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छत्तीसगढ़ में डीजे बजाने से पहले अनुमति जरूरी: हाईकोर्ट के निर्देशों का विस्तार

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में ध्वनि प्रदूषण (कोलाहल) को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं, जिसके तहत राज्य में त्योहारों, शादियों या किसी भी सामाजिक आयोजन में डीजे बजाने से पहले प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यह फैसला मुख्य रूप से ध्वनि प्रदूषण को कम करने और जनता की सेहत की रक्षा के उद्देश्य से लिया गया है। आइए इस खबर को विस्तार से समझते हैं, जिसमें कोर्ट के आदेश, कारण, दंड, डीजे संचालकों की चिंताएं और लागू होने वाली प्रक्रिया शामिल है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कोलाहल नियंत्रण अधिनियम (Noise Pollution Control Act) को तुरंत लागू करे। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली बेंच ने यह फैसला डीजे, लेजर लाइट्स और बीम लाइट्स से होने वाली परेशानियों को देखते हुए लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह (21 दिन) का समय दिया कि वह इस अधिनियम का मसौदा तैयार कर अदालत में पेश करे। अगली सुनवाई 9 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है।

मुख्य निर्देश: डीजे और वाहन-माउंटेड साउंड सिस्टम पर पहले से ही प्रतिबंध था, लेकिन अब इसे और सख्त किया गया है। बिना अनुमति के डीजे बजाने पर सख्त कार्रवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि सरकार अब देरी नहीं कर सकती, क्योंकि यह जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है।
कवरेज: यह नियम पूरे छत्तीसगढ़ पर लागू होगा, खासकर त्योहारों (जैसे गणेशोत्सव, नवरात्रि, दीवाली) और सामाजिक आयोजनों (शादियां, जुलूस) में। हाल ही में रायपुर और जगदलपुर जैसे जिलों में डीजे संचालकों के साथ बैठकें हो रही हैं, जहां अनुमति की प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है।

हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को एक गंभीर समस्या बताते हुए इसे बच्चों, बुजुर्गों, हृदय रोगियों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए खतरनाक ठहराया। मुख्य कारण:
– **स्वास्थ्य जोखिम**: तेज डीजे का शोर दिल के रोगियों को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि लेजर और बीम लाइट्स आंखों को प्रभावित करती हैं।
– **पर्यावरणीय प्रभाव**: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना जरूरी है। आवासीय क्षेत्रों में दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक शोर की अनुमति नहीं।
– **जन शिकायतें**: कई याचिकाओं में लोगों ने बताया कि त्योहारों और जुलूसों में डीजे से शांति भंग होती है। कोर्ट ने इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन माना।
– **पिछले आदेश**: हाईकोर्ट ने पहले भी (2024 में) वाहनों पर साउंड बॉक्स लगाकर डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब इसे व्यापक बनाया गया है।

– **कहां से लें?**: डीजे संचालकों या आयोजकों को स्थानीय प्रशासन (जैसे जोन कमिश्नर, थाना प्रभारी, एसडीएम या कलेक्टर) से अनुमति लेनी होगी। रायपुर जिला प्रशासन के अनुसार, हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत आवेदन पर विचार किया जाएगा।
– **क्या शामिल?**: अनुमति में कम ध्वनि स्तर (डेसिबल लिमिट का पालन), समय सीमा (रात 10 बजे के बाद प्रतिबंध), और स्थान (स्कूल, अस्पताल, कोर्ट से 100 मीटर दूर न होना) का उल्लेख होगा। अधिकतम दो डीजे या लाउडस्पीकर की अनुमति हो सकती है।
– **हालिया अपडेट**: 24 अगस्त 2025 को रायपुर में अधिकारियों ने डीजे संचालकों को चेतावनी दी कि बिना अनुमति के बजाने पर कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी। RTI एक्टिविस्ट संजय सिंह ठाकुर ने सवाल उठाया कि कुछ अधिकारी अनुमति देने की बात कर रहे हैं, जबकि कोर्ट ने रोकथाम पर जोर दिया है। हालांकि, प्रशासन स्पष्ट गाइडलाइन जारी करने की प्रक्रिया में है।
– **गणेशोत्सव के लिए**: 27 अगस्त 2025 से शुरू हो रहे गणेशोत्सव में केवल पारंपरिक वाद्ययंत्रों की अनुमति है; डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध। रायपुर पुलिस ने 26 अगस्त को डीजे संचालकों के साथ बैठक की, लेकिन संचालक कम साउंड में बजाने की मांग कर रहे हैं।

नियम तोड़ने पर सख्त सजा का प्रावधान:
– **जुर्माना**: 5 लाख रुपये तक।
– **कैद**: 5 साल तक की सजा, या दोनों।
– **अन्य**: वाहन जब्ती, परमिट रद्द, उपकरण जब्त। बार-बार उल्लंघन पर हाईकोर्ट में अवमानना का केस।
– **जिम्मेदारी**: कलेक्टर, एसपी, थाना प्रभारी और आयोजक सभी जिम्मेदार। शिकायत पर तत्काल कार्रवाई, जैसे टोल-फ्री नंबर पर रिपोर्टिंग।

डीजे संचालकों ने हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। उनका कहना है:
– पुलिस एकतरफा कार्रवाई करती है, इसलिए स्पष्ट गाइडलाइन चाहिए।
– लोन लेकर कारोबार शुरू किया है; प्रतिबंध से रोजगार प्रभावित होगा।
– जांजगीर-चांपा जैसे जिलों में संचालकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, अनुमति की मांग की।
– रायपुर के धुमाल डीजे संघ के अध्यक्ष गौतम महानंद ने कहा कि त्योहारों में कम साउंड में डीजे बजाने दें, वरना रोजी-रोटी का सवाल है।

कोर्ट ने इन चिंताओं को सुना, लेकिन कहा कि स्वास्थ्य पहले है। सरकार को गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया गया है।

यह फैसला छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण को कम करने की दिशा में बड़ा कदम है, लेकिन डीजे संचालकों के लिए चुनौतीपूर्ण। त्योहारों का मौसम नजदीक होने से (जैसे गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से), प्रशासन सख्ती बरत रहा है। लोगों को सलाह है कि आयोजन से पहले स्थानीय थाने या एसडीएम कार्यालय से संपर्क करें। यदि नियमों का पालन हो, तो शांतिपूर्ण आयोजन संभव है। अगली सुनवाई (9 सितंबर) के बाद और स्पष्टता आ सकती है। यह खबर राज्य सरकार, पुलिस और नागरिकों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है, जहां स्वास्थ्य और परंपरा दोनों का ध्यान रखा जाए।

Amar Chouhan

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