जादुई कलश के जाल में फंसे हजारों ग्रामीण, चार ठग गिरफ्तार—करोड़ों की ठगी का काला खेल

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम जशपुर, विशेष संवाददाता। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में “जादुई कलश” के नाम पर चली ठगी की सनसनीखेज वारदात ने पूरे सरगुजा संभाग को हिला दिया है। पुलिस ने आर.पी. ग्रुप नामक कंपनी के मुख्य संचालकों सहित चार आरोपियों को धर दबोचा है, जो भोले-भाले ग्रामीणों को विदेश में कलश बेचकर करोड़ों का मुनाफा दिलाने का झांसा देकर 1 करोड़ 94 लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं। जशपुर, सरगुजा, कोरबा, रायगढ़ और बिलासपुर जिलों के हजारों ग्रामीण इस जाल में फंस चुके हैं, और पुलिस का अनुमान है कि ठगी की रकम और भी बढ़ सकती है। यह मामला न केवल आर्थिक धोखाधड़ी का है, बल्कि शॉर्टकट में अमीर बनने की लालच का भी—एक ऐसा ट्रेंड जो अब ठगों का पेशा बन चुका है।
मामले की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को थाना पत्थलगांव में दर्ज रिपोर्ट से हुई, जब ग्राम चिड़ौरा की 33 वर्षीय अमृता बाई ने शिकायत की कि 2021 में आर.पी. ग्रुप के आरोपी तुरेंद्र कुमार दिव्य उर्फ मनीष कुमार दिव्य, राजेंद्र कुमार दिव्य, प्रकाश चंद्र धृतलहरे और उपेंद्र कुमार सारथी ने उसे जादुई कलश का लालच दिया। आरोपियों ने दावा किया कि कोरबा के मंडवारानी में मिला यह कलश महंगे धातु का बना है, जो चावल को चुंबक की तरह खींचता है। भारत सरकार इसे विदेश में अरबों में बेचेगी, और कंपनी सदस्यों को 1 से 5 करोड़ तक अनुदान मिलेगा। सिक्योरिटी मनी और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर अमृता से 25,000 रुपये वसूले गए। 2021 से 2024 तक यह खेल चलता रहा, लेकिन पैसा लौटाने की बजाय ठग फरार हो गए। पुलिस ने धारा 420 और 34 के तहत मामला दर्ज किया।
जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी महेंद्र बहादुर सिंह ठाकुर (फरार) ने गिरोह को कलश का आइडिया दिया। उन्होंने दावा किया कि कलश जादुई है, विदेशी खरीदारों को बुलाने के लिए खर्चा चाहिए, और सदस्यों से पैसे इकट्ठे कर मुनाफा बांटा जाएगा। गिरफ्तार आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने आधार, पैन और फोटो लेकर KYC के नाम पर प्रति व्यक्ति 25,000 से 70,000 रुपये तक वसूले। पुलिस ने बिलासपुर, कोरबा और सीतापुर से विशेष टीम भेजकर इन्हें पकड़ा। गिरफ्तार आरोपी हैं: राजेंद्र कुमार दिव्य (46, कोरबा), तुरेंद्र उर्फ मनीष (38, कोरबा), प्रकाश चंद्र धृतलहरे (40, जशपुर) और उपेंद्र कुमार सारथी (56, सरगुजा)। इनके कब्जे से दस्तावेज, एक कार और मोबाइल जब्त हुए, जिनकी कीमत 13 लाख है। महेंद्र सहित एक अन्य फरार है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने बताया कि यह ठगी का संगठित नेटवर्क है, जो ग्रामीणों की अशिक्षा और गरीबी का फायदा उठाता है। जांच जारी है, और ठगी की रकम बढ़ने की आशंका है। लेकिन यह सिर्फ एक घटना नहीं—यह एक बड़े ट्रेंड का हिस्सा है, जहां ठग जादुई वस्तुओं के नाम पर शॉर्टकट अमीरी का सपना बेचते हैं। आइए देखें कैसे हनुमान सिक्का, हंडी और पैसा झरना जैसे स्कैम ठगों का व्यवसाय बन चुके हैं।
हनुमान सिक्का: जादुई चुंबकीय शक्ति का झांसा
