जिला शिक्षा अधिकारी से अभद्रता करने वाला कर्मचारी निलंबित, एफआईआर दर्ज — शिक्षा विभाग ने कहा “मर्यादा भंग करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई”

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। शिक्षा विभाग की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला मामला रायगढ़ जिले से सामने आया है, जहाँ एक शासकीय कर्मचारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारी के साथ अभद्र और धमकी भरा व्यवहार किया। मामला सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और आरोपी कर्मचारी को न केवल तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया, बल्कि एफआईआर दर्ज कर उसके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुड़ुमकेला (विकासखंड घरघोड़ा) में पदस्थ सहायक ग्रेड–03 प्रदीप सिंह ने 21 अक्टूबर 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) रायगढ़, डॉ. के. वी. राव के साथ अत्यंत अभद्र एवं अमर्यादित व्यवहार किया। बताया जा रहा है कि प्रदीप सिंह ने गलत तरीके से अपनी पदोन्नति (प्रमोशन) की मांग को लेकर लगातार दबाव बनाया हुआ था, जबकि वे नियमों के अनुसार पदोन्नति के पात्र नहीं थे।
डीईओ डॉ. राव ने जब उन्हें नियमों की जानकारी देते हुए प्रक्रिया समझाई, तो प्रदीप सिंह भड़क गया और फोन पर गाली-गलौज करते हुए अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया। यही नहीं, उन्होंने डीईओ के निजी व्हाट्सएप नंबर पर आपत्तिजनक एवं धमकी भरे संदेश भेजे, जो एक सरकारी कर्मचारी के आचरण के बिल्कुल विपरीत माने जाते हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने तत्काल थाना चक्रधर नगर में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 296, 351(3) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ कर दी है। इसके साथ ही, शिक्षा विभाग ने प्रदीप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
शिक्षा विभाग का सख्त संदेश:
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रायगढ़ ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की अशोभनीय, अनुशासनहीन और अपमानजनक घटनाएं किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। विभाग ने कहा कि शिक्षा का क्षेत्र मर्यादा, शालीनता और सेवा भावना पर आधारित है और इस प्रकार का व्यवहार न केवल प्रशासनिक अनुशासन को तोड़ता है बल्कि पूरे शिक्षकीय समुदाय की गरिमा को भी ठेस पहुँचाता है।
विभाग ने सभी प्राचार्यों, व्याख्याताओं, शिक्षकों, लिपिकों एवं कर्मचारियों को आचार संहिता और सेवा शिष्टाचार का कड़ाई से पालन करने के निर्देश जारी करने की बात कही है।
“विद्यालय में ऐसा होगा तो समाज को क्या संदेश जाएगा?”
शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि शिक्षण संस्थानों में इस प्रकार का असंवेदनशील व्यवहार होता है, तो यह समाज और विद्यार्थियों दोनों के लिए गलत संदेश है। स्कूलों को आदर्श अनुशासन और संस्कार का केंद्र माना जाता है, ऐसे में शिक्षाकर्मी या कर्मचारी द्वारा वरिष्ठ अधिकारी का अपमान न केवल विभागीय मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की साख पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट