घरघोड़ा में भाजपा के पार्षदों पर गिरी गाज , क्रॉस वोटिंग से उपाध्यक्ष पद गंवाने के बाद दो पार्षदों को 6 साल के लिए निष्कासित ।

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम
विश्वासघात पर भाजपा का कठोर प्रहार: अनुशासनहीनता पर पार्टी की सख्त कार्रवाई, गद्दार पार्षद श्याम भोजवानी और अनिल लकड़ा पर चला निष्कासन का डंडा….
घरघोड़ा नगर पंचायत में बहुमत के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की करारी हार ने संगठन की नींव हिला दी है। पहले अध्यक्ष पद और फिर उपाध्यक्ष पद की हार के पीछे पार्टी के भीतर ही बैठे पार्षद की साजिश खुलकर सामने आ गई। क्रॉस वोटिंग कर भाजपा को शर्मनाक पराजय दिलाने वाले पार्षद श्याम भोजवानी और अनिल लकड़ा पर अब पार्टी ने अनुशासन की लाठी चला दी है। प्रदेश भाजपा ने इन दोनों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
घरघोड़ा में भाजपा की ऐतिहासिक हार: इनकी की साजिश से उपाध्यक्ष पद भी गया हाथ से… कोयला खदानों के बीच बसे घरघोड़ा नगर पंचायत को प्रदेश की राजनीति में खासा महत्व प्राप्त है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच हमेशा कड़ा मुकाबला रहता है। लेकिन इस बार निकाय चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। निर्दलीय उम्मीदवार सुरेंद्र सिल्लू चौधरी ने अध्यक्ष पद पर भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर दिया। हालांकि, उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा के पास पार्षदों का बहुमत था, लेकिन पार्टी के ही भीतर मौजूद लोगों ने कांग्रेस को जीत दिलाने में पूरी ताकत झोंक दी।
भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हराने के लिए श्याम भोजवानी और अनिल लकड़ा ने क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंप दी। इसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस के अमित त्रिपाठी उपाध्यक्ष बन गए और भाजपा के हाथ से एक और बड़ा अवसर निकल गया। इस कृतघात से जिले से लेकर प्रदेश तक भाजपा में हड़कंप मच गया, और पार्टी के अनुशासनात्मक डंडे ने अंततः इन गद्दारों पर चोट कर दी।
भाजपा का सख्त संदेश: विश्वासघात बर्दाश्त नहीं… घरघोड़ा में मिली हार को भाजपा ने महज एक चुनावी असफलता नहीं माना, बल्कि इसे संगठन के खिलाफ गंभीर साजिश करार दिया। अनुशासनहीनता पर सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव ने गद्दार पार्षदों को तत्काल प्रभाव से छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए कड़ा संदेश है जो पार्टी के भीतर रहकर गद्दारी करने का दुस्साहस करते हैं।
पार्टी के भीतर मचा हड़कंप, अन्य की तलाश जारी…
भाजपा की इस कड़ी कार्रवाई के बाद पार्टी के भीतर भय और घबराहट का माहौल बन गया है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इन दो पार्षदों के अलावा भी कुछ और नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। भाजपा नेतृत्व अब उन सभी पर नजर बनाए हुए है, जिन्होंने घरघोड़ा में पार्टी की हार की पटकथा लिखी।
निष्कासन का असर: पार्टी में अनुशासन लागू करने की कोशिश… इस घटना के बाद भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासनहीनता और विश्वासघात किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फैसले से पार्टी में अनुशासन बहाल करने की कोशिश की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की गलती दोबारा न हो।
घरघोड़ा में भाजपा के लिए खतरे की घंटी… घरघोड़ा की हार भाजपा के लिए एक चेतावनी है। जिस पार्टी ने यहां बहुमत के बावजूद अपनी स्थिति नहीं बचा पाई, वह भविष्य में भी गंभीर संकटों का सामना कर सकती है। भाजपा को अब यह समझना होगा कि बाहरी दुश्मनों से ज्यादा खतरा अंदर बैठे लोगों से है।
बहरहाल भाजपा की इस कार्रवाई के बाद सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इससे पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस मिल सकेगी, या फिर यह सिर्फ दिखावटी अनुशासन का तमाशा साबित होगा?