हनुमान सिक्का ठगी भारत में सबसे पुराने और व्यापक स्कैमों में से एक है। ठग दावा करते हैं कि 1818 ई. का तांबे का एक आना सिक्का, जिसमें हनुमान जी पहाड़ उठाए हुए या राम दरबार की छवि है, जादुई है। यह सिक्का चावल को चुंबक की तरह खींचता है, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों की कीमत है। ठग इसे NASA या विदेशी कंपनियों को बेचने का लालच देते हैं, सदस्यता शुल्क वसूलते हैं। लेकिन सच्चाई? यह एक साधारण पुराना सिक्का है, जिसकी असली कीमत कुछ सौ रुपये।
उदाहरण: ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पिछले महीनों में कई घटनाएं घटीं, जहां सिक्के के लिए हमले हुए। एक महिला पर अज्ञात बदमाशों ने फायरिंग कर सिक्का मांगा। पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया, जो सिक्का बेचने के नाम पर लाखों ठग चुके थे। ठग इसे व्यवसाय बनाते हैं—सोशल मीडिया पर विज्ञापन, लोकल एजेंट्स का नेटवर्क, और कमीशन सिस्टम से गिरोह बढ़ाते हैं। गरीब ग्रामीण शॉर्टकट अमीरी की लालच में फंस जाते हैं, घर बेचकर पैसे जमा करते हैं।
हंडी ठगी: जादुई मटकी से अनंत धन का सपना
हंडी या जादुई मटकी ठगी में ठग दावा करते हैं कि एक प्राचीन हंडी मिली है, जो जादुई शक्ति से पैसे या सोना उगलती है। इसे विदेश बेचकर मुनाफा बांटा जाएगा। सदस्यों से प्रोसेसिंग फीस, सिक्योरिटी और KYC और अकाउंट ओपनिंग के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं। यह कलश ठगी का ही रूप है, जहां हंडी को रेडिएशन या जादू से जोड़कर बेचा जाता है। ठग इसे व्यवसाय बनाते हैं—फर्जी कंपनियां बनाकर, सेमिनार आयोजित कर, और चेन सिस्टम से नए सदस्य जोड़ते हैं। शॉर्टकट करोड़पति बनने की चाहत में लोग परिवार की बचत गंवा देते हैं।
उदाहरण: 2024 में उत्तर प्रदेश में एक गिरोह पकड़ा गया, जो हंडी बेचने के नाम पर 50 लाख ठग चुका था। ठगों ने फर्जी सरकारी दस्तावेज दिखाकर बुजुर्गों को फंसाया। इसी तरह, मध्य प्रदेश में 2023 की घटना में 20 ग्रामीणों से 2 करोड़ ठगे गए, जब ठगों ने हंडी से “पैसे निकलने” का डेमो दिया। यह स्कैम अब डिजिटल हो चुका है—ऑनलाइन ऐप्स से हंडी निवेश का लालच।
पैसा झरन: डबलिंग स्कैम का डिजिटल अवतार
पैसा झरना ठगी में ठग 15 दिनों में पैसा दोगुना करने का वादा करते हैं—शेयर ट्रेडिंग, क्रिप्टो या ऐप निवेश के नाम पर। छोटी रकम से शुरू कर, बड़े निवेश पर लालच देते हैं, फिर पैसा गायब। यह शॉर्टकट अमीरी का क्लासिक उदाहरण है, जहां ठग फर्जी ऐप्स बनाते हैं, सोशल मीडिया से शिकार ढूंढते हैं। व्यवसाय के रूप में, वे हवाला और क्रिप्टो से पैसे विदेश ट्रांसफर करते हैं, गिरोह में कमीशन बांटते हैं।
उदाहरण: उत्तराखंड में 2021 में पावर बैंक ऐप से 250 करोड़ की ठगी—15 दिनों में डबलिंग का लालच। मुख्य आरोपी गिरफ्तार, लेकिन हजारों प्रभावित। 2023 में चाइनीज ऐप्स से 1200 करोड़ ठगे गए, जहां लोन रिकवरी और गेमिंग ऐप से पैसे हवाला से चीन भेजे गए। हाल ही, नागालैंड में शेयर ट्रेडिंग ऐप से 15,000 रुपये ठगे गए, दो गिरफ्तार।
ये स्कैम ठगों का पेशा बन चुके हैं—फर्जी कंपनियां, ऐप्स और नेटवर्क से करोड़ों कमाते हैं, जबकि ग्रामीण शॉर्टकट अमीरी की चक्कर में सब गंवा देते हैं। पुलिस की सलाह: लालच से बचें, शिकायत 1930 पर करें। जशपुर मामले में जांच जारी, उम्मीद है पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। लेकिन सवाल वही—कब तक जारी रहेगा यह खेल?
