Latest News

जन वीडियो के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, प्रधानमंत्री का इस्तीफा और बढ़ते संकट

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम काठमांडू, 10 सितंबर 2025: नेपाल में पिछले कुछ दिनों से चल रहे बड़े पैमाने पर प्रदर्शन अब हिंसक रूप धारण कर चुके हैं। युवा पीढ़ी, जिसे ‘जन जेड’ (Gen Z) के रूप में जाना जा रहा है, द्वारा शुरू किए गए ये विरोध भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन इससे पहले ही 22 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हो चुके हैं। देश की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, सेना तैनात की गई है, और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने हिंसा की निंदा की है और जांच की मांग की है। आइए, इस संकट की विस्तृत जानकारी देखें..

प्रदर्शनों का कारण: सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार का गुस्सा
प्रदर्शन की शुरुआत 8 सितंबर को हुई, जब नेपाल सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब, टिकटॉक और अन्य 20 से अधिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म्स समय पर रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए, जिससे नफरत फैलाने वाली खबरें, फर्जी खाते और धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला। नेपाल के 3 करोड़ आबादी में से 90% इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, और युवाओं के लिए सोशल मीडिया आवाज उठाने का प्रमुख माध्यम है।

इस प्रतिबंध ने युवाओं का गुस्सा भड़का दिया, जो पहले से ही भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) से तंग आ चुके थे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो दिखाते थे कि राजनेताओं के बच्चे लग्जरी जीवन जी रहे हैं, जबकि देश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 1,300 डॉलर है। युवा कर चुकाते हैं लेकिन सुविधाओं का अभाव है। प्रदर्शनकारियों के नारे थे: “सोशल मीडिया बंद मत करो, भ्रष्टाचार बंद करो!” और “युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ!”

ये प्रदर्शन नेपाल के इतिहास में दशकों के सबसे बड़े विद्रोह के रूप में देखे जा रहे हैं। जन जेड आंदोलन ने राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक मंदी और युवाओं के विदेश पलायन (काम की तलाश में) पर सवाल उठाए हैं।

हिंसा का दौर: मौतें, आगजनी और सरकारी इमारतों पर हमला
8 सितंबर को काठमांडू में हजारों युवा संसद भवन की ओर मार्च कर रहे थे। पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट्स और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया, लेकिन बात बिगड़ गई और लाइव गोलीबारी हुई। पहले दिन ही 19 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर युवा छात्र थे। 300 से अधिक घायल हुए, और स्वास्थ्य मंत्रालय ने काठमांडू के अस्पतालों में ब्लड डोनेशन की अपील की।

9 सितंबर को कर्फ्यू तोड़कर प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन, नेपाली राजनितिक कार्यालय और सिंग्हा दरबार (सरकारी मुख्यालय) पर हमला कर दिया। इमारतों में आग लगा दी गई, खिड़कियां तोड़ दी गईं, और राजनेताओं के घरों को निशाना बनाया। काठमांडू पोस्ट अखबार का कार्यालय भी आग की चपेट में आ गया, जिससे उनके सर्वर डाउन हो गए।

मौतों का आंकड़ा बढ़कर 22 हो गया, और 633 से अधिक घायल। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल की पत्नी आगजनी में गंभीर रूप से घायल हुईं। नेपाल आर्मी ने रात 10 बजे से स्थिति संभालने का ऐलान किया, और सैनिकों ने गश्त शुरू कर दी।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने पुलिस की घातक कार्रवाई की निंदा की, कहा कि यह नागरिकों की जान की अवहेलना है। संयुक्त राष्ट्र के निवासी समन्वयक हानाा सिंगर-हामदी ने कहा, “यह नेपाल जैसा नहीं लगता।”

प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा: राजनीतिक संकट गहराया
प्रदर्शनों के दबाव में 9 सितंबर को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को इस्तीफा सौंप दिया। ओली ने कहा, “यह राजनीतिक समाधान के लिए है।” वे 2024 में पांचवीं बार चुने गए थे, लेकिन उनकी कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाल की गठबंधन सरकार में चार मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं।

राष्ट्रपति ने जन जेड नेताओं से बातचीत का ऐलान किया, लेकिन ओली के उत्तराधिकारी कौन होंगे, यह स्पष्ट नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने इस्तीफे का जश्न मनाया, लेकिन हिंसा जारी रही। एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया, “नेपाल में गोदी मीडिया को भी निशाना बनाया गया।”

अन्य प्रभाव: जेल ब्रेक, एयरपोर्ट बंद और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
जेल ब्रेक: प्रदर्शनों के दौरान 1,500 से अधिक कैदी जेलों से फरार हो गए, जिससे कानून-व्यवस्था की चिंता बढ़ गई।
ट्रिपुर्वन इंटरनेशनल एयरपोर्ट: काठमांडू का मुख्य हवाई अड्डा अनिश्चितकाल के लिए बंद। एयर इंडिया और इंडिगो ने यात्रियों को रीशेड्यूलिंग की छूट दी। भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए:


भारतीय प्रतिक्रिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में नेपाल की स्थिति पर चर्चा की। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पोखरा में फंसे पर्यटकों के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मदद मांगी। राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने दूतावास से जानकारी ली। अमेरिकी दूतावास ने नागरिकों को शेल्टर इन प्लेस रहने की सलाह दी।
सोशल मीडिया बहाली: सरकार ने प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन नुकसान हो चुका।

शांति की अपील और चिंताएं
नेपाल आर्मी चीफ ने राष्ट्र को संबोधित कर शांति की अपील की। नेपाली कांग्रेस के महामंत्री विश्वप्रकाश शर्मा और गगन थापा ने संयम और संवाद की बात कही। लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे भ्रष्टाचार समाप्त होने तक नहीं रुकेंगे।

यह संकट नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को उजागर करता है। 2008 में राजतंत्र समाप्त होने के बाद से देश गणतंत्र है, लेकिन भ्रष्टाचार और आर्थिक चुनौतियां बनी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जताई है। यदि हिंसा नहीं रुकी, तो आर्थिक नुकसान और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है, खासकर भारत-नेपाल सीमा पर जहां भी हिंसा फैली।

नेपाल के युवा बदलाव चाहते हैं, लेकिन यह आंदोलन शांति पूर्ण होना चाहिए। स्थिति तेजी से बदल रही है, इसलिए अपडेट्स के लिए आधिकारिक स्रोतों पर नजर रखें।

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button