घरघोड़ा पुलिस ने किया करोड़ों के फर्जी लोन घोटाले का पर्दाफाश — श्रीराम फाइनेंस कंपनी के पूर्व मैनेजर सहित दो गिरफ्तार, कई पर शिकंजा कसने की तैयारी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 9 नवंबर।
रायगढ़ जिले की घरघोड़ा पुलिस ने वित्तीय धोखाधड़ी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्रा.लि. रायपुर से जुड़े करीब 1 करोड़ 30 लाख रुपये के फर्जी व्यापार ऋण घोटाले का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में कंपनी के पूर्व कर्मचारी और एक दलाल को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रार्थी राकेश तिवारी, निवासी बांसटाल तिल्दा, रायपुर — जो श्रीराम फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्रा.लि. के लीगल विभाग में मैनेजर हैं — ने घरघोड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच कंपनी की घरघोड़ा शाखा में पदस्थ कुछ कर्मचारियों ने बाहरी दलालों से मिलीभगत कर 26 फर्जी ग्राहकों के नाम पर व्यापार ऋण स्वीकृत कराए।
इन कर्मचारियों ने कंपनी को धोखे में रखकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए, अन्य व्यक्तियों की दुकानों और संस्थानों को काल्पनिक ग्राहकों का व्यवसायिक स्थान बताकर सत्यापन रिपोर्ट भी झूठी बनाई। इस तरह कंपनी के फंड से लगभग ₹1.30 करोड़ की राशि निकालकर निजी खातों में गबन कर ली गई।
जांच में यह भी सामने आया कि ग्राम बहिरकेला निवासी राजकुमार साहू ने चार फर्जी ग्राहकों के नाम पर ₹26 लाख का ऋण खुद प्राप्त किया और इसमें शामिल कर्मचारियों को रिश्वत दी थी।
प्रार्थी की शिकायत पर घरघोड़ा थाना पुलिस ने अपराध क्रमांक 297/2025 के तहत धारा 419, 420, 467, 468, 470, 471 और 120(बी) भा.द.वि. के अंतर्गत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
जांच के दौरान पुलिस ने मुख्य आरोपी वीरेन्द्र प्रताप पुरसेठ (उम्र 34 वर्ष, निवासी वार्ड 08 नावापारा, घरघोड़ा) और सहयोगी राजकुमार साहू (उम्र 44 वर्ष, निवासी ग्राम बहिरकेला) को हिरासत में लिया। पूछताछ में दोनों ने अपराध स्वीकार कर लिया। दोनों आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है, जबकि घोटाले में शामिल अन्य सहयोगियों की तलाश जारी है।
इस पूरे अभियान में थाना प्रभारी निरीक्षक कुमार गौरव साहू के नेतृत्व में सहायक उपनिरीक्षक खेमराज पटेल, प्रधान आरक्षक अरविंद पटनायक, आरक्षक हरीश पटेल, उद्यो राम पटेल, चंद्रशेखर चंद्राकर, प्रहलाद भगत, भानु चंद्रा और महिला आरक्षक सुप्रिया सिदार की सराहनीय भूमिका रही।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, फाइनेंस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर अब यह जांच की जा रही है कि इस वित्तीय गड़बड़ी में और कौन-कौन से कर्मचारी या बाहरी एजेंट शामिल थे। पुलिस इस घोटाले के पूरे सिंडिकेट तक पहुँचने के लिए वित्तीय रिकॉर्ड, बैंक खातों और ऋण सत्यापन दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है।
यह मामला जिले में वित्तीय संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों और फील्ड एजेंटों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पुलिस का मानना है कि यदि समय रहते यह मामला उजागर नहीं होता, तो कंपनी को करोड़ों का और नुकसान उठाना पड़ सकता था।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट