घरघोड़ा में जंगली हाथियों की दहशत: वन विभाग की लापरवाही से मचा हड़कंप!

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के घरघोड़ा क्षेत्र के नावापारा (टेंडा) में बीते शाम करीब 5:45 (पौने छः बजे) करीब बाजारडाँड़ के पास अचानक तीन जंगली हाथियों के प्रकट होने से इलाके में दहशत का माहौल बन गया। साप्ताहिक बाजार के दिन, जब लोग अपनी रोजमर्रा की खरीदारी में व्यस्त थे, हाथियों की इस अप्रत्याशित चहलकदमी ने अफरातफरी मचा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ये तीनों हाथी कोलवासरी की ओर बढ़ते देखे गए, लेकिन बारिश के कारण स्पष्ट वीडियो या तस्वीरें नहीं मिल पाईं। इस बीच, ग्राम गुमड़ा में एक हथिनी द्वारा शावक को जन्म देने की खबर ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। लेकिन सवाल यह है कि वन विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते क्या स्थानीय लोगों को हर बार इस तरह भय के साये में जीना पड़ेगा?
बाजार में मची भगदड़, जनता में रोष
साप्ताहिक बाजार का दिन होने के कारण नावापारा में उस समय भारी भीड़ थी। अचानक हाथियों के दिखने की खबर फैलते ही लोग इधर-उधर भागने लगे और बच्चे-बुजुर्गों में डर का माहौल व्याप्त हो गया। स्थानीय निवासी प्रकाश महंत ने गुस्से में कहा, “वन विभाग को बार-बार सूचित करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। अगर समय रहते कदम उठाए जाते, तो आज यह नौबत नहीं आती।” ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की उदासीनता के कारण ही जंगली जानवरों की आवाजाही गांवों तक पहुंच रही है, जिससे जान-माल का खतरा बढ़ गया है।
हथिनी के शावक का जन्म: खतरे की घंटी
ग्राम गुमड़ा में एक हथिनी द्वारा शावक को जन्म देने की घटना ने वन्यजीवों की बढ़ती गतिविधियों को और उजागर किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, शावक के जन्म के बाद हथिनी और उसके झुंड की आक्रामकता बढ़ सकती है, जो आसपास के गांवों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। लेकिन वन विभाग इस संवेदनशील स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि विभाग को पहले से ही इन क्षेत्रों में हाथियों की मौजूदगी की जानकारी थी, फिर भी कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया और न ही कोई सुरक्षा इंतजाम किए गए।
वन विभाग की लापरवाही उजागर
वन विभाग को घटना की सूचना दे दी गई है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सूचना देने के बाद भी विभाग की प्रतिक्रिया धीमी और अपर्याप्त रहती है। एक अन्य ग्रामीण, लक्ष्मी देवी, ने बताया, “हाथी कई बार गांवों के आसपास देखे गए हैं, लेकिन वन विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रहता है। न तो पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है, न ही ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।” यह पहली बार नहीं है जब घरघोड़ा क्षेत्र में जंगली हाथियों की वजह से दहशत फैली हो।
क्या है समाधान?
वन विभाग की ओर से समय-समय पर एडवाइजरी तो जारी की जाती है, जैसे कि हाथियों से सामना होने पर शोर मचाने, टॉर्च की रोशनी डालने या सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सलाह। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है कि जब विभाग को पहले से ही हाथियों की आवाजाही की जानकारी होती है, तो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से उपाय क्यों नहीं किए जाते? नावापारा और आसपास के गांवों में बाड़ लगाने, नियमित पेट्रोलिंग, और जागरूकता अभियानों की कमी साफ तौर पर वन विभाग की नाकामी को दर्शाती है।
जनता की मांग
नावापारा के निवासियों ने वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। वे चाहते हैं कि हाथियों को जंगल की ओर सुरक्षित खदेड़ा जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं। साथ ही, ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग भी उठाई है, क्योंकि बार-बार ऐसी घटनाओं से उनकी फसलें और आजीविका प्रभावित हो रही हैं।
वन विभाग की यह सुस्ती क्यों बरकरार? क्या ग्रामीणों को हर बार अपनी जान जोखिम में डालकर जंगली जानवरों से खुद ही निपटना होगा? यह घटना न केवल वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी चेतावनी देती है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो मानव-हाथी संघर्ष और भयावह रूप ले सकता है। वन विभाग को अब जागना होगा, वरना जनता का गुस्सा और बढ़ेगा।