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जशपुर हादसा: गणेश विसर्जन की खुशी में मौत का तांडव, मुआवजे पर सियासी घमासान – 5 लाख vs 50 लाख की जंग

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम जशपुर, 3 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के जुरुडांड गांव में गणेश विसर्जन की झांकी रात के अंधेरे में मौत की झांकी बन गई। एक तेज रफ्तार बोलेरो वाहन ने श्रद्धालुओं को रौंद दिया, जिसमें तीन निर्दोष जानें चली गईं और 22 से ज्यादा लोग घायल हो गए। लेकिन यह हादसा महज एक सड़क दुर्घटना नहीं रह गया; यह अब सियासी जंग का मैदान बन चुका है। मृतकों के परिजन और कांग्रेस नेता मूसलाधार बारिश में सड़क पर डटे हुए हैं, चक्काजाम कर 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर रहे हैं। वहीं, भाजपा सरकार ने सिर्फ 5 लाख रुपये की सहायता घोषित की है। यह विवाद भाजपा की ‘दोहरी राजनीति’ को उजागर करता है – जब विपक्ष में थे, तो दबाव बनाकर मुआवजा बढ़वाया, अब सत्ता में हैं तो कंजूसी क्यों?

घटना की रात मंगलवार (2 सितंबर) की थी। बगीचा थाना क्षेत्र के जुरुडांड में गणेश विसर्जन जुलूस में करीब 100 से ज्यादा ग्रामीण शामिल थे। नशे में धुत ड्राइवर ने बोलेरो से टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही अरविंद केरकेट्टा समेत तीन लोगों की मौत हो गई। घायलों को जशपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कई की हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस ने ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन असली तूफान तो हादसे के बाद शुरू हुआ।

मृतकों के शवों को चरईडांड स्टेट हाईवे पर रखकर परिजनों ने चक्काजाम कर दिया है। बारिश की बौछारों के बीच सैकड़ों लोग सड़क पर बैठे हैं, यातायात ठप है, और राहगीर परेशान। कांग्रेस नेता मौके पर पहुंचे और संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार पर हमला बोला। नगर पंचायत कुनकुरी के अध्यक्ष विनयशील गुप्ता, जशपुर कांग्रेस जिला प्रभारी भानु प्रताप, प्रमोद गुप्ता, बबलू पांडे और ब्लॉक अध्यक्ष बुधराम वनवासी जैसे नेता धरने में शामिल हैं। उनका तर्क साफ है: पूर्व कांग्रेस सरकार में पत्थलगांव हिट-एंड-रन मामले में (जहां 1 मौत और 17 घायल हुए थे) विपक्षी दबाव के बाद 50 लाख रुपये मुआवजा दिया गया था। अब यहां तीन मौतें और ज्यादा घायल, तो भाजपा सरकार क्यों पीछे हट रही है? “कहां 5 लाख और कहां 50 लाख,” कांग्रेसियों का नारा गूंज रहा है।

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की भाजपा सरकार ने तुरंत 5 लाख रुपये प्रति मृतक परिवार और 50 हजार रुपये प्रति घायल की सहायता स्वीकृत की। सोशल मीडिया पर सीएम ने दुख जताया और जिला प्रशासन को निर्देश दिए। मौके पर बगीचा एसडीएम प्रदीप राठिया, एसडीओपी दिलीप कोसले और पुलिस बल प्रदर्शनकारियों को समझाने में जुटे हैं, लेकिन बात नहीं बन रही। हाईवे पर जाम से आम जनजीवन प्रभावित है, और प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए है।

यह पूरा प्रकरण राजनीति की उस पुरानी बीमारी को फिर से उजागर करता है, जहां मानवीय त्रासदी को सियासी हथियार बनाया जाता है। याद कीजिए, जब भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार थी, तब भाजपा विपक्ष में थी और पत्थलगांव मामले में जोरदार आंदोलन कर 50 लाख मुआवजा दिलवाया। अब भूमिकाएं उलट गईं हैं – कांग्रेस विपक्ष में है और वही दांव खेल रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा अपनी पुरानी मांगों को भूल गई? यह दोहरी नीति नहीं तो क्या है? एक तरफ ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा, दूसरी तरफ पीड़ित परिवारों के साथ कंजूसी। अगर सरकार ने समय रहते 50 लाख की मांग मानी होती, तो शायद यह बवाल न फैलता। लेकिन अब यह जशपुर की सड़कों से निकलकर पूरे छत्तीसगढ़ की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।

पीड़ित परिवारों की व्यथा समझनी होगी। गणेश विसर्जन जैसा पवित्र अवसर मौत का कारण बन जाए, तो दर्द कितना गहरा होगा? सरकार को सिर्फ घोषणाओं से आगे बढ़कर न्याय करना चाहिए। अन्यथा, ऐसे हादसे राजनीतिक फुटबॉल बनते रहेंगे, और असली पीड़ित बीच में पिसते रहेंगे। प्रशासन को जल्द समाधान निकालना चाहिए, वरना बारिश में भीगते ये लोग और उग्र हो सकते हैं।

Amar Chouhan

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