तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ पर शासकीय राशि गबन का आरोप
सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम सरगुजा जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत की गई मशीनों की खरीदी में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता और शासकीय धन के दुरुपयोग का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ श्री नूतन कंवर और सभी सात जनपद पंचायतों के सीईओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। अधिवक्ता डॉ. डी.के. सोनी द्वारा सिटी कोतवाली अंबिकापुर में इस संबंध में विस्तृत शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया गया। शिकायत के अनुसार, वर्ष 2022-23 से 2024-25 के बीच स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्राम पंचायतों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बेलिंग मशीन, फटका मशीन, श्रेडिंग मशीन और वजन मशीन खरीदने के लिए शासन द्वारा करोड़ों रुपए की राशि जारी की गई थी। इन मशीनों की वास्तविक कीमत टैक्स सहित लगभग 3.6 लाख रुपए आंकी गई है, जबकि इन्हें 16 लाख रुपए प्रति यूनिट की दर पर खरीदा गया, जिससे स्पष्ट होता है कि मूल्य को कई गुना बढ़ाकर खरीदी की गई। आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सभी अनुबंध जेम पोर्टल के माध्यम से रात के समय एक ही कंप्यूटर/लैपटॉप से किए गए। इसमें कई अनुबंधों में खरीदार और भुगतान अधिकारी के विवरण असंगत पाए गए, जिससे कूट रचना की आशंका और गहरी हो जाती है। इतना ही नहीं, ग्राम पंचायतों में यह मशीनें बिना किसी उपयोग के कबाड़ में तदील हो गई हैं। शिकायत में कहा गया है कि इन मशीनों की न तो कोई जरूरत थी, न कोई प्लानिंग और न ही कोई उपयोगिता, फिर भी इनकी खरीदी केवल कमीशनखोरी के उद्देश्य से की गई। सप्लायर्स के रूप में रामसा एलाईड इंटरप्राइजेज और ग्रीन प्लैनेट बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने अलग-अलग ग्राम पंचायतों में यह सामग्री आपूर्ति की। संबंधित पंचायतों को इनका भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किया गया। डॉ. सोनी ने आरोप लगाया कि नूतन कंवर ने जनपद सीईओ और सप्लायरों के साथ मिलीभगत कर शासन की करोड़ों की राशि का गबन किया है। उन्होंने मांग की है कि संबंधित अधिकारियों व सप्लायरों के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज कर जांच की जाए। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करती है।

कई अधिकारियों व सप्लायरों की संलिप्तता
शिकायत में कई अनुबंधों का उल्लेख किया गया है, जिनमें भुगतान करने वाले अधिकारी और खरीदार अलग-अलग हैं। यह सभी अनुबंध 6 व 7 अक्टूबर 2023 के बताए गए हैं, जो संदेह की दृष्टि से गंभीर हैं। आवेदन में यह भी दर्शाया गया कि विभिन्न ग्राम पंचायतों — जैसे पुहपुटरा, बटवाही, उदयपुर, कतकालो और सोनतराई — में जिन सप्लायरों रामसा एलाईड इंटरप्राइजेज और ग्रीन प्लैनेट बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सामग्रियाँ आपूर्ति की गईं, उनके बिल अलग-अलग राशि में दर्शाकर भुगतान कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इन मशीनों की न तो उपयोगिता थी,न ही आवश्यकता,बावजूद इसके केवल कमीशनखोरी के लिए इनका क्रय किया गया और सरकारी धन को ठिकाने लगाया गया। डॉ. डी.के. सोनी ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ यह मामला सिटी कोतवाली अंबिकापुर में प्रस्तुत किया है और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की माँग की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस प्रशासन इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करता है और क्या दोषियों पर शिकंजा कसा जाता है या नहीं। यह मामला न केवल सरकारी धन की बर्बादी को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जड़ों को भी उजागर करता है। यदि निष्पक्ष जांच हुई, तो कई अधिकारियों व सप्लायरों की संलिप्तता सामने आ सकती है।