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छत्तीसगढ़ में राजस्व सेवाएं ठप: तहसीलदार-नायब तहसीलदार 28 जुलाई से हड़ताल पर, 17 सूत्रीय मांगें पूरी न होने पर अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी



सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर: छत्तीसगढ़ में आज, 28 जुलाई 2025 से तहसील कार्यालयों की सभी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले तीन दिवसीय चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर रहे हैं। यह आंदोलन 28 से 30 जुलाई तक चलेगा, और यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। इससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

**तीन दिन का आंदोलन, फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी** 
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने 18 जुलाई को मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें उठाई थीं। संघ का कहना है कि लंबे समय से संसाधनों की कमी, तकनीकी सुविधाओं का अभाव, और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार की अनदेखी हो रही है। इसके विरोध में आंदोलन का कार्यक्रम इस प्रकार है: 
– **28 जुलाई**: जिला स्तर पर सामूहिक अवकाश और विरोध प्रदर्शन। 
– **29 जुलाई**: संभाग और राज्य स्तर पर सामूहिक अवकाश और प्रदर्शन। 
– **30 जुलाई**: राजधानी रायपुर में सामूहिक धरना-प्रदर्शन। 
संघ ने स्पष्ट किया कि यदि 30 जुलाई तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू होगी, जिससे तहसील कार्यालयों का काम पूरी तरह ठप हो सकता है।

**क्यों नाराज हैं राजस्व अधिकारी?** 
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का कहना है कि शासन के साथ बार-बार पत्राचार और मांगों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। संसाधनों की कमी, स्टाफ की अनुपलब्धता, और सुरक्षा जैसे मुद्दों ने उनके काम को मुश्किल बना दिया है। उनकी 17 सूत्रीय मांगों में शामिल हैं: 
1. **पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति**: सभी तहसीलों में कंप्यूटर ऑपरेटर, नायब नाजिर, माल जमादार, भृत्य, वाहन चालक, और पटवारी जैसे पदों पर तैनाती। 
2. **नायब तहसीलदार को राजपत्रित पद**: नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित घोषित किया जाए। 
3. **पदोन्नति में सुधार**: तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर 50:50 अनुपात में सीधी भर्ती और पदोन्नति। 
4. **सुरक्षा और संसाधन**: प्रत्येक तहसील में सुरक्षाकर्मी, शासकीय वाहन, और शासकीय मोबाइल नंबर/डिवाइस की व्यवस्था। 
5. **लंबित ग्रेड-पे सुधार**: वेतन विसंगतियों का तत्काल समाधान। 
6. **निलंबन पर रोक**: बिना ठोस कारण निलंबित अधिकारियों की 15 दिन में बहाली। 
7. **न्यायिक सुधार**: राजस्व न्यायालयों के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन और न्यायिक कार्यों के लिए अलग व्यवस्था। 
8. **लोक सेवा गारंटी अधिनियम से छूट**: स्टाफ की कमी वाली तहसीलों को समय-सीमा की बाध्यता से मुक्त किया जाए। 
9. **एसएलआर/एएसएलआर की बहाली**: भू-अभिलेख कार्यों के लिए इन पदों को पुनर्जनन। 
10. **मुआवजा नीति**: सड़क दुर्घटनाओं और अन्य घटनाओं के लिए तत्काल मुआवजा नीति।

**जनता पर क्या होगा असर?** 
इस हड़ताल के कारण तहसील कार्यालयों में होने वाले सभी राजस्व कार्य प्रभावित होंगे, जिनमें शामिल हैं: 
– **नामांतरण और बंटवारा**: जमीन से जुड़े नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया रुकेगी। 
– **खसरा-खतौनी और प्रमाण पत्र**: खसरा-खतौनी की प्रतिलिपि, जाति, निवास, और आय प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों का काम ठप रहेगा। 
– **जमीन से जुड़े अन्य कार्य**: भूमि संबंधी सभी कार्यवाहियां रुकेंगी, जिससे किसानों और आम जनता को परेशानी होगी। 

**पटवारी संघ भी हड़ताल की राह पर** 
तहसीलदारों के साथ-साथ पटवारी संघ ने भी हड़ताल का ऐलान किया है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। जमीन से जुड़े मामलों में देरी से ग्रामीण क्षेत्रों में अशांति की स्थिति बन सकती है।

**सरकार को आत्ममंथन की जरूरत** 
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल न केवल राजस्व सेवाओं को ठप कर रही है, बल्कि यह सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाती है। लंबे समय से अनसुनी मांगों और संसाधनों की कमी ने अधिकारियों को आंदोलन का रास्ता चुनने के लिए मजबूर किया है। सरकार को चाहिए कि: 
1. **तत्काल वार्ता शुरू करे**: मांगों पर गंभीरता से विचार कर समाधान निकाला जाए। 
2. **संसाधन उपलब्ध कराए**: तहसील कार्यालयों में स्टाफ, वाहन, और तकनीकी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। 
3. **पारदर्शिता और जवाबदेही**: मांगों के समाधान के लिए समयबद्ध योजना बनाई जाए। 
4. **जनहित को प्राथमिकता**: हड़ताल से जनता को होने वाली असुविधा को कम करने के लिए त्वरित कदम उठाए जाएं। 

छत्तीसगढ़ में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का आंदोलन सरकार के लिए एक चेतावनी है। यदि 30 जुलाई तक मांगें पूरी नहीं हुईं, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल से राजस्व सेवाएं पूरी तरह ठप हो सकती हैं, जिसका सीधा असर आम जनता और किसानों पर पड़ेगा। सरकार को अपनी गलतियों का अहसास कर तत्काल वार्ता और ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि जनता को अनावश्यक परेशानी न झेलनी पड़े और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रहे।

Amar Chouhan

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