जिस ज़मीन पर सरकार की नज़र, उस पर अब सौदा नहीं चलेगा! राजस्व संहिता में ऐतिहासिक संशोधन
★ – तीन वार, एक साफ संदेश: “अब जनता बिकेगी नहीं!…”
सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 16 मई 2025 । छत्तीसगढ़ सरकार ने ज़मीन घोटालों की जड़ों पर कुल्हाड़ी चला दी है। अब अगर किसी ज़मीन के संबंध में अर्जन का प्रस्ताव आया, अधिसूचना जारी हुई या खनन का आशय पत्र निकला—तो उस ज़मीन का सौदा, डायवर्सन और बंटवारा पूरी तरह गैरकानूनी होगा।
ये सिर्फ कानून नहीं, लूट के कारोबार पर ताले का आदेश है !
अब कोई दलाल ज़मीन लेकर “खनन कंपनी को बेच देंगे”, ऐसा ख्वाब भी नहीं देख सकता।
छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता संशोधन अधिनियम, 2024 ने ज़मीन के हर दलाल, माफिया और “सरकारी दलाल” की नींद उड़ा दी है।
तीन धाराएं, एक क्रांति :
धारा 165 (7ग):
अर्जन की भनक लगी?
रजिस्ट्री तत्काल बंद!
अब कोई ज़मीन एक हाथ से दूसरे हाथ नहीं जा सकेगी।
धारा 172 (2क):
खनन का प्लान बना?
डायवर्सन मतलब आपराधिक हरकत!
अब “भूमि उपयोग बदलो और मुनाफा काटो” स्कीम फेल!
धारा 178-ख (6):
“थोड़ी-थोड़ी ज़मीन बांट के खाओ” वाला फार्मूला
अब दफन!
बंटवारा भी पूरी तरह प्रतिबंधित।
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी का अल्टीमेटम : “अब सिस्टम की आड़ में सौदा नहीं, सेवा होगी- नहीं तो कार्रवाई तय!”
उन्होंने सभी SDM, तहसीलदार, रजिस्ट्रारों को पत्र भेजकर कहा है- “एक भी ज़मीन गलत तरीके से ट्रांसफर हुई, तो नाम, पद और सेवा—तीनों जाएंगे।”
इस फैसले से क्या होगा? :
आदिवासी, किसान और ग्रामीणों की ज़मीन अब खनन परियोजनाओं की बलि नहीं चढ़ेगी।
रियल एस्टेट लॉबी अब भू-अर्जन के नाम पर खेल नहीं पाएगी।
राजस्व अफसर और रजिस्ट्रार अब लालच में कानून तोड़ें, तो उनकी नौकरी सलामत नहीं।
अब दलालों की भाषा में सीधी बात :
“जिस ज़मीन पर सरकार की निगाह पड़ी, उस पर अब तेरी रजिस्ट्री नहीं चलेगी, तेरी चालाकी नहीं चलेगी, तेरी अदालतें भी नहीं चलेंगी।”