घरघोड़ा : एसडीएम की नाफरमानी पर शासन की सख्ती का इंतजार…
फरवरी 2024 के स्थानांतरण आदेश की अनदेखी, सुशासन के साय सरकार के नए सर्कुलर से आमजन में जागी कार्रवाई की उम्मीद…
अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल खड़ा करते हुए घरघोड़ा एसडीएम का स्थानांतरण आदेश की अवहेलना का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। फरवरी 2024 में घरघोड़ा से छुई खदान स्थानांतरित किए गए एसडीएम ने न तो स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण किया और न ही घरघोड़ा एसडीएम का पद छोड़ा। इस खुलेआम अवहेलना को लेकर स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था में असंतोष व्याप्त होने की बातें भी आम जन में चर्चाए आम है।
पत्रकार संघ ने दर्ज कराया था लिखित विरोध : घरघोड़ा एसडीएम के इस रवैये को लेकर श्रमजीवी पत्रकार संघ ने विरोध दर्ज कराया और मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भी सौंपी थी। बावजूद इसके, अब तक शासन की ओर से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है। यह मामला शासन की कार्यक्षमता और स्थानांतरण आदेशों की गंभीरता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
घरघोड़ा का मामला सर्कुलर की पहली परीक्षा ??: 25 नवंबर 2024 में छत्तीसगढ़ शासन ने स्थानांतरण आदेशों की अवहेलना रोकने के लिए सख्त सर्कुलर जारी कर दिया गया है । इसमें कहा गया है कि स्थानांतरण आदेश के सात दिनों के भीतर अनुपालन न करने पर संबंधित अधिकारी की सेवा में *सर्विस ब्रेक इन* की कार्रवाई होगी। हालांकि, सवाल यह है कि क्या यह सर्कुलर पिछली नाफरमानियों पर भी लागू होगा या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
बहरहाल घरघोड़ा एसडीएम स्थानांतरण को लेकर प्रकाश में आया यह मामला प्रशासनिक सख्ती के दावों की पहली परीक्षा बन गया है। यदि फरवरी 2024 के आदेश की अवहेलना पर कोई कार्रवाई नहीं होती, तो नया सर्कुलर शायद केवल एक कागजी आदेश बनकर रह जाएगा। अब सभी की नजरें शासन के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या एसडीएम पर सख्ती की जाएगी, या यह मामला भी पुराने उदाहरणों की तरह इतिहास के पन्नो में कहीं खो जाएगा?…
यह घटना छत्तीसगढ़ शासन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती शाबित हो सकती है। यदि कार्रवाई होती है, तो न केवल प्रशासनिक अनुशासन बहाल करेगा, बल्कि सुशासन की साय सरकार का स्थानांतरण आदेशों की गंभीरता को लेकर सकारात्मक संदेश भी आम-जन तक पहुचेगा।
जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान की कलम से..✍️