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घरघोड़ा: खाद की किल्लत से अन्नदाता संकट में, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा, 30 अगस्त 2025: खरीफ सीजन के बीच घरघोड़ा क्षेत्र के किसानों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। धान की बुआई और रोपाई के बाद खेतों में यूरिया और डीएपी जैसे जरूरी खाद की भारी कमी ने किसानों की मेहनत और फसल को खतरे में डाल दिया है। सहकारी समितियों में खाद का स्टॉक खत्म होने से किसान निजी दुकानों से कई गुना ऊंची कीमतों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ रही है और किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा रही है।

इस गंभीर मसले को लेकर शनिवार को ब्लॉक कांग्रेस कमेटी घरघोड़ा ने एसडीएम कार्यालय में धावा बोलकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि खाद की आपूर्ति में देरी और किल्लत के चलते फसल बर्बादी का खतरा बढ़ गया है। कांग्रेस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि तत्काल इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो हजारों किसान सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे।

कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन और शासन पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि जिस समय अन्नदाता को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस समय सहकारी समितियों में खाद का टोटा बना हुआ है। किसानों को निजी दुकानों से मनमानी कीमतों पर खाद खरीदना पड़ रहा है, जो उनकी कमर तोड़ रहा है। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने कड़े शब्दों में कहा, “यह अन्नदाता के साथ सीधा अन्याय है। पहले कुर्मीभौना सहित कई गांवों के किसानों ने खाद की किल्लत को लेकर शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब स्थिति बेकाबू हो रही है।”

शिवकुमार शर्मा ने प्रशासन को सात दिन की मोहलत देते हुए चेतावनी दी कि यदि इस अवधि में पर्याप्त खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो कांग्रेस खेत-खलिहान से लेकर सड़कों तक उग्र आंदोलन छेड़ेगी। उन्होंने कहा, “इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी। किसानों की मेहनत और फसल से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

क्षेत्र के किसान पहले ही महंगे डीजल, कीटनाशकों और मजदूरी की बढ़ती लागत से जूझ रहे हैं। अब खाद की किल्लत ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है। कई किसानों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे उनकी आजीविका खतरे में है।

कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि किसानों के हितों की अनदेखी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। किसान संगठनों ने भी इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है और चेतावनी दी है कि यह मसला जल्द ही बड़ा जनांदोलन का रूप ले सकता है।

प्रशासन की ओर से अभी तक इस मसले पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। किसानों का कहना है कि सहकारी समितियों में खाद की आपूर्ति नाममात्र की है और निजी दुकानों की लूट ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बीच, कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़कों तक उठाने का ऐलान किया है।

घरघोड़ा क्षेत्र में खाद की किल्लत अब केवल किसानों का मसला नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। यदि प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो यह संकट क्षेत्र में बड़े असंतोष का कारण बन सकता है।

Amar Chouhan

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