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चक्रधर समारोह में विवाद: नितिन दुबे का शो रद्द, छत्तीसगढ़ी कलाकारों के साथ भेदभाव का आरोप

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 30 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक चक्रधर समारोह इस बार विवादों के घेरे में है। रायगढ़ में आयोजित 40वें चक्रधर समारोह में मशहूर छत्तीसगढ़ी गायक नितिन दुबे का 1 सितंबर को प्रस्तावित कार्यक्रम अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया गया। इस फैसले से नाराज दुबे ने जिला प्रशासन और आयोजकों पर छत्तीसगढ़ी कलाकारों के साथ भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के जरिए उन्होंने अपनी पीड़ा और सवालों को जनता के सामने रखा।

बजट की कमी या भेदभाव?
नितिन दुबे ने खुलासा किया कि कुछ दिन पहले जिला प्रशासन की ओर से उन्हें एक मेल प्राप्त हुआ, जिसमें बजट की कमी का हवाला देकर 50% मेहनताने पर शो करने का प्रस्ताव दिया गया। दुबे ने तीखा सवाल उठाया कि जब बॉलीवुड या बाहरी बड़े कलाकारों को पूरा भुगतान किया जाता है, तो छत्तीसगढ़ी कलाकारों के साथ ही इस तरह का व्यवहार क्यों? उन्होंने कहा, “यह भेदभाव न केवल मेरे साथ है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति का अपमान है।”

‘रायगढ़ वाला राजा’ की गूंज और छत्तीसगढ़ का गौरव
‘रायगढ़ वाला राजा’ जैसे गीतों से न केवल रायगढ़, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का नाम देश-विदेश में रोशन करने वाले नितिन दुबे ने कहा कि उनके गीत प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं। “जब मैं ‘रायगढ़ वाला राजा’ गाता हूं, तो यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता की आवाज है। फिर भी हमें इस तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ता है,” उन्होंने दुख जताते हुए कहा।

नए कलाकारों के लिए चिंता
दुबे ने इस प्रवृत्ति को स्थानीय कलाकारों के भविष्य के लिए खतरनाक बताया। उनका कहना था कि अगर उनके जैसे स्थापित कलाकारों के साथ इस तरह का व्यवहार हो सकता है, तो नए और उभरते कलाकारों की स्थिति और दयनीय हो सकती है। “प्रदेश में छत्तीसगढ़ी कलाकारों के मेहनताने को काटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो कला और संस्कृति के लिए नुकसानदायक है,” उन्होंने चेतावनी दी।

‘छत्तीसगढ़ी कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा भीड़’
नितिन दुबे ने तर्क दिया कि चक्रधर समारोह में सबसे ज्यादा भीड़ छत्तीसगढ़ी कार्यक्रमों में उमड़ती है। “पंडाल तब खचाखच भरता है, जब छत्तीसगढ़ी गीत और नृत्य होते हैं। फिर भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों?” उन्होंने सवाल उठाया। दुबे ने कहा कि बाहरी बड़े कलाकारों के लिए अवसरों की कमी नहीं है, लेकिन स्थानीय कलाकारों के लिए चक्रधर जैसे मंच ही उनकी प्रतिभा दिखाने का प्रमुख अवसर हैं।

निराशा, लेकिन रायगढ़ से अटूट नाता
अपने शो के रद्द होने पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए नितिन दुबे ने कहा कि रायगढ़ की मिट्टी और यहां के लोगों के प्रति उनकी निष्ठा कभी कम नहीं होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में छत्तीसगढ़ी कलाकारों के लिए पर्याप्त बजट और सम्मानजनक अवसर सुनिश्चित किए जाएंगे। “मैं निराश हूं, लेकिन रायगढ़ और छत्तीसग� ढी कला के लिए मेरा समर्पण अटल है,” उन्होंने जोर देकर कहा।

आयोजकों और प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने चक्रधर समारोह जैसे प्रतिष्ठित आयोजन की व्यवस्था और प्रशासन की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय कलाकारों के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल कला जगत में असंतोष को जन्म दे रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और प्रोत्साहन पर भी सवाल उठा रहा है।

नितिन दुबे के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में आवाजें उठ रही हैं। कई प्रशंसकों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से माफी और तत्काल सुधार की मांग की है। यदि इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह विवाद बड़ा रूप ले सकता है और चक्रधर समारोह की साख पर असर डाल सकता है।

Amar Chouhan

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