जल जीवन मिशन में ठेकेदारों की लापरवाही: भ्रष्टाचार का खुला खेल

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम जल जीवन मिशन, जिसका उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है, आज ठेकेदारों की लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार के कारण अपनी गति खोता नजर आ रहा है। रायगढ़ जिले में 30 जुलाई 2025 को आयोजित समीक्षा बैठक में कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी ने 9 ठेकेदारों के टेंडर निरस्त कर उन्हें ब्लैकलिस्ट करने के निर्देश दिए। यह कदम न केवल प्रशासन की सख्ती को दर्शाता है, बल्कि ठेकेदारों की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है।
लापरवाही का खुलासा, भ्रष्टाचार की बू
बैठक में सामने आया कि मे. गुप्ता ट्रेडिंग कंपनी, जितेश्वर साहू, अजय सेल्स, मुकुल मन्नत कंस्ट्रक्शन, आशीष ट्रेडर्स, दुर्गेश चंद्रा, हरिकृष्णा कंस्ट्रक्शन, हीरादेवी, और के. पी. राठौर जैसे ठेकेदारों ने न केवल काम में ढिलाई बरती, बल्कि कई प्रोजेक्ट्स को अधूरा छोड़ दिया। कुछ स्थानों पर तो काम पूरी तरह बंद पाया गया। यह लापरवाही केवल अक्षमता नहीं, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का स्पष्ट संकेत है। ठेकेदारों द्वारा समय पर काम न करना, अधूरी टंकियां छोड़ना, और नल कनेक्शन विस्तार में देरी करना जनता के साथ विश्वासघात है। यह संदेह पैदा करता है कि क्या फंड का गलत उपयोग या कमीशनखोरी इसके पीछे की वजह है।
जनता की उम्मीदों पर चोट
जल जीवन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजना, जो ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने का सपना देखती है, ठेकेदारों की इस हरकत से बदनाम हो रही है। कई गांवों में जहां पानी की किल्लत पहले से है, वहां अधूरी परियोजनाएं और हैंडओवर में देरी लोगों के लिए मुसीबत बन गई हैं। कलेक्टर ने सख्ती दिखाते हुए भौतिक सत्यापन और मासिक समीक्षा का आदेश दिया, लेकिन सवाल यह है कि ऐसी नौबत क्यों आई? क्या ठेकेदारों की नियुक्ति और निगरानी में शुरू से ही ढिलाई बरती गई? यह भ्रष्टाचार की उस संस्कृति को दर्शाता है, जहां ठेकेदार सरकारी योजनाओं को निजी लाभ का साधन समझते हैं।
सख्ती जरूरी, लेकिन व्यवस्था सुधार भी
कलेक्टर श्री चतुर्वेदी का यह कदम स्वागतयोग्य है। टेंडर निरस्तीकरण और ब्लैकलिस्टिंग जैसे कदम ठेकेदारों के लिए सबक हैं, लेकिन यह केवल शुरुआत है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तभी पूरी होगी, जब ठेकेदारों की नियुक्ति में पारदर्शिता, फंड के उपयोग की कड़ी निगरानी, और समयबद्ध प्रगति की जांच सुनिश्चित की जाएगी। फील्ड पर स्रोत की कमी, बिजली कनेक्शन में देरी, और योजनाओं में समन्वय की कमी जैसे मुद्दे भी बताते हैं कि प्रशासनिक स्तर पर सुधार की जरूरत है।
जल जीवन मिशन में ठेकेदारों की लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाता है, बल्कि आम जनता के हक को भी छीनता है। रायगढ़ की इस घटना को एक चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जहां हर ठेकेदार और अधिकारी जवाबदेह हो। तभी जल जीवन मिशन का सपना साकार होगा और हर घर तक नल से जल पहुंचेगा।