घरघोड़ा में 1.30 करोड़ का फाइनेंस फ्रॉड: श्रीराम फाइनेंस के कर्मचारियों और एजेंटों ने 26 फर्जी ग्राहकों को लोन दिलाकर कंपनी को लगाया चूना

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 09 नवंबर।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक चौंकाने वाला वित्तीय घोटाला सामने आया है। श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड की घरघोड़ा शाखा में कंपनी के कर्मचारियों और स्थानीय एजेंटों ने मिलकर लगभग 1 करोड़ 30 लाख 50 हजार रुपये की फर्जी लोन घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले का खुलासा कंपनी की आंतरिक जांच के बाद हुआ, जिसके बाद घरघोड़ा पुलिस थाना में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
तीन कर्मचारी और सात एजेंट बने घोटाले के सूत्रधार
कंपनी के लीगल विभाग के मैनेजर राकेश तिवारी (35 वर्ष), निवासी रायपुर तिल्दा बांसटाल रोड, ने घरघोड़ा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि कंपनी का मुख्यालय रायपुर के शंकर नगर में स्थित है और इसकी घरघोड़ा शाखा रायगढ़ रोड पर स्कूल के सामने संचालित होती है।
यहां कार्यरत वीरेंद्र प्रताप पुरसेठ (30 वर्ष, घरघोड़ा), खेमराज गुप्ता (37 वर्ष, छोटा गुमड़ा) और सुधीर निषाद (31 वर्ष, तमनार) ने वर्ष 2017 से 2019 के बीच 26 फर्जी ग्राहकों के नाम पर व्यापारिक लोन स्वीकृत करवाकर कंपनी को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।
कंपनी की जांच में पता चला कि आरोपियों ने दूसरों के व्यापारिक संस्थानों को अपना बताकर फर्जी दस्तावेज, जाली फोटो और नकली सत्यापन रिपोर्ट तैयार कर लोन स्वीकृत कराया।

कंपनी मैनेजर ने की गहन जांच, खुला पूरा जाल
साल 2019 में अनियमितता की सूचना मिलने के बाद कंपनी ने आरोपियों को चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने न तो राशि लौटाई और न ही संतोषजनक जवाब दिया।
इस पर कंपनी प्रबंधन ने 15 जनवरी 2025 को राकेश तिवारी को मामले की जांच सौंपी।
राकेश तिवारी के साथ विकास वर्मा, प्रवीण सोनी और सौरभ कलार ने मिलकर सभी तथाकथित ग्राहकों से संपर्क किया।
जांच में सामने आया कि अधिकांश ग्राहकों को वास्तविक रूप से लोन राशि कभी नहीं मिली। एजेंटों और कर्मचारियों ने ग्राहकों के नाम पर फर्जी अकाउंट खोलकर राशि का गबन कर लिया था।
एजेंट नेटवर्क ने निभाई बड़ी भूमिका
घोटाले में शामिल एजेंटों की पहचान राजकुमार साहू, मदनसुंदर साहू, खेमराज पटेल, नीलाम्बर यादव, नीलांचल गुप्ता, संजय गुप्ता और रामकुमार पोर्ते के रूप में हुई है।
ये एजेंट फर्जी कागजात तैयार कराने और बैंकिंग प्रक्रिया पूरी कराने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार, एजेंटों को हर लोन स्वीकृति पर कमीशन और लोन राशि का हिस्सा दिया जाता था।
26 फर्जी ग्राहकों की सूची से चौंकी पुलिस
जिन नामों से फर्जी व्यापारिक लोन जारी किए गए, उनमें रायगढ़ जिले के कई गांवों के लोग शामिल हैं —
जैमूरा (खरसिया) निवासी हेमंत कुमार पटेल, धौराभांठा के छबिशंकर गुप्ता, बहिरकेला के सुलित राठिया, भालूमुड़ा के पितांबर राठिया, हिंझर के शंकर लाल यादव, नवागढ़ के धनसाय गोड़, कसडोल के मनोज गुप्ता, पाली के भगतराम खंडित, महालोई के गंगाराम मिर्धा, बड़े गुमड़ा के धनुराज गुप्ता, काया के उदयचंद पटेल और कई अन्य शामिल हैं।
कंपनी के मुताबिक, कुछ ग्राहकों को लोन की जानकारी भी नहीं थी, जबकि कुछ को मामूली रकम दी गई और शेष राशि कर्मचारियों और एजेंटों ने बांट ली।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
घरघोड़ा पुलिस ने कंपनी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं —
धारा 120-बी (षड्यंत्र), 419 (छल), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी से दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 470 (फर्जी दस्तावेज उपयोग), 471 (फर्जी दस्तावेज का प्रयोग) — के तहत अपराध दर्ज किया है।
मामले की विवेचना शुरू हो चुकी है और आरोपियों से पूछताछ की तैयारी चल रही है।
कंपनी का बयान — पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता
श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि,
> “कंपनी पारदर्शिता और ग्राहकों के विश्वास पर आधारित है। जैसे ही हमें अनियमितता की जानकारी मिली, हमने तुरंत जांच कर पुलिस को रिपोर्ट दी। हम सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।”
स्थानीय स्तर पर मचा हड़कंप
घरघोड़ा जैसे छोटे कस्बे में करोड़ों रुपये के इस फाइनेंस घोटाले से व्यापारिक वर्ग में हलचल मच गई है।
ग्राहकों में भी भ्रम की स्थिति है, क्योंकि कई लोगों को अपने नाम पर लोन स्वीकृत होने की जानकारी जांच के दौरान ही मिली।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कई और नाम उजागर हो सकते हैं।
यह मामला न केवल वित्तीय संस्थानों की आंतरिक निगरानी प्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में सक्रिय एजेंट नेटवर्क किस तरह कंपनियों के नियमों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
घरघोड़ा फाइनेंस फ्रॉड ने यह साफ कर दिया है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना वित्तीय सेवाओं में भरोसे की नींव डगमगा सकती है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट