तमनार को नगर पंचायत का दर्जा: औद्योगिक शक्ति से शहरी ढांचे की ओर बड़ा कदम, लेकिन ग्रामीण जिंदगी पर मंडराती नई चुनौतियाँ

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। जिंदल पावर प्लांट और चार सक्रिय कोयला खदानों की वजह से पहले से ही औद्योगिक मानचित्र पर अपनी मजबूत पहचान बना चुका तमनार अब आधिकारिक तौर पर नगर पंचायत बन गया है। राज्य शासन द्वारा जारी अधिसूचना ने इस क्षेत्र को ‘ट्रांजिशनल एरिया’ का दर्जा देते हुए ग्रामीण से शहरी ढांचे की ओर एक नई शुरुआत की है। यह परिवर्तन 74वें संविधान संशोधन और राज्य नगर पालिका अधिनियम 1961 के उन प्रावधानों के अनुरूप है, जिनमें तेजी से विकसित होते क्षेत्रों को शहरी निकाय में तब्दील करने की सिफारिश की गई है।
लेकिन यह निर्णय जितनी तेजी से विकास का भरोसा दिलाता है, उतनी ही तेजी से स्थानीय लोगों के बीच सवाल और शंकाएँ भी पैदा कर रहा है। तमनार के लिए यह बदलाव उत्साह और आशंकाओं का मिश्रित दौर लेकर आया है।
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जनसंख्या और औद्योगिक विकास ने बदली तमनार की पहचान
2011 की जनगणना में सिर्फ 4,474 की आबादी वाला तमनार पिछले दशक में औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र बनकर उभरा। जिंदल पावर प्लांट और उससे जुड़े रोजगार ने इस क्षेत्र की जनसंख्या, आर्थिक गतिविधियों और नगरीय सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
लोकल सर्वे के अनुसार तमनार की जनसंख्या अब दोगुनी से अधिक हो चुकी है और लगभग 70% लोग गैर-कृषि व्यवसायों में संलग्न हैं।
इसी संरचनात्मक बदलाव को देखते हुए तमनार अब 10–15 वार्डों में विभाजित नगर पंचायत के रूप में काम करेगा, जिसके संचालन की जिम्मेदारी निर्वाचित पार्षद और अध्यक्ष निभाएँगे। साथ ही राज्य वित्त आयोग से अतिरिक्त आर्थिक संसाधन भी उपलब्ध होंगे।
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शहरी दर्जे से मिलने वाले फायदे: विकास की तेज रफ्तार का वादा
1. बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार
नगर पंचायत का दर्जा मिलते ही तमनार AMRUT और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जैसे प्रोजेक्ट्स के दायरे में आ जाएगा।
जहाँ अभी पक्की सड़कें, वैज्ञानिक ड्रेनेज और पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स की कमी है, वहीं अब प्रति व्यक्ति बजट में 4–6 गुना बढ़ोतरी संभव है।
धरमजयगढ़ और पुसौर जैसी अन्य नगर पंचायतों में पिछले पाँच वर्षों में 20–30% सड़क नेटवर्क बढ़ा है—तमनार भी उसी रफ्तार से आगे बढ़ने की उम्मीद कर सकता है।
2. वित्तीय स्वावलंबन
अब तमनार नगर पंचायत हाउस टैक्स, जल कर और व्यापार लाइसेंस से अपना राजस्व बढ़ा सकेगा।
शहरीकरण के साथ प्रॉपर्टी वैल्यू में 30–50% की वृद्धि का अनुमान है।
3. रोजगार और संस्थागत विकास
नगर पंचायत बनने के बाद—
स्थायी सफाई कर्मचारी
तकनीकी स्टाफ
क्लर्क एवं प्रशासनिक कर्मचारी
की भर्ती होगी, जिससे 100 से अधिक स्थानीय नौकरियाँ पैदा होंगी।
तमनार का कॉलेज अब शहरी शिक्षा योजनाओं के लिए पात्र होगा।
पर्यटन स्थलों—सत्यनारायण कुंड, बंजारी मंदिर और हर्बल इको पार्क—के विकास की संभावनाएँ भी बढ़ेंगी।
4. स्वास्थ्य और स्वच्छता व्यवस्था सुदृढ़ होगी
कचरा प्रबंधन, डोर-टू-डोर कलेक्शन और ODF++ का लक्ष्य पाना आसान होगा।
रायगढ़ जिले की नगर पंचायतों में स्वच्छता कवरेज 80% से अधिक होने का ट्रेंड तमनार के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
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परिवर्तन की कीमत: ग्रामीण चरित्र को लेकर गहरी चिंता
विकास की इस कहानी का दूसरा पक्ष भी है, जो स्थानीय किसानों, मजदूरों और ग्रामीण जीवनशैली से जुड़े परिवारों के लिए चुनौती बनकर उभर रहा है।
1. बढ़ेगा टैक्स बोझ
ग्राम पंचायत में कम टैक्स देने वाले परिवार अब 500–2000 रुपये वार्षिक हाउस टैक्स चुकाएँगे।
अनुपालन न करने पर अब जुर्माने भी अनिवार्य होंगे।
2. ग्रामीण योजनाएँ बंद
नगर पंचायत बनते ही कई योजनाएँ स्वतः बंद हो जाएँगी—
मनरेगा के 100 दिन का रोजगार
पीएम आवास योजना (ग्रामीण)
उज्ज्वला जैसी ग्रामीण आधारित सुविधाएँ
तमनार में लगभग 30% आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है, जो इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर झेलेगी।
3. प्रशासनिक प्रक्रियाएँ होंगी कठिन
कृषि भूमि पर निर्माण या व्यापार खोलने के लिए नगर पंचायत की अनुमति आवश्यक होगी।
नई बिल्डिंग बायलॉज के कारण खर्च और समय दोनों बढ़ेंगे।
पशुपालन, खलिहान और परंपरागत ग्रामीण ढांचे पर भी नए नियम लागू होंगे।
4. भ्रष्टाचार और विवाद की आशंका
छत्तीसगढ़ की नई नगर पंचायतों में CAG रिपोर्ट्स (2018–23) में वित्तीय अनियमितताएँ दर्ज हो चुकी हैं।
तमनार में भी ठेकों और टेंडरों को लेकर राजनीतिक खींचतान बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
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विकास या असंतुलन? तमनार के सामने दो राहें
तमनार का नगर पंचायत बनना निश्चित रूप से औद्योगिक क्षमता को शहरी सुविधाओं से जोड़ने का अवसर है।
लेकिन इस ‘ट्रांजिशनल एरिया’ को वास्तविक अर्थों में सफल बनाने के लिए सरकार को कुछ विशेष कदमों की आवश्यकता होगी—
ग्रामीण योजनाओं के विकल्प
शुरुआती वर्षों के लिए टैक्स में छूट
कृषि और शहरी जीवन के बीच संतुलन बनाने वाली नीतियाँ
पारदर्शी टेंडर प्रणाली
अगर राज्य शासन ने इन बिंदुओं पर ठोस पहल की, तो तमनार ‘औद्योगिक गाँव’ से ‘संतुलित शहरी मॉडल’ बनने की मिसाल पेश कर सकता है।
अन्यथा यह परिवर्तन ग्रामीण असमानता को और गहरा कर सकता है।
तमनार फिलहाल उम्मीदों और अनिश्चितताओं के दोराहे पर खड़ा है—यह कदम विकास का द्वार बनेगा या नई चुनौतियों की दस्तक, इसका फैसला आने वाला समय करेगा।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान