घरघोड़ा MACT का बड़ा फैसला: अधिवक्ताओं की दमदार पैरवी से मृतक परिवार को मिला 1 करोड़ से अधिक मुआवज़ा, कहा—इसीलिए वकील जरूरी है

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा, रायगढ़।
सड़क दुर्घटनाओं में न्याय और मुआवज़े के लंबे संघर्ष के बीच घरघोड़ा मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने एक ऐसा ऐतिहासिक आदेश सुनाया है, जिसने न केवल पीड़ित परिवार को राहत दी है, बल्कि कानून की शक्ति और प्रभावी पैरवी की अहमियत को भी सामने रखा है। अदालत ने एक सड़क हादसे में मृत सुभाष पैकरा के परिवार को ₹1,02,00,000 (एक करोड़ दो लाख रुपये) का मुआवज़ा प्रदान करने का आदेश दिया है, जबकि हादसे में घायल मृतका की पत्नी के लिए ₹13,00,00 (तेरह लाख रुपये) का अतिरिक्त मुआवज़ा निर्धारित किया गया है।
इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे अधिवक्ता सुनील ठाकुर, सत्यजीत शर्मा और विनोद पटेल की तथ्यों पर आधारित मजबूत कानूनी रणनीति और सतत पैरवी को मुख्य कारण माना जा रहा है।
कैसे हुआ हादसा?
चारभाठा निवासी मृतक सुभाष पैकरा परिवार सहित अपने दैनिक कार्य से लौट रहे थे। इसी दौरान सामने से आ रही एक तेज़ रफ़्तार और लापरवाही से संचालित वाहन ने उनकी कार को जोरदार टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
परिवार का सहारा अचानक खत्म हो जाने से पत्नी, पुत्र और अन्य आश्रितों पर आर्थिक व मानसिक संकट का बड़ा बोझ आ गया।
परिवार की दुर्दशा और न्याय की उम्मीद
घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य खो देने के बाद परिवार ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में याचिका दायर की। आय के स्रोत बंद हो चुके थे, भविष्य अनिश्चित दिख रहा था, और न्याय ही एकमात्र उम्मीद बचा था।
अधिवक्ताओं की मजबूती से रखी गई दलीलें
परिवार की ओर से अधिवक्ता सुनील ठाकुर, सत्यजीत शर्मा और विनोद पटेल ने अदालत में हर तथ्य को सटीक ढंग से रखा।
उन्होंने निम्न महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत किए—
दुर्घटना की FIR
पंचनामा
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
मृतक की आय संबंधी प्रमाण
मृतक की उम्र और आश्रितों की स्थिति
भविष्य की संभावित आय और बढ़ती जिम्मेदारियां
अधिवक्ताओं ने यह सफलतापूर्वक साबित किया कि दुर्घटना पूरी तरह सामने से आ रहे वाहन चालक की लापरवाही से हुई थी। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नवीनतम व महत्वपूर्ण निर्णयों का हवाला देकर उच्चतम संभव मुआवज़ा प्रदान करने की मांग की गई।
न्यायालय का ऐतिहासिक आदेश
सभी तथ्यों, प्रमाणों और कानूनी तर्कों का विश्लेषण करते हुए घरघोड़ा MACT ने माना कि—
मृतक की आय
परिजनों की निर्भरता
भविष्य की आर्थिक संभावनाएं
मानसिक वेदना और असामयिक मृत्यु से हुई हानि
को देखते हुए परिवार को ₹1,02,00,000 मुआवज़ा दिया जाना पूरी तरह न्यायसंगत है।
इसके अलावा दुर्घटना में घायल मृतका की पत्नी के लिए ₹13,00,000 का मुआवज़ा अलग से स्वीकृत किया गया।
क्षेत्र में चर्चा का विषय
इतनी बड़ी राशि का मुआवज़ा निर्णय क्षेत्र में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि MACT मामलों में इतनी बड़ी रकम कम ही देखने को मिलती है।
परिवार ने न्यायालय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय न केवल आर्थिक राहत है, बल्कि उनके प्रियजन के प्रति न्यायपूर्ण सम्मान भी है।
अधिवक्ताओं—सुनील ठाकुर, सत्यजीत शर्मा और विनोद पटेल—की मेहनत और सूझबूझ भरी पैरवी की हर तरफ प्रशंसा हो रही है।
“इसीलिए वकील जरूरी है” — कानून की शक्ति का सजीव उदाहरण
यह मामला स्पष्ट करता है कि—
सही दस्तावेज,
सही तर्क,
और अनुभवी अधिवक्ता
मोटर दुर्घटना जैसे जटिल मामलों में न्याय दिलाने की सबसे बड़ी कुंजी हैं।
अधिवक्ताओं की भूमिका केवल मुकदमा लड़ने की नहीं, बल्कि पीड़ित परिवार को कानूनी सुरक्षा और सम्मानजनक मुआवज़ा दिलाने की होती है।