घरघोड़ा के केनापारा गांव में शेर की आहट: खेत-खलिहानों में ताजा पदचिह्न, वन विभाग सतर्क, ग्रामीणों के लिए सुझाव

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा, रायगढ़ (छत्तीसगढ़): रायगढ़ जिले के घरघोड़ा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले केनापारा गांव में रविवार की सुबह एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया। गांव के खेत-खलिहानों में एक जंगली जानवर, संभवतः शेर, के ताजा पदचिह्न (पंजों के निशान) देखे गए। इन निशानों की खोज स्थानीय ग्रामीणों द्वारा की गई, जिन्होंने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी। प्रारंभिक जांच में वन विभाग ने इन पदचिह्नों को शेर के होने की संभावना जताई है, जिसके बाद क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी गई है। वन विभाग ने ग्रामीणों के लिए सुरक्षा सुझाव जारी किए हैं।

रविवार की सुबह, केनापारा गांव के कुछ किसान जब अपने खेतों में काम करने गए, तो उन्होंने खेतों और खलिहानों में बड़े आकार के पंजों के निशान देखे। ये निशान सामान्य जानवरों से कहीं बड़े और गहरे थे, जो किसी बड़े शिकारी जानवर की मौजूदगी का संकेत दे रहे थे। ग्रामीणों ने तुरंत इसकी जानकारी स्थानीय वन विभाग की टीम को दी। वन विभाग की एक विशेषज्ञ टीम तत्काल मौके पर पहुंची और पदचिह्नों की जांच की। प्रारंभिक जांच में विशेषज्ञों ने संभावना जताई कि ये निशान किसी शेर या अन्य बड़े बिल्ली प्रजाति के जानवर, जैसे तेंदुआ, के हो सकते हैं। हालांकि, निशानों का आकार और गहराई शेर की मौजूदगी की ओर अधिक इशारा कर रही है।
यह पहली बार नहीं है जब घरघोड़ा क्षेत्र में जंगली जानवरों की मौजूदगी की खबरें सामने आई हैं। यह क्षेत्र घने जंगलों और औद्योगिक गतिविधियों से घिरा हुआ है, जो जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास के रूप में जाना जाता है। लेकिन, शेर जैसे बड़े शिकारी जानवर का गांव के इतने करीब आना ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

सूचना मिलते ही वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी। विभाग ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
1. पदचिह्नों की जांच और निगरानी: वन विभाग की विशेषज्ञ टीम ने पदचिह्नों का विश्लेषण किया और क्षेत्र में अतिरिक्त निगरानी शुरू की। जंगलों और गांव के आसपास के इलाकों में कैमरे और अन्य निगरानी उपकरण लगाए जा रहे हैं ताकि जानवर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
2. ग्रामीणों के लिए जागरूकता अभियान: वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए जागरूक करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत गांव में सभाएं आयोजित की जा रही हैं, जहां लोगों को सुरक्षा सुझाव दिए जा रहे हैं।
शेर के पदचिह्नों की खबर से केनापारा और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण, विशेष रूप से किसान और महिलाएं, जो खेतों और जंगलों के पास काम करते हैं, डर के साये में जी रहे हैं। वन विभाग ने ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित सुझाव जारी किए हैं:
1. रात में अकेले बाहर न निकलें: शेर जैसे शिकारी जानवर आमतौर पर रात में अधिक सक्रिय होते हैं। इसलिए, ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे रात के समय अकेले खेतों, जंगलों या सुनसान रास्तों पर न जाएं।
2. आतिशबाजी का उपयोग न करें: आतिशबाजी का शोर जानवर को उत्तेजित कर सकता है, जिससे वह आक्रामक हो सकता है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे आतिशबाजी का उपयोग करने से बचें।
3. समूह में काम करें: खेतों में काम करते समय या जंगल के पास जाने पर ग्रामीणों को समूह में रहने की सलाह दी गई है। समूह में रहने से जंगली जानवरों के हमले का खतरा कम हो जाता है।
4. शोर मचाने वाले उपकरणों का उपयोग: ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे अपने साथ शोर मचाने वाले उपकरण, जैसे डब्बे या सीटी, रखें, ताकि जंगली जानवरों को डराया जा सके।
5. पशुओं की सुरक्षा: ग्रामीणों को अपने पालतू पशुओं को रात में सुरक्षित स्थानों पर बांधने और खुले में न छोड़ने की सलाह दी गई है, क्योंकि शेर जैसे शिकारी जानवर अक्सर पालतू पशुओं को निशाना बनाते हैं।
6. वन विभाग से तत्काल संपर्क: किसी भी संदिग्ध गतिविधि, जैसे पदचिह्न, जानवर की आवाज, या प्रत्यक्ष दर्शन होने पर तुरंत वन विभाग को सूचित करने के लिए कहा गया है। इसके लिए विभाग ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।

केनापारा गांव के आसपास के जंगल छत्तीसगढ़ के समृद्ध जैव-विविधता वाले क्षेत्रों में से एक हैं। यहां शेर, तेंदुआ, भालू, और अन्य जंगली जानवरों की मौजूदगी समय-समय पर देखी जाती रही है। हालांकि, शेर जैसे बड़े शिकारी जानवरों का मानव बस्तियों के करीब आना मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक गंभीर संकेत है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
– आवास का नुकसान: जंगलों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों के कारण जंगली जानवरों का प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है, जिसके चलते वे भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आ रहे हैं।
– जलवायु परिवर्तन: बदलते मौसम और गर्मी के कारण जंगलों में पानी और भोजन की कमी हो रही है, जिससे जानवर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं।
– मानवीय हस्तक्षेप: खनन और अन्य औद्योगिक गतिविधियों ने जंगली जानवरों के आवास को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप वे बस्तियों के करीब आ रहे हैं।
वन विभाग ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रोजेक्ट लायन जैसे संरक्षण कार्यक्रमों के तहत, शेरों के आवास को संरक्षित करने और उनकी निगरानी के लिए रेडियो कॉलर और कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, ग्रामीणों को जंगली जानवरों के साथ सह-अस्तित्व के लिए शिक्षित करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

केनापारा गांव के निवासियों ने वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि शेर की मौजूदगी से न केवल उनकी जान को खतरा है, बल्कि उनकी आजीविका पर भी असर पड़ रहा है। कई किसान डर के कारण अपने खेतों में काम करने से कतरा रहे हैं। ग्रामीणों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
– जंगल और गांव के बीच एक सुरक्षित अवरोधक (जैसे बाड़ या खाई) बनाया जाए।
– नियमित रूप से जंगलों की निगरानी और गश्त बढ़ाई जाए।
– ग्रामीणों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए जाएं।
वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि वह स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। विभाग ने यह भी कहा कि शेर को पकड़ने के बाद उसे सुरक्षित रूप से किसी अभयारण्य या संरक्षित जंगल क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाएगा।

केनापारा गांव में शेर के पदचिह्नों की खोज ने एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर किया है। यह घटना न केवल ग्रामीणों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जंगली जानवरों के संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। वन विभाग की त्वरित कार्रवाई और ग्रामीणों की जागरूकता से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। ग्रामीणों को सतर्क रहने, वन विभाग के सुझावों का पालन करने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की आवश्यकता है। साथ ही, दीर्घकालिक समाधान के लिए जंगलों के संरक्षण और मानव बस्तियों की सुरक्षा के लिए ठोस नीतियों की जरूरत है।http://अन्य अधिक खबरों के लिए क्लिक करें https://amarkhabar.com/