2011 में 5465 थी और बासनपाली की आबादी 1408 थी। 2024 में दोनों की आबादी 10 हजार से अधिक है। तमनार और बासनपाली की सीमाएं ही नगर पंचायत क्षेत्र की सीमाएं मानी जाएंगी, लेकिन हैरानी की बात है कि सीएम की घोषणा पर भी कार्यवाही प्रारंभ नहीं हो सकी है।
केवल संसाधनों का दोहन, लोग त्रस्त
तमनार तहसील में प्लांट और कोयला खदानें दोनों हैं। इसके बीच लोग रहने को मजबूर हैं। न तो लोगों को अच्छी सडक़ें मिली और न ही पीने का साफ पानी। लैलूंगा विधानसभा में आने वाला तमनार उपेक्षित ही रहा। दो बार से यहां कांग्रेस के विधायक रहे। इसके पहले भाजपा के लेकिन कोई भी तमनार के हक में आवाज नहीं उठाता है।