Latest News

जल-जंगल-जमीन की लड़ाई फिर तेज़:बनाई कोल ब्लॉक के भू-अर्जन के विरोध में ग्रामीणों का प्रदर्शन, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
तमनार क्षेत्र एक बार फिर औद्योगिक विस्तार और ग्रामीण अस्तित्व के संघर्ष का केंद्र बन गया है। बनाई कोल ब्लॉक के लिए प्रशासन द्वारा की जा रही भू-अर्जन प्रक्रिया के खिलाफ ग्रामीण सोमवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा और भू-अर्जन को तत्काल निरस्त करने की मांग की।

ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन ने क्षेत्र की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को नजरअंदाज कर लगातार खदानों और उद्योगों को मंजूरी दी है। आदिवासी बाहुल इस इलाके के लोग अब जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आंदोलन के मूड में हैं।




“दस साल से जमीन ली, काम शुरू नहीं — अब नहीं देंगे एक इंच भी”

ग्रामीणों ने बताया कि दस वर्ष पूर्व एनटीपीसी और जेएसडब्ल्यू कंपनियों के नाम पर अधिग्रहित जमीनों पर आज तक कोई परियोजना शुरू नहीं हुई। न रोजगार मिला, न वादे पूरे हुए। बावजूद इसके अब बनाई कोल ब्लॉक के लिए फिर से भू-अर्जन की तैयारी की जा रही है।
ग्राम पंचायत नूनदरहा के ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर यह तय किया गया है कि अब किसी भी कंपनी को जमीन नहीं दी जाएगी।




ग्राम पंचायत नूनदरहा के ग्रामीणों की मांगें

बनाई कोल ब्लॉक के लिए चल रहे भू-अर्जन को तत्काल निरस्त किया जाए।

पहले से अधिग्रहित जमीनों पर काम शुरू न करने वाली कंपनियों से भूमि वापस ली जाए।

ग्रामीणों को उनके अधिकार और रोजगार की गारंटी दी जाए।

जंगल और कृषि भूमि को बचाने के लिए शासन ठोस नीति बनाए।





औद्योगिकरण से हाशिये पर पहुंचे किसान और आदिवासी

तमनार क्षेत्र में पिछले डेढ़ दशक से कोल ब्लॉक और पावर प्रोजेक्ट्स की बाढ़ सी आ गई है। इसके कारण खेती योग्य जमीन और वनों का तेजी से क्षरण हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जहां हरियाली थी, आज वहां धूल और खदानों का अंधेरा छा गया है।
वनोपज और खेती से जीवन यापन करने वाले आदिवासी अब रोजगार के संकट से जूझ रहे हैं।




जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराज़गी

प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जनता की आवाज़ बनने के बजाय कंपनियों के पक्ष में चुप्पी साधे बैठे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शासन ने इस बार उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन को जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी तक विस्तारित किया जाएगा।




ग्रामीणों की चेतावनी – “यह सिर्फ जमीन नहीं, जीवन की लड़ाई है”

नूनदरहा, बरकसपाली, औराईमुड़ा, बनाई और आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने एकस्वर में कहा —

> “हमारी जमीन हमारी मां है, इसे अब किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाएंगे।”






पत्रकारीय विश्लेषण

रायगढ़ का तमनार क्षेत्र छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नक्शे पर जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही पर्यावरणीय खतरे की जद में भी है। कोयला खदानों और उद्योगों से मिलने वाली विकास की चमक के पीछे विस्थापन, बेरोजगारी और पर्यावरण विनाश की एक कड़वी सच्चाई छिपी है।
यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी, तो यह विरोध आने वाले दिनों में राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है।

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button